जानें ब्रेन हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस के नाम – jaane brain health…
हम बात करेंगे ऐसे ही 5 वायरस के बारे में जो ब्रेन इन्फ्लेमेशन (brain inflammation) को बढ़ा देते हैं, और आपके लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसलिए इस प्रकार के वायरस से खुदको प्रोटेक्ट करना जरूरी है।
संक्रामक बीमारियों के बढ़ते खतरे से ब्रेन इंफ्लेमेशन बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती हैं। कुछ ऐसे वायरस हैं, जिनका सीधा प्रभाव आपके ब्रेन पर पड़ता है, और ब्रेन टिश्यू में सूजन आ जाती है। इसका सबसे सामान्य उदाहरण है “कॉविड-19″। ब्रेन इन्फ्लेमेशन (brain inflammation) की स्थिति में सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, लाइट के प्रति संवेदनशीलता और मेंटल कन्फ्यूजन के साथ ही आपमें दौरे पड़ने के लक्षण नजर आ सकते हैं (deadly virus for brain)।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ द्वारा 2015 में पब्लिश की गई स्टडी के अनुसार कुछ प्रकार के ऐसे वायरस संक्रमण हैं, जिनका मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। आज हम बात करेंगे ऐसे ही 5 वायरस के बारे में जो ब्रेन इन्फ्लेमेशन (brain inflammation) को बढ़ा देते हैं, और आपके लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसलिए इस प्रकार के वायरस से खुदको प्रोटेक्ट करना जरूरी है (deadly virus for brain)।
यहां जानें ब्रेन हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस के नाम (deadly virus for brain)
1. कॉविड-19 (comed-19)
कॉविड शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों केस में ब्रेन को प्रभावित कर सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कॉविड ब्रेन इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती है, जिसकी वजह से किसी भी कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आती है और आप अक्सर कंफ्यूज रहती हैं। इसके साथ ही साथ इसका असर मेमोरी पर भी पड़ता है। इस स्थिति को आमतौर पर “ब्रेन फॉग” के नाम से जाना जाता है (deadly virus for brain)।
कॉविड-19 वायरस की वजह से डिप्रैशन और एंजायटी जैसे मेंटल हेल्थ कंडीशंस का भी सामना करना पड़ सकता है। कॉविड में लोगों में स्ट्रोक्ड, डिप्रेशन, एंजायटी, साइकोसिस जैसे ब्रेन कंडीशंस के खतरे को बढ़ा दिया है।
2. डेंगू वायरस (dengue virus)
डेंगू वायरस में आमतौर पर जॉइंट और हड्डियों में दर्द, फीवर, जी मिचलाना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द महसूस होने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। वहीं डेंगू वायरस के DENV-2 और DENV-3 प्रकार के वायरस के संक्रमण की स्थिति में न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लिकेशंस का सामना करना पड़ सकता है। इनकी वजह से ब्रेन इन्फ्लेमेशन का खतरा बढ़ जाता है, वहीं लगातार नींद आते रहना, और दौरे जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
3. वेस्ट नाइल वायरस (West Nile virus)
विशेषज्ञों के अनुसार, ज़्यादातर मामलों में, वेस्ट नाइल वायरस जो मच्छरों के काटने से फैलता है और चकत्ते और मांसपेशियों में दर्द का कारण बनता है। लेकिन यह मस्तिष्क की सूजन या एन्सेफलाइटिस या रीढ़ की हड्डी की परत की सूजन जैसी जानलेवा बीमारी का कारण बन सकता है, जिसे मेनिन्जाइटिस के रूप में जाना जाता है।
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एक आर्बोवायरस, या एक ऐसा वायरस जो आपको आर्थ्रोपोड या इंसेक्ट में मिलता है, वेस्ट नाइल फ्लेविवायरस जीनस में एक आरएनए वायरस है। यह संक्रमित मच्छरों द्वारा फैलता है जो आपको काट कर संक्रमित कर सकते हैं। भारत में इसके कई केस सामने आए हैं, वहीं मई 2024 में केरल में 9 कंफर्म केस सामने आए, और 16 को सस्पेक्ट में रखा गया था। वहीं 2 मौत की खबर भी सामने आई थी।
4. रेबीज (rabies)
रेबीज एक खतरनाक वायरल संक्रमण है, जो रेबीज वायरस के कारण होता है। मुख्य रूप से यह आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर संक्रमित जानवरों, विशेष रूप से कुत्ते, चमगादड़ों और अन्य जानवरों के काटने और खरोंच से फैलता है। एक बार जब वायरस आपके शरीर में प्रवेश करता है, तो यह नसों के साथ मस्तिष्क तक जा सकता है, जिसकी वजह से ब्रेन में गंभीर सूजन हो जाति है। इसकी वजह से कई अन्य मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
5. एचआईवी वायरस (HIV वायरस)
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस के कई मामले सामने आ चुके हैं, वहीं अभी भी देश में इसके कोई एक्टिव मामले हैं। एचआईवी से पीड़ित लोगों में, एचआईवी संक्रमण से संबंधित संक्रमण ब्रेन और नर्वस सिस्टम के बाकी हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इससे व्यक्ति के सोचने और व्यवहार करने के तरीके में बदलाव आ सकता है। इसके अलावा, एचआईवी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट भी होते हैं, जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
नोट: किसी भी प्रकार के हानिकारक वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए सबसे पहले इसके बचाव के तरीकों पर ध्यान देना जरूरी है। उसके बाद भी यदि यह आपको संक्रमित कर देते हैं, तो उनके शुरूआतिक लक्षण को पहचान कर, फौरन इलाज शुरू करवाने से इसके खतरे को कम किया जा सकता है। जानकार बने, सावधान रहें और खुदको स्वस्थ रखें।
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