8000 रुपये में बिक रहा ये पत्थर, लोग खरीदने के लिए हो रहे पागल, जानिए क्यों?
पत्थर को पालतू बनाने के लिए 8 हजार रुपये खर्च कर रहे हैं लोग
कई बार इंसान का शौक उसे अलग बनाता है और यही काम कई बार ट्रेंड बन जाता है. यही कारण है कि कई बार हम इंसानों के सामने अजीबोगरीब ट्रेंड देखने को मिलते हैं. ऐसा ही एक ट्रेंड इन दिनों मार्केट में चल रहा है. जहां लोग कुत्ते या बिल्ली को नहीं बल्कि पत्थरों को पालतू बना रहे हैं. सुनने में आपको ये आपको ये बात थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी, लेकिन ये पूरी तरीके से सच है. हैरानी की बात तो ये है कि शौक 50 साल पुराना है, लेकिन चर्चा में अब चल रहा है.
ये कहानी उस समय शुरू हुई जब गैरी डाहल नाम के एक शख्स ने जब अपने दोस्तों को उनके पालतू जानवरों के बारे में शिकायत करते हुए सुना और इसी समय उनके जहन में पेट रॉक का ख्याल आया है. जिसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों से कहा कि तुम लोगों को ऐसे पालतू जानवर रखने चाहिए जो पत्थर की तरह हो और सिर्फ सजावटी हो, तो क्यों न लोग पेट की जगह पेट रॉक को घरों में रखो. इसका फायदा ये है कि इन्हें नहाने, खिलाने और घुमाने की कोई जरूरत नहीं है और कम पैसों में आपका मन बहलाने के लिए काफी है.
फिर से क्यों शुरू हुआ इसका क्रेज?
ऐसा ही कुछ कहते हुए उन्होंने 1970 में गैरी डहाल ने पेट रॉक बेचने की शुरुआत की. पेट रॉक का क्रेज देखते ही देखते एक सनक के रुप में तब्दील हो गई. जिस कारण गैरी ने इससे खूब पैसे बनाए.
बता दें कि पेट रॉक एक चिकना पत्थर होता है. ये जब पहली बार मार्केट में बिकने के लिए आया तो इसके अंदर पुआल के बिस्तर रखे हुए थे और इस तरीके से तैयार किया गया था कि मानो ये कोई पेट हो! इसके साथ ही स्वाभाविक रूप से सांस लेने के लिए हवा के छेद भी बनाए गए थे.
बोर्ड के साथ ये भी बताया गया था कि आने वाले कई सालों तक आपका समर्पित दोस्त और साथी रहेगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये मरेगा नहीं, बीमार नहीं होगा नहीं होगा और इसकी लाइक काफी लंबी है इसलिए आप दोनों को कभी अलग नहीं होना पड़ेगा. इस पैकेजिंग के साथ ही एक बुक दी गई थी, जिसमें ये बताया गया था कि कैसे आप इसका ख्याल रखेंगे. इतना सबकुछ दिसंबर 1975 के क्रिसमस सीजन के दौरान पेट रॉक बिक्री में काफी वृद्धि हुई. इसके बाद इसकी लोकप्रियता खत्म हो गई. 2022 में खिलौना कंपनी सुपर इंपल्स ने इसके राइट्स खरीद लिए और इसे दोबारा से पुनर्जीवित कर दिया और अब ऐसा ही इनकी डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है और लोग इसके लिए मुंहमांगी कीमत देने को तैयार है.