क्या बदल रही ईरान की सियासत? डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और सिविल सर्वेंट भी लड़ रहे चुनाव… – भारत संपर्क

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क्या बदल रही ईरान की सियासत? डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और सिविल सर्वेंट भी लड़ रहे चुनाव… – भारत संपर्क
क्या बदल रही ईरान की सियासत? डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और सिविल सर्वेंट भी लड़ रहे चुनाव

इस चुनाव में ईरान की 290 संसदीय सीटों के लिए करीब 15200 उम्मीदवार मैदान में हैं. Image Credit source: Iran International

ईरान के मतदाता इस हफ्ते देश की नई सरकार का चुनाव करेंगे. शिया बहुल मुसलमानों का ये देश इस वक्त कई संकटों से जूझ रहा है. ईरान सरकार विरोध प्रदर्शनों, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और मंदी की मार झेल रही है. ईरान की मीडिया के मुताबिक इस चुनाव में पढ़े लिखे और अच्छे पेशे से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवार बड़ी तादाद में उतरे हैं. हालांकि देश के काफी वोटर्स को इस चुनाव से भी बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है.

ईरान के इलेक्शन स्ट्रक्चर का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि ईरान में चुनाव कोई बदलाव नहीं लाते हैं. जिस राष्ट्रपति को मतदान करके चुना जाता है, वे असल में सुप्रीम लीडर द्वारा चुना गया ही होता है. इसके अलावा ईरान के लोग इस हफ्ते ईरान की काउंसिल ऑफ एक्सपर्ट का भी चयन करेंगे. यही काउंसिल निर्णय लेती है कि ईरान का सुप्रीम लीडर कौन होगा, 1989 से अयातुल्ला अली खामेनेई इस पद पर बने हुए हैं, खामेनेई इस वक्त मिडिल ईस्ट देशों में सबसे ज्यादा समय तक सर्वोच्च नेता के पद पर रहने वाले नेता हैं.

क्या डॉक्टर-इंजीनियर.. बदलेंगे ईरान की तस्वीर?

इस चुनाव में ईरान की 290 संसदीय सीटों के लिए करीब 15200 उम्मीदवार मैदान में हैं. 2020 के चुनाव की तुलना में इस बार महिला उम्मीदवार भी डबल हैं. न्यूज एजंसी ‘AFP’ के मुताबिक इस चुनाव में छोटे निर्वाचन क्षेत्रों से आने वाले उम्मीदवार डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और सिविल सर्वेंट हैं. ये कैंडिडेट किसी भी पॉलिटिकल पार्टी से जुडे़ हुए नहीं हैं. खबरों मुताबिक के इसके पीछे चुनाव आयोग का मकसद आम लोगों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है. सरकार से जुड़ी एजेंसी के सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश के 30 फीसदी मतदाता चुनावों में मतदान करने के लिए तैयार हैं. ईरान की राजधानी तेहरान की बात करें तो ये आंकड़ा महज 15 फीसदी ही है. फिर भी जानकार मानते हैं कि अगर ईरान की संसद में पढ़े लिखे लोग पहुंचेंगे तो देश की स्थिति में कुछ तो सुधार आएगा.

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चुनाव प्रचार में शोर-शराबा और सॉन्ग

ईरान में चुनाव प्रचार अधिकारिक तौर पर 22 फरवरी से शुरू हो गया है. पूरे देश में चल रहे इलेक्शन कैंपेन की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब घूम रही है. जिसमें लोगों को एक त्योहार के महौल की तरह गाने और शोर शराबे के साथ प्रचार करता देखा जा सकता है. इस वक्त शरिया कानून की रक्षा करने वाली ईरान की ‘मोरल पुलिस’ कहीं नजर नहीं आ रही है. रिवोल्यूशनरी गार्ड के शीर्ष कमांडर होसैन सलामी भी मतदातओं को चुनाव में मतदान करने के लिए प्रेरित करते दिखाई दिए हैं.

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