Karanveer Mehra: पहलगाम हमले पर ‘कविता’ विवाद के बाद करणवीर मेहरा को देनी पड़ी… – भारत संपर्क


करणवीर मेहरा Image Credit source: सोशल मीडिया
टीवी एक्टर करणवीर मेहरा हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अपनी एक कविता को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए थे. इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद करणवीर ने अपनी भावनाओं को कविता के रूप में व्यक्त किया था. हालांकि, कुछ लोगों को उनकी ये कविता पसंद नहीं आई, उन्हें लगा कि इस कविता के जरिए करणवीर पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहे हैं और इसलिए उन्होंने एक्टर को खूब खरी-खोटी सुनाई.अब करणवीर मेहरा ने इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और कविता का असली मतलब समझाया है.
करणवीर मेहरा ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए अपनी कविता के पीछे की सोच को स्पष्ट किया. उन्होंने लिखा कि उनकी कविता का मकसद नफरत की जंजीर को तोड़कर दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना था. एक्टर ने कहा कि उनकी कविता का ये मतलब बिल्कुल नहीं था कि वे आतंकी हमले का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि वे तो इस हिंसा और नफरत के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे हमलों से वे डरने वाले नहीं हैं.
An eye for an eye will NOT leave the whole world blind, the last person will still have one eye &we all know who that last person might be. But the real question is ,would YOU rather break the chain of hate and make the world a better place? Thats exactly what the poem meant
My— Karan Veer Mehra (@KaranVeerMehra) April 27, 2025
जानें क्या है करणवीर का कहना
करणवीर ने अपनी पोस्ट में आशुतोष राणा की कुछ पंक्तियों का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है, “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा नहीं बना देगी, आखिरी व्यक्ति के पास अभी भी एक आंख होगी…” उन्होंने इन पंक्तियों के जरिए ये समझाने की कोशिश की कि हिंसा और बदले की भावना से किसी समस्या का हल नहीं निकल सकता है. बल्कि, प्यार और समझदारी से ही दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है.
करणवीर को देनी पड़ी सफाई
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए करणवीर ने ये भी कहा कि नदियों को अलग-अलग नाम दिए जा सकते हैं, लेकिन उनमें बहने वाला पानी तो एक ही है. इसी तरह, सूरज और चांद भी एक ही हैं और सभी एक ही हवा में सांस लेते हैं. उनकी इस बात का मतलब था कि धर्म और जाति के नाम पर भेदभाव करना गलत है, क्योंकि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है. करणवीर मेहरा ने साफ किया कि उनकी कविता का उद्देश्य सिर्फ शांति और सद्भाव का संदेश देना था.