Jaane air pollution se badh rhe swasthy jokhimo ke baare me. – जानें एयर…

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Jaane air pollution se badh rhe swasthy jokhimo ke baare me. – जानें एयर…

बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज इस्टैबलिश करना, हवा और पानी में केमिकल रिलीज करना, खाली जगहों को कूडादान बना देना, ये सभी प्रैक्टिस केवल वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचती, बल्कि यह हमें एक अस्वस्थ जीवन की ओर धकेलती जा रही है।

वातावरण हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होना चाहिए, हम जो खाते हैं, पीते हैं, यहां तक की सांस लेने के लिए भी हमें वातावरण में मौजूद हवा की आवश्यकता होती है। पर दिन प्रति दिन दुनिया आगे निकलती जा रही है और इस दौरान हमने वातावरण (environment) को कहीं पीछे छोड़ दिया है। बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज इस्टैबलिश करना, हवा और पानी में केमिकल रिलीज करना, खाली जगहों को कूडादान बना देना, ये सभी प्रैक्टिस केवल वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचती, बल्कि यह हमें एक अस्वस्थ जीवन की ओर धकेलती जा रही है। आपको मालूम होना चाहिए की इस समय वायु प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, की कई जगहों पर लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है।

हवा में प्रदूषकों के बढ़ने से शरीर को कई नुकसान हो रहे हैं। क्युकी आप पानी को फिल्टर करके पी सकती हैं, पर हवा को कहां कहां फिल्टर कर पाएंगी। हर एक सांस के साथ हम एयर इन्हेल करते हैं, जिसमें मौजूद प्रदूषक (pollutants) हमारे शरीर को बीमार कर रहे हैं। एयर पॉल्यूशन कई बीमारियों सहित परेशानी का कारण बन सकता है। तो आइए जानते हैं ऐसेही कुछ परेशानियों के नाम।

हेल्थ शॉट्स ने वायु प्रदूषण के प्रभाव और इससे बचाव के तरीकों को समझने के लिए पारस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी और रेस्पिरेट्री मेडिसिन डिपार्टमेंट हेड डॉ. अरुणेश कुमार से सलाह ली। डॉक्टर ने इस विषय से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई हैं, तो चलिए जानते हैं, इस बारे में विस्तार से (air pollution effects on health)।

Air pollution ka kya prabhav hota hai
जानते हैं जहरीली हवा कैसे बनती है माइग्रेन का कारण और इससे कैसे बचा जा सकता है। चित्र- अडॉबीस्टॉक

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे (world environment day 2024)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहली बार 1972 में पर्यावरण को समर्पित इस दिन शुरुआत की गई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकना है, और अपनी पृथ्वी और उस पर रह रहे करोड़ों जीव जंतुओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना है। इस साल विश्व वातावरण दिवस का थीम “Land Restoration, Desertification, and Drought Resilience” रखा गया है।

इस दिन अलग-अलग ऑर्गनाइजेशन, स्कूल, कॉलेजेस द्वारा तरह-तरह के प्रोग्राम चलाकर वातावरण में प्लास्टिक, केमिकल टॉक्सिंस, गैस और अन्य हानिकारक पदार्थों से हो रहे प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। उन्हें स्वच्छता को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके बताए जाते हैं, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है सस्टेनेबिलिटी।

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यहां जानें वायु प्रदूषण से बढ़ रहे स्वास्थ्य जोखिमों के नाम (air pollution effects on health)

1. प्रीमेच्योर डेथ

विज्ञान से पता चलता है कि अस्वस्थ हवा के संपर्क में आने से अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों ही तरह से आपका जीवन छोटा हो सकता है, और समय से पहले मृत्यु हो सकती है।

2. कम वजन वाले बच्चों का जन्म

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के साइड इफेक्ट के तौर पर कम वजन वाले बच्चों का जन्म और शिशु मृत्यु दर का जोखिम बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अधिक घातक हो सकता है।

3. घरघराहट, खांसी और सांस लेने में परेशानी

रिसर्चगेट की मानें तो वायु प्रदूषकों के उच्च स्तर के संपर्क में आने से घरघराहट, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों तरह से हो सकती है।

kya asthma se joojh rahe logon ke liye mask pehnna sahi hai
सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए क्या मास्क पहनना समस्या का कारण बन सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

4. अस्थमा अटैक

ओजोन और पॉल्यूशन पार्टिकल को सांस के माध्यम से अंदर लेने से अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एमरजैंसी रूम और अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। यह छोटे बच्चों को भी प्रभावित करता है। वहीं आजकल बच्चों में अस्थमा की समस्या बढ़ती जा रही है।

