जानिए क्यों बरसात के मौसम में ज्यादा होने लगता है बुखार – Monsoon fever…
बरसात के मौसम में संक्रमणों का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से आपको बुखार हो सकता है। अकसर हम इन्हें घरेलू उपचारों के साथ डील करते हैं। मगर कभी-कभी लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं।
जुलाई का महीना जहां एक ओर गर्मी से तपते दिनों में राहत दिलाने वाली बारिश लाता है, जिससे तापमान कम होता है। वहीं कुछ रोग भी दबे पांव चले आते हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है बुखार। इन दिनों, मानसून बुखार (Monsoon fever) की समस्या बढ़ जाती है। ये बुखार कई तरह के होते हैं। कई तरह के वायरल इंफेक्शंस बारिश के महीनों में ज्यादा फैलते हैं। इन इंफेक्शंस का कारण कई तरह के वायरस होते हैं, जिनमें इंफ्लुएंज़ा (Influenza), एंटरोवायरस (Enterovirus) और एडिनोवायरस (Adenovirus) शामिल हैं। हालांकि सामान्य बुखार का आप घरेलू नुस्खों और कुछ परहेज से उपचार कर सकते हैं। मगर उपरोक्त वायरस के लक्षणों को पहचानकर आप यह तय कर सकते हैं कि आपको कब डॉक्टर से परामर्श करना है।
कभी बारिश में भीग जाने पर, कभी ज्यादा गर्मी के कारण, तो कभी पानी की कमी भी बुखार का कारण बन सकती है। मगर इस मौसम में वायरस का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी तरह के बुखार जो लगातार दो से तीन दिन तक बना रहता है, इग्नोर नहीं करना चाहिए। इस बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ नेहा रस्तोगी पांडा से बात की। डॉ नेहा फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में कंसल्टेंट इंफेक्शियस डिजीज हैं।
क्यों बरसात के मौसम में बढ़ जाते हैं बुखार के मामले (Monsoon fever)
डॉ नेहा कहती हैं, “बहुत से रोगों/इंफेक्शंस की ही तरह, यह भी वायरस के कारण फैलता है जिनमें इंफ्लुएंज़ा, एंटरोवायरस और एडिनोवायरस शामिल हैं। इन रोगों के लक्षणों को पहचानकर यह तय किया जाता है कि मेडिकल सहायता कब लेनी चाहिए।
वास्तव में यह अपने आप में कोई रोग नहीं है, बल्कि इसमें कई तरह के वायरल इंफेक्शन शामिल होते हैं। जो मानूसन के दिनों में अलग-अलग समय पर बढ़ सकते हैं। बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ने और रुके हुए पानी के कारण तरह-तरह के वायरल इंफेक्शन और मच्छरों के कारण भी कई रोग फैलते हैं। जिनके साथ व्यक्ति को बुखार हो सकता है।”
इन लक्षणों पर ध्यान देना है जरूरी (Monsoon fever symptoms)
1 बुखार (High temperature)
यह मानसून बुखार के प्रमुख लक्षणों में से है जिसमें हल्के से सामान्य बुखार की शिकायत होती है। आमतौरपर शरीर का तापमान 100°F से 102°F तक रहता है। कभी-कभी बुखार के साथ कंपकंपी भी हो सकती है और बुखार कई दिनों तक बना रह सकता है।
2 सांस संबंधी लक्षण (Breathing issue)
कई बार मानसून बुखार से पीड़ित लोगों को सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनके लक्षण फ्लू या साधारण जुकाम से मिलते-जुलते होते हैं। लगातार खांसी, गले में दर्द और नाक बंद होने की शिकायत भी बनी रहती है। हालांकि ये लक्षण आमतौर से गंभीर नहीं होते, लेकिन इनकी वजह से रोगी को कुछ न कुछ बेचैनी हो सकती है।
