बिहार में चिराग की रणनीति से NDA में उलझन, चुनाव से पहले JDU की बढ़ी टेंशन

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बिहार में चिराग की रणनीति से NDA में उलझन, चुनाव से पहले JDU की बढ़ी टेंशन
बिहार में चिराग की रणनीति से NDA में उलझन, चुनाव से पहले JDU की बढ़ी टेंशन

चिराग पासवान, नीतीश कुमार

बिहार एनडीए में चिराग पासवान को लेकर दुविधा सामने आई है. चिराग के चुनाव लड़ने की चर्चा से जेडीयू उत्साहित नहीं है. जेडीयू जानना चाहती है कि केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहते हुए चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने के पीछे क्या मकसद है? जेडीयू सूत्रों का कहना है कि अगर चिराग पासवान चुनाव लड़ते हैं तो यह उन्हीं का फैसला होगा, एनडीए का नहीं.

वैसे जेडीयू का मानना है कि चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे सीटों के बंटवारे में अपनी पार्टी के लिए अधिक सीटों के लिए दबाव की रणनीति हो सकती है पर जेडीयू को ये भी लगता है कि चिराग पासवान के चुनाव लड़ने पर बिहार में मुख्यमंत्री पद को लेकर भ्रम फैल सकता है क्योंकि एनडीए पहले ही साफ कर चुका है कि चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा.

चिराग के शक्ति प्रदर्शन से JDU असहज

वहीं, बीजेपी के कुछ नेता ये भी मानते हैं कि चिराग के विधानसभा चुनाव लड़ने से पासवान वोट एनडीए के पक्ष में एकजुट होगा और एकमुस्त वोट गिरेगा. इस बीच, नीतीश कुमार के गृह जिले में चिराग पासवान के शक्ति प्रदर्शन की योजना से भी जेडीयू असहज है. दरअसल , 29 जून को राजगीर में चिराग पासवान बहुजन भीम संकल्प समागम के जरिए करीब दो लाख लोगों को इकट्ठा करने जा रहे हैं.

मगर जेडीयू सूत्रों का कहना है कि एनडीए में सीटों के बंटवारे में जितनी भी सीटें एलजेपी के खाते में जाएंगी, उसमें वे किसे उम्मीदवार बनाते हैं, यह उनका फैसला होगा. हालांकि, जानकारों का मानना है कि चिराग का चुनाव लड़ने का फैसला तभी कारगर होगा जब वे चुनाव के बाद खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ में पाते हैं, लेकिन जिस तरह सीट बंटवारे में चिराग की पार्टी को तीस से कम सीटें मिलने की संभावना है, तो इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़कर चिराग का सीएम बनने की महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो सकती.

कहीं चिराग बाद में पाला तो नहीं बदल लेंगे!

साथ ही चिराग पासवान के लिए महागठबंधन में भी जगह नहीं क्योकि से क्योंकि तेजस्वी यादव वहां पहले से ही सीएम का चेहरा हैं. साथ ही महागठबंधन में चिराग को इतनी सीटें भी नहीं मिल सकतीं, जिससे उनकी सीएम बनने की महत्वाकांक्षा पूरी हो सकें. ऊपर से चिराग को लेकर यह आशंका भी बनी रहेगी कि कहीं वे बाद में पाला तो नहीं बदल लेंगे.

NDA से दूर जाने पर नुकसान चिराग को ही होगा

ऐसे में जानकारों के मुताबिक चिराग पासवान के पास केवल प्रशांत किशोर के साथ जुड़कर ही अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ने का विकल्प लेकिन वहां भी गठबंधन का नेता कौन रहेगा, इस सवाल पर टकराव होना तय है. दरअसल जेडीयू नेता पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के कमज़ोर प्रदर्शन के लिए चिराग को जिम्मेदार ठहराया था. इसको देखते हुए ही जेडीयू के नेता चिराग पासवान की रणनीति को लेकर आशंकित है. वैसे इस बार परिस्थितियों पिछली बार की तुलना में अलग है क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार को जेडीयू की जरूरत है और बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते भी बहुत मजबूत हैं. लिहाजा इस बार एनडीए से चिराग के दूर जाने पर नुकसान चिराग पासवान को ही होगा.

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