मिल्कीपुर उपचुनाव का ट्रेंड बढ़ा रहा BJP की टेंशन, क्या चंद्रभान पासवान पर … – भारत संपर्क

0
मिल्कीपुर उपचुनाव का ट्रेंड बढ़ा रहा BJP की टेंशन, क्या चंद्रभान पासवान पर … – भारत संपर्क

मिल्कीपुर में दिग्गजों की साख दांव पर

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए आखिरकार बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को प्रत्याशी बनाया है, जिनका मुकाबला सपा के अजीत प्रसाद से है. सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट हारने के बाद बीजेपी मिल्कीपुर सीट को किसी भी सूरत में नहीं गंवाना चाहती है, जिसके लिए बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है. इसके बावजूद मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव का ट्रेंड बीजेपी लिए सियासी टेंशन का सबब बना हुआ है. ऐसे में देखना है कि चंद्रभान पासवान क्या सियासी बाजी पलट पाएंगे?
अयोध्या जिले की फैजाबाद से अवधेश प्रसाद के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होरहे हैं. अवधेश प्रसाद 2022 में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. सपा ने मिल्कीपुर सीट पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उतारा है तो बीजेपी ने 2022 में चुनाव लड़ने वाले बाबा गोरखनाथ की जगह चंद्रभान पासवान पर दांव खेला है. दोनों ही प्रत्याशी पासी समुदाय से हैं, जिसके चलते मुकाबला रोचक माना जा रहा.
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव पर सिर्फ उत्तर प्रदेश की निगाहें नहीं लगी हुई है बल्कि देश भर की नजरें टिकी हुई हैं. इस सीट के जीत-हार से भले ही सत्ता पर कोई असर न पड़े, लेकिन सियासी निहितार्थ जरूर निकाले जाएंगे. इसलिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही कोई भी दांव आजमाने से पीछे नहीं है. बीजेपी यह सीट जीतकर अयोध्या सीट पर मिली हार के जख्मों को भरना चाहती है, लेकिन यहां के सियासी समीकरण और उपचुनाव के वोटिंग ट्रेंड से एक बात साफ है कि मिल्कीपुर सीट बीजेपी के लिए कितनी मुश्किल भरी है.
ये भी पढ़ें

मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास
आजादी से अब तक के इतिहास में मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर में यह तीसरा उपचुनाव हो रहा है. मिल्कीपुर विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद ही अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुई है. उससे पहले तक यह सामान्य सीट हुआ करती थी. मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई. जिसके बाद कांग्रेस, जनसंघ और सीपीआई, बीजेपी, बसपा और सपा यहां जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. इस सीट पर सबसे ज्यादा सपा-लेफ्ट 4-4 बार जीतने में सफल रही. कांग्रेस तीन बार, बीजेपी दो बार, जनसंघ और बसपा एक-एक बार जीतने में सफल रही हैं.
मिल्कीपुर का उपचुनाव बढ़ा रहा टेंशन
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में बनने के बाद से लेकर अभी तक दो बार उपचुनाव हुए हैं और अब तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है. पहली बार 1998 और दूसरी बार 2004 में उपचुनाव हुए हैं जबकि तीसरी बार 2025 में हो रहा है. यहां से कभी कद्दावर नेता मित्रसेन यादव विधायक हुआ करते थे. वो लेफ्ट से लेकर सपा तक के टिकट पर विधायक बने. मित्रसेन यादव 1989 में सीपीआई से पहली बार लोकसभा पहुंचे थे, जबकि दूसरी बार 1998 में सपा से विधायक रहते हुए लोकसभा चुनाव जीते थे.
1998 में यूपी में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की यूपी में सरकार थी. मित्रसेन यादव सांसद चुने जाने बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद उपचुनाव में सपा ने राम चंद्र यादव और बीजेपी ने डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी को उतारा था. उपचुनाव में सपा के रामचंद्र यादव विधायक चुने गए ,जबकि भाजपा के प्रत्याशी डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी को 4132 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. सूबे में सरकार होते हुए बीजेपी मिल्कीपुर सीट हार गई थी. सपा विपक्ष में रहते हुए मिल्कीपुर सीट जीतने में कामयाब रही.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव साल 2004 में हुआ, जब सपा के तत्कालीन विधायक आनंद सेन यादव विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर बीएसपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद उपचुनाव हुए तो सपा के रामचंद्र यादव फिर से चुनाव मैदान में उतारा था. जिनका मुकाबला बसपा के आनंद सेन यादव से हुआ था. रामचंद्र ने बसपा प्रत्याशी आनंद सेन यादव को करीब 35 हजार वोटों से मात दी थी.
अब तीसरी बार 2025 में मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे और मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच है. हालांकि, पिछले दो उपचुनाव के नतीजे सपा के हौसले को बुलंद करने वाले हैं, जबकि बीजेपी के लिए राजनीतिक टेंशन बढ़ा रहे. बीजेपी सत्ता में रहते हुए 1998 में चुनाव हारी और 2004 में तीसरे नंबर पर रही थी. सपा विपक्ष में रहते हुए भी दोनों बार चुनाव जीतने में सफल रही.
सपा के पोस्टर बॉय की साख दांव पर
साल 2008 के परिसीमन के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई. 2012 के विधानसभा चुनाव हुआ तो सपा के दिग्गज नेता अवधेश प्रसाद यादव ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया. 2012 में मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद विधायक बने, लेकिन 2017 के चुनाव में बाबा गोरखनाथ से हार गए. गोरखनाथ बीजेपी के टिकट पर विधायक बने, लेकिन पांच साल के बाद 2022 के चुनाव में जीतन हीं सके. 2022 में दोबारा से मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद विधायक बने और बीजेपी के गोरखनाथ को करीब 13 हजार वोटों से चुनाव हराया था.
अवधेश प्रसाद 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या जिले की फैजाबाद से सांसद चुने जाने के बाद हो रहे उपचुनाव में उनके बेटे अजीत प्रसाद सपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. अवधेश प्रसाद ने राममंदिर के लोकार्पण के कुछ महीनों बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या से जीत दर्ज कर पूर देश को आश्चर्यचकित कर दिया था.
इस हार का बोझ बीजेपी के लिए इतना भारी रहा कि केंद्र में उसकी लगातार तीसरी पारी का जश्न फीका पड़ गया. इसके बाद से ही अवधेश प्रसाद सपा सहित विपक्ष के ‘पोस्टर बॉय’ बन गए. इसलिए, सपा के ‘पोस्टर बॉय’ की साख यहां दांव पर लग गई है तो बीजेपी के लिए भी अहम बन गई.
मिल्कीपुर का सियासी समीकरण
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर करीब 3.23 लाख मतदाता हैं. यहां के जातीय समीकरण को देखें तो एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता हैं. दलितों में भी करीब 60 हजार पासी समाज के मतदाता है और 65 हजार यादव मतदाता है. इसके बाद ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 35 हजार, ठाकुर 25 हजार, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार, चौरासिया 15 हजार, पाल 8 हजार, वैश्य 12 हजार के करीब है. इसके अलावा 30 हजार अन्य जातियों के वोट हैं.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण को देखें तो यादव, पासी और ब्राह्मण तीन जातियों के वोटर अहम भूमिका में है. सपा इस सीट पर यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण के सहारे जीत दर्ज करती रही है तो बीजेपी सवर्ण वोटों के साथ दलित वोटों को साधकर जीतने में सफल रही है. इसीलिए बीजेपी और सपा दोनों ही पासी समाज से आने वाले नेता को उतारा है, लेकिन जीत की भूमिका यादव और ब्राह्मण सहित दूसरे समुदाय के मतदाता तय करेंगे.
मिल्कीपुर सीट पर दो बार ही जीती
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट होने के बाद से दो बार सपा जीती है और एक बार बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया था. आजादी के बाद से बीजेपी महज दो बार ही मिल्कीपुर सीट ही जीत सकी है. पहली बार 1991 में जीती और दूसरी बार 2017 में बीजेपी जीत सकी. 2022 के चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद को 103,905 वोट मिले थे और बीजेपी के गोरखनाथ को 90,567 वोट मिले थे. सपा यह सीट 13,338 वोटों के जीतने में कामयाब रही थी. सपा यह सीट अब तक के इतिहास में चार बार जीत सकी है.
सपा की बढ़़त से बीजेपी में टेंशन
लोकसभा चुनाव में जिस तरह से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सपा को बढ़त मिली थी. उसके चलते बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ गई. मिल्कीपुर में बीजेपी को 87879 वोट मिले जबकि सपा को 95612 वोट मिले थे. इस तरह करीब 8 हजार वोटों की बढ़त सपा को थी. इसके अलावा उपचुनाव में जिस तरह से सपा को विपक्ष में रहते हुए जीत मिलती रही है. उसके चलते भी बीजेपी के लिए अयोध्या की हार का हिसाब बराबर करना आसान नहीं.
बीजेपी ने नए चेहरे पर लगाया दांंव
बीजेपी ने मिल्कीपुर उपचुनाव में चंद्रभान पासवान के रूप में नए और युवा चेहरे पर दांव लगाया है. बीजेपी संगठन की ओर से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट हाईकमान के फैसले का आधार बनी. जनप्रतिनिधियों की पसंद और नापसंद के बीच का नाम तय किया गया. बीजेपी के टिकट के एक दर्जन दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभान ने बाजी मारी है. इनमें दो पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी भी शामिल थे. इनके अलावा परिवहन के उपआयुक्त सुरेंद्र कुमार को भी टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहे थे.
चंद्रभान पासवान पासी समाज से आते हैं और उपचुनाव में मुख्य मुकाबला सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद से होना है. वे भी इसी समाज से हैं. मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में पासी वर्ग के ही सर्वाधिक वोटर हैं. चंद्रभान की पत्नी कंचन पासवान से दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य हैं. इनके पिता बाबा राम लखन दास ग्राम प्रधान रह चुके हैं. हालांकि, वो रहने वाले रुदौली के हैं और चुनावी किस्मत मिल्कीपुर सीट से आजमा रहे हैं. इस तरह उन्हें बाहरी होने के आरोप को भी काउंटर करना होगा और मिल्कीपुर की सियासी गणित में भी खुद को फिट करने की चुनौती होगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति के पावन अवसर पर वर्ष 2025 के शासकीय कैलेंडर का किया विमोचन – भारत संपर्क न्यूज़ …| Happy Pongal 2025 Wishes : पोंगल के शुभ अवसर पर अपनों को भेजें ये शुभकामनाएं…| साध्वी हर्षा रिछारिया पर क्यों भड़के शंकराचार्य, बोले- महाकुंभ में चेहरे की… – भारत संपर्क| Kho Kho World Cup 2025: कौरवों-पांडवों ने शुरू किया था खो-खो? महाभारत से जु… – भारत संपर्क| 59 साल की उम्र में 13वीं बार रक्तदान कर सबके लिए प्रेरणा बने…- भारत संपर्क