3 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं (Gastrointestinal issues)
मानसून बुखार की वजह से आहार नली में परेशानी पैदा हो सकती है। ऐसे में रोगी को उल्टी या दस्त की शिकायत भी हो सकती है। इन लक्षणों की वजह से शरीर में पानी की कमी (Dehydration) भी हो जाती है, इसलिए जब भी इस प्रकार की समस्याएं हों तो पानी की कमी न होने दें।
4 शरीर में दर्द और थकान (Fatigue and bodyache)
मानसून बुखार में आमतौर पर मरीज अच्छा नहीं महसूस करते और शरीर में दर्द (Body pain) तथा थकान (Fatigue) भी तंग करती है। हालांकि डेंगू बुखार (Dengue fever) की तुलना में यह कम घातक रोग है, लेकिन इसकी वजह से आप खुद को बेकार और यहां तक की रोजमर्रा के काम करने में भी असमर्थ पाते हैं।
बरसात के मौसम में होने वाले बुखार का उपचार हैं ये घरेलू उपाय (Monsoon fever home remedies)
मानसून बुखार के ज्यादातर लक्षण हल्के-फुल्के ही होते हैं जिनका उपचार आसानी से घर में आराम करके ही किया जा सकता है। कुछ महत्वपूर्ण नुस्खे इस प्रकार हैंः
- शरीर में पानी की कमी नहीं होने देंः अगर आपको बुखार है या पेट की तकलीफ भी है, तो काफी मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
- आराम करेंः अच्छी तरह से आराम करने पर आप अपने शरीर में इंफेक्शन को पनपने से रोक सकते हैं।
- स्वच्छता बनाए रखेंः आपको हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि इस वायरस के संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पर्सनल हाइजिन का खासतौर से ख्याल रखना चाहिए। नियमित रूप से अपने हाथों को धोएं, खांसते और छींकते समय अपने मुंह/नाक को ढकें, पूरी तरह से ठीक होने तक दूसरों के संपर्क में आने से बचें।
जानिए कब है मानसून बुखार में डॉक्टरी सहायता की जरूरत (When to seek medical help)
डॉ नेहा कहती हैं, “मानसून बुखार के ज्यादातर मामले आमतौर से माइल्ड होते हैं, लेकिन मरीजों को यह जानना जरूरी है कि मेडिकल सहायता कब लेनी चाहिए।” यहां कुछ सामान्य लक्षणों की जानकारी दी जा रही हैः
1 बहुत अधिक तापमानः
यदि आपका तापमान 102°F या अधिक हो जाए और तीन दिनों तक बना रहे, तो आपको किसी योग्य चिकित्सक से सलाह करनी चाहिए। यह किसी गंभीर इंफेक्शन की निशानी हो सकता है जिसके लिए तुरंत डॉक्टरी सहायता लेना जरूरी होता है।
2 लक्षण गंभीर होने पर
उदाहरण के लिए, गंभीर रूप से सिरदर्द, सांस फूलना/उखड़ना, सीने में दर्द या पेट में तेज दर्द उठना।
3 शरीर में पानी की कमी (Dehydration)
मुंह सूखना, थकान महसूस होना, सामान्य से अधिक गाढ़ा पेशाब आना या चक्कर आना जैसी समस्या हो तो समझ लें कि आप डीहाइड्रेशन के शिकार हैं। पेट खराब होने पर जब शरीर में तरल पदार्थों को रोकना मुश्किल हो, तो भी गंभीर डीहाइड्रेशन से बचने के लिए मेडिकल सलाह लेने में देरी नहीं करनी चाहिए।
4 लक्षण जो खत्म होने का नाम न लें (prolong symptoms)
अगर आपके लक्षण सात दिनों तक भी बने रहें या समय के साथ और गंभीर होते जाएं, तो आपको क्वालीफाइड हेल्थकेयर एक्सपर्ट से मिलना चाहिए। लक्षणों का ज्यादा समय तक जारी रहना किसी सेकंडरी इंफेक्शन या अन्य किसी ऐसी कंडीशन की निशानी होता है जिसका इलाज करवाना जरूरी होता है।
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