janiye uterine cancer ke early signs aur treatment-जानिए यूटेराइन कैंसर के…

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janiye uterine cancer ke early signs aur treatment-जानिए यूटेराइन कैंसर के…

अभी तक यह माना जा रहा था कि यूटेराइन कैंसर पचास वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ही परेशान करता है। मगर इन दिनों युवा महिलाओं में भी इसका जोखिम बढ़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि आप इसके लक्षणों के बारे में जानें ।

यूटेराइन कैंसर (Uterine Cancer) को एंड्रोमेट्रियल कैंसर (Endometrial cancer) भी कहा जाता है। यह पूरे विश्व की महिलाओं को प्रभावित करता है। यह कैंसर आम तौर से मेनोपॉज़ पूरा कर चुकी महिलाओं में देखने को मिलता है। यद्यपि यह कैंसर वृद्ध महिलाओं को होता है, लेकिन आजकल युवा महिलाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। इसके लक्षणों में से एक है मूत्रत्याग करते वक्त होने वाला दर्द, जिसे अक्सर नजरंदाज कर दिया जाता है, पर यह यूटेराइन कैंसर (Early signs of uterine cancer) के शुरू होने का संकेत हो सकता है।

बच्चेदानी का कैंसर अर्थात यूटेराइन कैंसर क्या है और इसे समय रहते कैसे पहचाना जा सकता है, यह जानने के लिए हमने मणिपाल हॉस्पिटल, पटियाला में डॉ आनंदिता से बात की। डॉ आनंदिता  यहां कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी हैं। 

यूटेराइन कैंसर होने का जोखिम कई कारणों से बढ़ता है (Causes of uterine cancer)

उम्रः यह ज्यादातर 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को होता है।
हार्मोन का असंतुलनः प्रोजेस्टेरोन के बिना एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा होने से एंडोमेट्रियल हाईपरप्लेसिया हो सकता है, जो कैंसर से पूर्व की अवस्था है।
मोटापाः शरीर में अत्यधिक फैट के कारण एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है।
परिवार में इतिहासः परिवार में यूटेराईन या कोलोन कैंसर का इतिहास इसके जोखिम को बढ़ा देता है।
जीवनशैलीः शारीरिक गतिविधि की कमी और अस्वस्थ आहार भी जोखिम को बढ़ाता है।

पेशाब करते हुए दर्द होना है सबसे कॉमन संकेत (Pain during urination) 

मूत्रत्याग के दौरान दर्द अक्सर मूत्रनली के संक्रमण (UTI) या अन्य छोटी समस्याओं के कारण भी हो सकता है। लेकिन यह यूटेराइन कैंसर का संकेत भी हो सकता है। यह दर्द ट्यूमर की वजह से ब्लैडर पर दबाव पड़ने के कारण या फिर कैंसर प्रभावित कोशिकाएं मूत्र प्रणाली में फैल जाने के कारण हो सकता है।

urinate karte huye pain hota hai toh doctor ko zarur batayen.
अगर आपको पेशाब करते समय बार-बार दर्द का अनुभव हो रहा है, तो डॉक्टर से जरूर बात करें। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या हैं यूटेराइन कैंसर के अन्य लक्षण 

योनि से होने वाला रक्तस्राव
पेल्विक हिस्से में दर्द
यौन क्रिया के दौरान दर्द महसूस होना
अचानक वजन घटना

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युवा महिलाओं में भी बढ़ रहे हैं यूटेराइन कैंसर के मामले 

पहले यूटेराइन कैंसर वृद्ध महिलाओं को होता था। लेकिन वर्तमान में युवा, खासकर 30 से 40 साल की महिलाओं में भी यह बढ़ रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय महिलाओं में यूटेराईन कैंसर के ज्यादा मामले सामने आए।

महिलाओं के कैंसर में 4 प्रतिशत मामले यूटेराईन कैंसर के थे, जिससे पीड़ित युवा महिलाओं की संख्या बढ़ी। इसके मुख्य कारणों में मोटापा और जीवनशैली हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं

यूटेराइन कैंसर शुरू होते ही पकड़ में आ जाने से इलाज के परिणाम बेहतर हो जाते हैं। इसलिए लक्षणों को पहचानना और तुरंत मेडिकल परामर्श लेना बहुत आवश्यक होता है। निम्नलिखित लक्षण प्रकट होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए-

  1. मूत्रत्याग करते वक्त लगातार दर्द होना
  2. योनि से असामान्य रूप से रक्तस्राव होना
  3. पेल्विस में दर्द बने रहना
  4. योनि से स्राव निकलना
  5. मूत्रत्याग में परिवर्तन।

कैसे किया जाता है इसका निदान 

लक्षण प्रकट होने पर डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित परीक्षण कराए जा सकते हैंः

पेल्विस का परीक्षणः

यह परीक्षण गर्भ या अन्य प्रजनन अंगों में किसी भी विकार को महसूस करने के लिए किया जाता है।

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंडः

यह परीक्षण चित्रों द्वारा एंडोमेट्रियम की मोटाई देखने के लिए किया जाता है।

एंडोमेट्रियल बायोप्सीः

इसमें गर्भाशय की लाईनिंग से एक नमूना लेकर उसका पैथोलॉजिकल परीक्षण किया जाता है।

हिस्टेरोस्कोपीः

इसमें सीधे गर्भाशय के अंदर देखा जाता है।

Vaginal self examination
आपको एक उचित समय अंतराल पर वेजाइनल सेल्फ एग्जामिनेशन (Vaginal self examination) की आवश्यकता होती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

रोकथाम के उपाय और जागरुकता

यूटेराइन कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने, खासकर युवा महिलाओं के लिए जागरुकता और समय पर इलाज आवश्यक हैं। इसकी रोकथाम के कुछ उपाय हैंः

  1. नियमित जांच
  2. पेल्विस की वार्षिक जांच और पैप स्मियर
  3. परिवार में कैंसर का इतिहास रहने पर जेनेटिक काउंसलिंग और टेस्टिंग आवश्यक है।
  4. हार्मोन का स्तर नियंत्रित रखें। अगर मेनोपॉज़ के लक्षणों के दौरान जरूरत पड़े, तो अपने डॉक्टर से हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) लें। प्रोजेस्टेरोन के बिना एस्ट्रोजन से यूटेराईन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  5. गर्भनिरोधक गोलियां लंबे समय तक लेने से एंड्रोमेट्रियल कैंसर का जोखिम कम हो सकता है , क्योंकि वो हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करती हैं।
  6. जीवनशैली में सुधार
  7. पोषक आहार और नियमित व्यायाम द्वारा वजन को नियंत्रण में रखें।
  8. रिलैक्सेशन की तकनीकों और अभ्यास द्वारा तनाव को नियंत्रित करें।
  9. धूम्रपान न करें और मदिरा सेवन में संयम रखें।

चलते-चलते

भारत में खासकर युवा महिलाओं में यूटेराइन कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके बारे में जागरुकता, समय पर निदान एवं प्रभावी प्रबंधन बहुत आवश्यक हो गए हैं। लक्षणों को समय पर पहचानने और सही मेडिकल इलाज द्वारा इससे बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का मुख्य फोकस महिलाओं को इस समस्या के जोखिमों और लक्षणों के बारे में शिक्षित करने और जोखिमों को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने पर होना चाहिए।

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