क्या चीन अमेरिका के बीच छिड़ने वाला है ये नया ‘ट्रेड वार’,…- भारत संपर्क

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क्या चीन अमेरिका के बीच छिड़ने वाला है ये नया ‘ट्रेड वार’,…- भारत संपर्क
क्या चीन-अमेरिका के बीच छिड़ने वाला है ये नया 'ट्रेड वार', भारत को कैसे होगा फायदा?

अमेरिका और चीन के बीच छिड़ेगी व्यापार की नई जंग?Image Credit source: TV9 Graphics

अमेरिका के राष्ट्रपति जब डोनाल्ड ट्रंप थे, तब चीन के साथ चले ‘ट्रेड वार’ ने पूरी दुनिया की इकोनॉमी को परेशान किया था. हालांकि भारत के दोनों देशों के साथ अच्छे व्यापारिक संबंधों ने इस मुश्किल घड़ी को टाल दिया था. लेकिन क्या अब चीन और अमेरिका के बीच दोबारा ‘ट्रेड वार’ की संभावनाएं बन रही हैं? क्या इस बार भारत को इस स्थिति का फायदा मिलेगा? आखिर दोनों देशों के बीच ट्रेड वार की संभावनाएं क्यों बन रही है?

साल 2020 में आई कोविड महामारी ने अमेरिका और चीन ही नहीं, बल्कि चीन के साथ दुनिया के कई देशों के रिश्ते को बदला है. दुनिया के लगभग सभी देशों ने चीन पर अपनी सप्लाई चेन की निर्भरता को कम करने का काम शुरू किया है. इसका बड़ा फायदा भारत, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों को मिला है. ऐसे में अगर अमेरिका और चीन में दोबारा ट्रेड वार की संभावना बनती है, तो भारत को इसका फायदा मिल सकता है.

आखिर क्यों छिड़ सकता है अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार?

चीन और अमेरिका के बीच इस बार ट्रेड वार छिड़ने की वजह बनेगा इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट. दरअसल चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर अमेरिकी सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय का आरोप है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ रिस्पांस के नाम पर अमेरिका ने भेदभावपूर्ण सब्सिडी नीतियां बनाई हैं.

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अमेरिका में इलेक्ट्रिक कार खरीदने वालों को 3,750 से 7,500 डॉलर का टैक्स क्रेडिट मिलता है. लेकिन अब ये फायदा उन कार मालिकों को नहीं मिलेगा, जिनकी इलेक्ट्रिक कार में रेयर अर्थ मैटेरियल (लीथियम एवं अन्य खनिज) या अन्य बैटरी कलपुर्जे अगर चीन, रूस, उत्तर कोरिया अथवा ईरान की कंपनियों ने बनाए हों. जबकि यह क्रेडिट 2022 के एक कानून का हिस्सा है जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हस्ताक्षर किए हैं.

अमेरिका के इन नियमों का विरोध करने के लिए ही चीन ने डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान प्रक्रिया का सहारा लिया है.

दुनिया के ईवी मार्केट में चीन का दबदबा

चीन अभी दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट और मैन्यूफैक्चर में से एक है. वह बड़े पैमाने पर अमेरिका में इनके कल-पुर्जों का एक्सपोर्ट भी करता है. ऐसे में अमेरिका के इस कदम ने चीनी प्रोडक्ट्स को अमेरिकी मार्केट से बाहर कर दिया. ये निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के खिलाफ है. इससे दुनिया में न्यू एनर्जी व्हीकल की ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हो रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के मामले में तो चीन अभी ग्लोबल लीडर है.

भारत को कैसे होगा फायदा?

हालांकि अमेरिका का ये कदम भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. भारत में तेजी से ईवी मार्केट डेवलप हो रहा है. वहीं टाटा और रिलायंस जैसी कई भारतीय कंपनियां भी इस सेगमेंट में विशेषकर बैटरी मेकिंग में बड़ा निवेश कर रही हैं. जबकि अमेरिका की टेस्ला भारत में निवेश करने की तैयारी कर रही है. इससे आने वाले दिनों में भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बन सकता है. भारत सरकार ने भी इसके लिए मेक इन इंडिया और पीएलआई स्कीम जैसे कार्यक्रम चलाए हैं.

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