क्या जानवरों के लिए कोदो जहर है? मध्य प्रदेश में हाथियों की मौत से दिल्ली त… – भारत संपर्क
सांकेतिक तस्वीर.
क्या जो मोटा अनाज इंसानों को स्वस्थ रखने का जरिया है? वो जानवरों की मौत का कारण बन सकता है. इस सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है लेकिन मध्य प्रदेश में 3 दिन के अंदर जिस तरह से 10 हाथियों की मौत हुई है और मौत की वजह कोदो की फसल को माना जा रहा है. उससे कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं. शुरुआती जांच रिपोर्ट में हाथियों की मौत की वजह कोदो को बताया जा रहा है जिस पर स्थानीय किसानों को रत्ती भर यकीन नहीं है. हाथियों की मौत के बाद से मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है. सरकार ने दो वन विभाग के दो कर्मचारियों को सस्पेंड भी कर दिया है.
ये सभी 13 हाथियों के उस झुंड का हिस्सा थे जिन्होंने उमरिया जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कोदो की फसल खाई थी. शुरुआती जांच रिपोर्ट में भी कोदो की फसल को ही हाथियों की मौत की वजह बताया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक कोदो की फसल में जहर था जो हाथियों की मौत का सबब बन गया.
सबसे पहले 29 अक्टूबर को 4 हाथी मृत और 6 गंभीर रूप से बीमार हालत में मिले.
फिर अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को इनमें से 4 और हाथियों ने दम तोड़ दिया.
इसके बाद 31 अक्टूबर को भी बाकी 2 बीमार हाथियों की सांस उखड़ गई.
शक कोदो की फसल पर है. ऐसे में इस इलाके की पूरी फसल ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दी गई है ताकि फिर कोई हाथी या जानवर इसे खाकर मौत की चपेट में न आए. हालांकि, स्थानीय किसानों के मुताबिक हाथियों की मौत की वजह कोदो की फसल हो ही नहीं सकती क्योंकि वन विभाग ने जिस फसल को नष्ट किया उसी चारे को खाकर उनके मवेशी पूरी तरह सुरक्षित हैं.
हाथियों की मौत पर क्या है किसानों की राय?
हाथियों की मौत पर यहां के कुछ किसान एक अलग ही कहानी सुना रहे हैं. स्थानीय किसान मनोहर कहते हैं कि वो ऐसा होता है कि फसल में अगर सर्प का संगम हो गया या फिर लिपट गए तो फिर उसमें उसका असर हो जाता है. अगर बैल उनको लांघ कर निकल जाते हैं तो बैल मर जाते हैं. हमारे क्षेत्र में ऐसा हुआ है.
सच क्या है? ये तो जांच से ही पता चलेगा लेकिन मध्य प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में इस तरह से संदिग्ध हालत में 10 हाथियों की मौत का ये पहला मामला है. मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में करीब डेढ़ हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला बांधवगढ़ नेशनल पार्क बाघों की बड़ी आबादी के लिए दुनिया भर में मशहूर है..
2018-19 में लगभग 40 जंगली हाथियों का एक दल ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते यहां आ पहुंचा था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभी मध्य प्रदेश में करीब 150 हाथी हैं, जिनमें से लगभग 70 हाथी बांधवगढ़ नेशनल पार्क में रहते हैं, लेकिन अब 10 हाथियों की मौत से ये तादाद 60 रह गई है.
शनिवार को हाथी ने तीन लोगों को कुचला
मध्य प्रदेश का उमरिया जिला इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष के लिए भी जाना जाता है. शनिवार को ही एक जंगली हाथी ने तीन लोगों को कुचल दिया, जिसमें दो की मौत हो गई. अब सवाल ये कि क्या हाथियों की मौत इंसानों और जानवरों में टकराव का नतीजा है या फिर वजह कुछ और है. हमने हाथियों और मानव द्वंद्व को टालने के लिए जो अनुशंसाएं की थीं उन्हें राज्य सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया.
फिलहाल, हकीकत जानने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने जांच टीम का गठन किया है तो पोस्टमार्टम के बाद प्रयोगशालाओं में भी हाथियों के पेट से निकली कोदो की फसल के नमूनों की जांच जारी है. जाहिर है वाकया अफसोसनाक है, लेकिन अफसोस कि इस पर भी हमेशा की तरह राजनीति हो रही है.
घटना के बाद रविवार को सरकार ने पहले से आ रहे हाथियों के दलों को लेकर लापरवाही बरतने पर फील्ड डायरेक्टर और प्रभारी एसीएफ को सस्पेंड कर दिया. सीएम ने कहा कि उमरिया जिले के वन क्षेत्र में हाथियों की मृत्यु की घटना दुखद है, घटना क्षेत्र में वन राज्य मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारियों की टीम को भेजा गया था, जिनके द्वारा प्रारंभिक रिपोर्ट दी गई है. हाथियों की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आना अभी बाकी है.
ब्यूरो रिपोर्ट, टीवी9 भारतवर्ष