Khatu Shyam Prasad : खाटू जी के प्रसाद में खाई जाने वाली ये चीज सेहत को पहुंचाती…


Khatu Shyam PrasadImage Credit source: Getty Images
राजस्थान के सीकर जिले में मौजूद खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है. यहां लाखों की संख्या में लोग अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं और ऐसा माना जाता है कि खाटू जी हारे का सहारा जरूर बनते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई चीजों का भोग या प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसमें से देसी घी से बना चूरमा सबसे ज्यादा पॉपुलर है. देसी घी में बना चूरमा राजस्थान में खाई जाने वाली एक टेस्टी डिश है जो दाल-बाटी की थाली में जरूर शामिल होती है.
घी वाला चूरमा बनाने के लिए देसी घी, गेहूं का आटा, गुड़ या शक्कर और सूखे मेवे का उपयोग किया जाता है. चूरमा को अक्सर दाल और बाटी के साथ परोसा जाता है, जिसे दाल बाटी चूरमा कहते हैं, यह थाली राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है. इस व्यंजन को परोसते समय ऊपर से घी फिर से डाला जाता है. जिससे यह स्वाद में लाजवाब होता है, इसके साथ ही यह पोषक तत्व से भरपूर होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में एक्सपर्ट से इसके होनों वाले फायदों के बार में
क्या कहती हैं एक्सपर्ट?
आयुर्वेद एक्सपर्ट किरण गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों में पोषक तत्वों की कमी हैं या फिर दुबले पतले हैं. उनके लिए देसी घी वाला चूरमा खाना फायदेमंद होता है. देसी घी पोषण का काम करता है और आटा कार्बोहाइड्रेट्स का सोर्स है. यह एनर्जी का भी बहुत अच्छा सोर्स होता है. ऐसे में जो लोग ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करते हैं उनके के लिए यह ज्यादा फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसे खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है. लेकिन इसके लिए डाइजेशन सही होना बहुत जरूरी है. जिन लोगों का डाइजेशन स्लो है या फिर वजन ज्यादा तो उन्हें यह एक चम्मच से ज्यादा नहीं खाना चाहिए.
इसे ज्यादा खाया जाए तो इससे वजन बढ़ सकता है. इसे बनाने के लिए शक्कर या गुड़ का उपयोग होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. इसलिए शुगर के मरीज को इसे खाने से परहेज करना चाहिए. जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे एसिडिटी या भारीपन होता है, उन्हें घी वाला चूरमा कम खाना चाहिए. गर्मी में घी का सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है. इसलिए सीमित मात्रा में खाना चाहिए.
घी वाला चूरमा कैसे बनाएं?
चूरमा बनाने के लिए गेहूं के आटे में आधा कप घी डालकर इसे अच्छे से मिक्स किया जाता है. इसमें धीरे-धीरे दूध डालते हुए आटा गूंथ जाता है. इस आटे से लोइयां बनाकर मोटी पूरियों या बाटियों के आकार में सेंक लिया जाता है. जब ये बाटियां सुनहरी और कुरकुरी हो जाती हैं, तब उन्हें ठंडा करके मसलकर चूरा बनाया जाता है. इसी चूरे को “चूरमा” कहा जाता है. अब इसमें स्वाद के अनुसार गुड़ या बारीक चीनी मिलाई जाती है, फिर इसमें शुद्ध देसी घी डाला जाता है. घी से इसका स्वाद और सुगंध दोनों बढ़ जाती है. कई लोग इसमें काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची पाउडर और कभी-कभी नारियल का बुरादा भी डालते हैं.