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बार बार हड़ताल से कुसमुंडा खदान का काम हो रहा प्रभावित, समस्या समाधान को लेकर स्थानीय प्रतिनिधि नहीं आ रहे सामने

कोरबा। कुसमुंडा खदान में होने वाली हड़ताल के कारण कोयला खनन पर बुरा असर पड़ रहा है। कंपनी को कोयला खनन के लिए जरूरी जमीन भी नहीं मिल पा रही है इससे स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। प्रबंधन को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी समस्या समाधान को लेकर आगे नहीं आ रहे हैं। समस्या का समाधान को लेकर पिछले महीने 28 अक्टूबर को कटघोरा एसडीएम की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारी, ठेका कंपनी के प्रतिनिधि और कोयला खदान से प्रभावित गांव के पंच-सरपंच या वार्ड पार्षद शामिल थे। बैठक में भूविस्थापितों की समस्या के समाधान को लेकर एसडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी को निर्णय लेने के लिए कहा गया था। इस पर चर्चा के लिए बुधवार 13 नवंबर को कटघोरा के अनुविभागीय कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया। लेकिन इस बैठक में कोयला खदान से प्रभावित गांव के लोगों के जनप्रतिनिधि सीमित संख्या में शामिल हुए। तीन से चार प्रतिनिधि ही उपस्थित हुए। इससे खदान से प्रभावित लोगों की समस्या पर सार्थक चर्चा नहीं हो सकी। बैठक में जनप्रतिनिधियों के शामिल नहीं होने पर एसईसीएल प्रबंधन ने नाराजगी जताई है और कहा है कि बैठक में नहीं आने से ऐसा प्रतीत होता है कि जनप्रतिनिधि ग्रामीणों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इससे समाधान के रास्ते नहीं निकल रहे हैं। कंपनी ने कहा है कि समस्या के समाधान को लेकर बैठक में सभी पक्षों को आने की जरूरत है ताकि हल निकाला जा सके। गौरतलब है कि कोयला खदान में भूविस्थापितों की ओर से कई संगठन सक्रिय हैं और खुद को भूविस्थापितों का हितैषी बताते हैं। इनकी ओर से आए दिन खदान से प्रभावित क्षेत्रों में धरना प्रदर्शन या आंदोलन किया जाता है। इससे उत्पादन प्रभावित होता है। कंपनी की मांग है कि समस्या के समाधान को लेकर गठित समिति की बैठक में सभी पक्ष शामिल हों।

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