Jagdeep Chhokar: नहीं रहे प्रोफेसर छोकर, जिनकी पहल पर चुनावी राजनीति में आई थी…

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Jagdeep Chhokar: नहीं रहे प्रोफेसर छोकर, जिनकी पहल पर चुनावी राजनीति में आई थी…
Jagdeep Chhokar: नहीं रहे प्रोफेसर छोकर, जिनकी पहल पर चुनावी राजनीति में आई थी पारदर्शिता

प्रो. छोकर का शुक्रवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गयाImage Credit source: IIMA Archives

Jagdeep Chhokar : भारत में चुनावों में पारदर्शिता की लड़ाई के प्रमुख चेहरे रहे प्रोफेसर जगदीप छोकर का शुक्रवार को निधन हो गया. वे इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट IIM अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ADR के संस्थापक सदस्य थे. ADR ने चुनावी राजनीति को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी.
प्रो. छोकर ही ऐसे शख्स थे, जिनकी पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति और शैक्षिक योग्यता का खुलासा करना अनिवार्य किया था. इस फैसले को भारतीय लोकतंत्र में एक मील का पत्थर माना जाता है.

कहां से हुई प्रो. छोकर की पढ़ाई

प्रो. जगदीप छोकर की शैक्षिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उन्होंने 1967 में इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. तो वहीं 1977 में डीयू से एमबीए की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने 1993 में लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी, 2001 में बाॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से पक्षीविज्ञान में सर्टिफिकेट और 2005 में गुजरात यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया.

प्रो. छोकर के करियर पर एक नजर

प्रो. छोकर के करियर की बात करें तो उन्होंने 1985 से नवंबर 2006 तक IIM अहमदाबाद में प्रोफेसर के तौर पर सेवाएं दी. इसके साथ ही उनकी पहचान एक प्रशिक्षक, शोधकर्ता और सलाहकार, पक्षी-विज्ञानी और संरक्षणवादी तथा एक प्रशिक्षित वकील की भी रही. हालांकि ये दिलचस्प है कि वह प्रोफेसर बनने से पहले इंडियन रेलवे में इंजीनियर-प्रबंधक थे और चार वर्षों तक उन्होंने इंटरनेशल मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर काम किया. IIMA में एंट्री के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका सहित कई देशों में पढ़ाया.

IIM से ADR तक का सफर

प्रो. छोकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे. उन्होंने साल 1999 में अपने साथियों के साथ मिलकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की नींव रखी. उनका मकसद राजनीति में पारदर्शिता लाना और लोकतंत्र को मजबूत करना था. उनके प्रयासों से ही इन तीन दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसले सुनाए, जिनसे चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव हुआ.

चुनाव सुधारों की पहल करने वाले

ADR की याचिका पर 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड, वित्तीय जानकारी और शिक्षा का ब्योरा अनिवार्य रूप से देने का फैसला सुनाया था. इसके बाद ADR लगातार इन जानकारियों पर रिपोर्ट जारी करता रहा.

फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया. इस केस में ADR भी याचिकाकर्ता था. अप्रैल 2024 में ADR की एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम मशीनों की जांच और सत्यापन की नई व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया.

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