गाजा में नहीं रूकेगी इजराइली सेना… नेतन्याहू ने हमास की 2 शर्तों को मानने से किया…
हमास की दो प्रमुख मांगों को मानने से नेतन्याहू का इनकार
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास की 2 प्रमुख मांगों को खारिज कर दिया है और कहा है कि इजरायल गाजा पट्टी से पीछे नहीं हटेगा या जेल में बंद हजारों आतंकवादियों को रिहा नहीं करेगा. कब्जे वाले वेस्ट बैंक में एक कार्यक्रम के दौरान नेतन्याहू ने फिर से कसम खाई कि हमास पर इजराइल की पूर्ण जीत के बिना युद्ध समाप्त नहीं होगा.
इस बीच गुप्त रूप से काम कर रहे इजराइली बलों ने वेस्ट बैंक के एक अस्पताल पर छापे में तीन फिलिस्तीनी आतंकवादियों को मार डाला, जहां गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से हिंसा बढ़ गई है.
इजराइली सेना ने कहा कि सेना ने उत्तरी शहर जेनिन में इब्न सिना अस्पताल में प्रवेश किया और तीन लोगों को गोली मार दी, जिन पर हमास ने सदस्य होने का दावा किया था. सेना ने कहा कि वे लोग अस्पताल को छिपने की जगह के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे और हमले की योजना बना रहा था. फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायली बलों ने अस्पताल के वार्डों के अंदर गोलीबारी की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अस्पतालों में इजराइली सैन्य अभियान को रोकने की मांग की है. हमास शासित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध में 26,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और नाबालिग हैं.
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युद्ध को लेकर इजराइली जनता की राय
हमास-इजराइल युद्ध को चार महीने पूरे होने वाले हैं, ऐसे में कुछ इजराइली गाजा पट्टी से शेष 136 बंधकों को छुड़ाने में सरकार की विफलता को लेकर लगातार आक्रोश प्रकट कर रहे हैं. युद्ध के पहले इजराइलियों युद्ध और हमास को हराने व नष्ट करने के सरकार के घोषित लक्ष्य का पुरजोर समर्थन किया था. नेतन्याहू का कहना है कि युद्ध जारी रखना बंधकों को रिहा कराने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन बंधकों के परिवारों समेत अनेक इजराइली यह तर्क दे रहे हैं कि युद्ध जारी रहने से हर गुजरते दिन के साथ बंधकों का जीवन अधिक खतरे में पड़ रहा है और यह भी संदेह बढ़ रहा है कि क्या इजराइल वास्तव में हमास को निर्णायक रूप से पराजित और खत्म कर सकता है.
नेतन्याहू फिलहाल असमंजस की स्थिति का सामना कर रहे हैं. एक तरफ जहां उन पर बंधकों को छुड़ाने का दबाव है तो दूसरी तरफ युद्ध खत्म करने की चुनौती भी है. ऐसे में आने वाला समय नेतन्याहू के लिए और भी चुनौती भरा हो सकता है.