ईरान सऊदी अरब ने सहयोग बढ़ाने की खाई कसम, इजराइल को दी चेतावनी | iran saudi arab… – भारत संपर्क


इब्राहिम रायसी, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान
पिछले 5 महीनों से इजराइल- हमास के बीच जंग चल रही है. हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गाजा पर इजराइली हमलों में अब तक 28 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं. कई मुल्कों ने गाजा पर इजराइल की इस जवाबी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है. अब इस बीच खबर है कि मध्य-पूर्व के दो बड़े देश सऊदी अरब और ईरान के बीच बातचीत हुई है. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन और सऊदी डिप्लोमैट फैसल बिन फरहान अल सऊद ने फोन पर बातचीत की है. पिछले साल ही इजराइल के हमलों के खिलाफ ईरान और सऊदी अरब ने हाथ मिला लिया था.
इन दोनों नेताओं ने गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजराइल के अपराधों और गाजा के सबसे दक्षिणी शहर राफा में इजराइली कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है. साथ ही द्विपक्षीय सहयोग को और विस्तार देने की कसम खाई है. रफा 1.3 मिलियन से अधिक विस्थापित फिलिस्तीनियों को पनाह देता है. इसी हफ्ते से इजराइल ने राफा के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. ईरान के विदेश मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हम युद्ध को एक समाधान नहीं मानते हैं, लेकिन अगर इस मुद्दे को तुरंत राजनीतिक रूप से हल नहीं किया गया, तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे.
OIC की बुलाई इमरजेंसी बैठक
दूसरी तरफ गाजा में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन यानी ओआईसी एक आपातकालीन बैठक भी करेगा. ओआईसी के दुनिया भर के 57 मुसलमान बहुल देश सदस्य हैं. संगठन का मकसद दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बनाए रखना और मुसलमानों के हितों की सुरक्षा करना है. सऊदी विदेश मंत्री ने ओआईसी की एक इमरजेंसी बैठक बुलाने पर अपने ईरानी समकक्ष के प्रस्ताव का स्वागत किया है.
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2023 में ही सऊदी अरब- ईरान के रिश्ते बहाल हुए
चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक संबंध फिर से बहाल हुए थे. इसके साथ ही दोनों देशों के रिश्ते पिछले सात सालों में पहली बार सामान्य हुए. दरअसल सऊदी अरब ने साल 2016 में एक घटना के बाद ईरान से अपने रिश्ते तोड़ लिए थे. हुआ यह था कि सऊदी में एक जाने-माने शिया धर्म गुरु को फांसी दी गई थी. उसके बाद रियाद स्थित सऊदी दूतावास में ईरानी प्रदर्शनकारी घुस आए थे. बस इसी घटना के बाद से सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान के बीच भारी तनाव रहा.