अपने पिता से सीख लो…शिवराज के बेटे और दिग्विजय सिंह की जुबानी जंग कहां तक… – भारत संपर्क

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अपने पिता से सीख लो…शिवराज के बेटे और दिग्विजय सिंह की जुबानी जंग कहां तक… – भारत संपर्क

शिवराज के बेटे और दिग्विजय सिंह की जुबानी जंग कहां तक पहुंची?
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान के बीच जुबानी जंग सुर्खियों में है. दिग्विजय सिंह ने जहां कार्तिकेय को अपने पिता शिवराज से सीखने की सलाह दी है. वहीं कार्तिकेय ने कहा है कि दिग्विजय सिंह मेरी बात सुनते हैं, वही सौभाग्य की बात है.
पहले समझिए क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश के बुधनी में विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. यह सीट शिवराज सिंह चौहान के सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई है. यहां से बीजेपी ने शिवराज के करीबी रमाकांत भार्गव को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय के करीबी राज कुमार पटेल मैदान में हैं.
रमाकांत भार्गव के कैंपेन के दौरान ही कार्तिकेय ने एक भाषण दिया, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. कार्तिकेय ने कहा कि अगर कांग्रेस आएगी तो विकास की एक भी ईंट नहीं लग पाएगी.
उन्होंने यहां तक कह दिया कि बुधनी अगर हम हार जाते हैं तो किस मुंह से विकास की बात कहेंगे? कार्तिकेय के इस वीडियो पर दिग्विजय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा.
दिग्विजय ने कहा कि कार्तिकेय को इस तरह के भाषण देने से पहले अपने पिता से सीख लेनी चाहिए. लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों मिलकर भारत निर्माण में सहयोग करते हैं. 10 साल तक मैं भी मुख्यमंत्री रहा हूं, लेकिन मैंने इस प्रकार की भाषा का कभी उपयोग नहीं किया. आपके पिता गवाह हैं.
दिग्गी राजा ने आगे लिखा- पंचायती राज कानून में निर्माण काम करने के जिम्मेदारी सरपंच की होती है ना की विधायक की. कार्तिकेय अभी न तो विधायक हैं और न ही सरपंच.
कार्तिकेय ने दिग्विजय को जवाब दिया
पत्रकारों ने जब इसको लेकर कार्तिकेय से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह 10 साल मुख्यमंत्री रहे हैं. कांग्रेस के महासचिव रहे हैं और काफी सीनियर नेता हैं. वे मेरा भाषण सुनते हैं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मैं विकास की बात करता हूं, जो कांग्रेस के लोग नहीं करते हैं.
कार्तिकेय के लड़ने की चर्चा थी
शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई बुधनी सीट पर कार्तिकेय के लड़ने की चर्चा थी. 2023 के विधानसभा चुनाव में कार्तिकेय ने ही यहां पर मोर्चा संभाला था. हालांकि, आखिरी वक्त में टिकट रमाकांत भार्गव को दे दी गई.
कार्तिकेय शिवराज के बड़े बेटे हैं और लंबे वक्त से भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय हैं.

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