5. हृदय रोग

वायु प्रदूषण से दिल के दौरे और स्ट्रोक दोनों का खतरा बढ़ सकता है। पॉल्यूशन पार्टिकल, केमिकल्स और स्मोक सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और आपके हार्ट और आर्टिरीज में जमा हो सकते हैं। इस प्रकार ये हृदय संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ा देते हैं।

6. लंग कैंसर

2013 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निर्धारित किया कि पॉल्यूशन पार्टिकल्स फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है, जो अमेरिका में कैंसर से संबंधित मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। जिस प्रकार स्मोकिंग लंग्स को प्रभावित करती है, ठीक उसी प्रकार प्रदूषित हवा में सांस लेना भी आपके लंग्स के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

7. डेवलपमेंट डैमेज

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बढ़ते बच्चों में फेफड़ों का विकास धीमा और अवरुद्ध हो सकता है, जिससे उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है और वयस्क होने पर उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती है। वायु प्रदूषण छोटे बच्चों से जुड़ी बीमारियों के खतरे को बढ़ा रहा है, इस प्रकार यह एक बेहद चिंतित मुद्दा बना हुआ है।

c-section se hue bachche ko asthma ho sakta hai
बच्चों को आसानी से प्रभावित कर सकता है वायु प्रदूषण। चित्र-अडोबीस्टॉक

8. संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता:

पब मेड द्वारा किए गए रिसर्च की माने तो वायु प्रदूषण से फेफड़ों के संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर बच्चों में। वहीं कई बार यह त्वचा संक्रमण का भी कारण बन सकता है।

जानें कैसे कम किया जा सकता है शरीर पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

1. रोजाना पॉल्यूशन फोरकास्ट देखें

अपने क्षेत्र के दैनिक वायु प्रदूषण पूर्वानुमान देखें। कलर कोडेड फोरकास्ट आपको बता सकते हैं, कि आपके समुदाय में हवा कब अस्वस्थ है। स्रोतों में स्थानीय रेडियो और टीवी मौसम रिपोर्ट, समाचार पत्र और ऑनलाइन airnow.gov शामिल हैं।

2. प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर बाहर न जाएं

जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो तो बाहर जानें से बचें, खास कर व्यायाम करने के लिए बाहर न जाएं। जब हवा में प्रदूषण बढ़ गया हो, तो घर के अंदर वर्कआउट करें। अगर हवा की गुणवत्ता अस्वस्थ है, तो अपने बच्चे को बाहर खेलने न जानें दें। भले ही वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान हरे हों, उच्च-यातायात क्षेत्रों के पास व्यायाम करने से बचें, क्योंकि व्यस्त राजमार्गों पर वाहन आस-पास उच्च प्रदूषण स्तर पैदा कर सकते हैं।

3. गाड़ियों का सीमित इस्तेमाल

पैदल चलें, साइकिल चलाएं या कारपूल करें। अपनी कार चलाने के बजाय बस, सबवे, रेल सिस्टम, मेट्रो या अन्य विकल्पों का उपयोग करें। यदि हर एक व्यक्ति ट्रांसपोर्टेशन के लिए अपनी प्राइवेट गाड़ी निकाल लें, तो प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है।

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4. इलेक्ट्रिक एनर्जी का कम से कम इस्तेमाल करें

अपने घर में कम ऊर्जा का उपयोग करें। बिजली और ऊर्जा के अन्य स्रोतों का उत्पादन वायु प्रदूषण पैदा करता है। ऊर्जा के उपयोग को कम करके, आप वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, ऊर्जा स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने और पैसे बचाने में मदद कर सकते हैं।

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एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन से मिलता है लाभ। चित्र : शटरस्टॉक

5. एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ लें

वायू प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए आप सभी को प्रयाप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों का से करना चाहिए। ब्रोकली, हरी सब्जियां, केल, मौसमी, सभी एंटीऑक्सिडेन से भरपूर होते हैं, इन्हें अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बनाएं। इनके अलावा, बीन्स, मसाले, अदरक, लहसुन आदि का भी सेवन जरूर करें।

6. N95 मास्क पहनें

हवा में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए खुदको प्रोटेक्ट करने के लिए घर से बाहर निकलते वक्त, मास्क लगाकर निकलें। प्रदूषित हवा के प्रभाव को कम करने के लिए हमेशा N95 मास्क पहनें। इससे सांस लेते हुए हवा फिल्टर हो जाती है।

7. पौधे लगाएं

ऑफिस में वर्क डेस्क और घर में इनडोर पौधों को लगाएं। जब पौधों की संख्या अधिक होगी, तो प्रदूषण कम होगा। वहीं पौधे प्रदूषण को अपनी ओर खींचते हैं और आस-पास की हवा को शुद्ध करते हैं। सुबह जल्दी उठें और पास के पार्क में वर्कआउट करने जाएं।

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