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लिथियम खदान से शहरी इलाका नहीं होगा प्रभावित, गोड़मा नाला के पार जंगल और अधिकांश सरकारी जमीन पर मिला कंपोजिट लायसेंस

 

कोरबा। कटघोरा-पोड़ी के मध्य इलाके में लिथियम खनिज भंडार मिला है। इसके खनन का अनुबंध मैकी साउथ नामक कम्पनी से हुआ है। कटघोरा लिथियम एंड री ब्लॉक के कुल रकबा 256.12 हेक्टेयर क्षेत्र पर कंपोजिट लायसेंस के लिए राज्य शासन द्वारा स्वीकृति दी गई है। स्वीकृत कंपोजिट लायसेंस का को-ऑर्डिनेट्स दर्शित मानचित्र के अनुसार कटघोरा शहर का इलाका बिल्कुल भी प्रभावित होता नजर नहीं आ रहा है।
इसके पहले शुरुआती दौर में जब यह बात सामने आई थी कि एक खनिज सर्वेक्षण के दौरान कटघोरा ब्लॉक के ग्राम महेशपुर इलाके में लिथियम खनिज के भंडार का पता चला है, तब जोर-जोर से प्रसारित हुआ कि ग्राम महेशपुर, नवागांव, झाबुकला, रामपुर आदि इलाके इस खदान क्षेत्र में पूरी तरह से समाहित हो जाएंगे। इन सारे गांव के साथ-साथ कटघोरा शहर का इलाका भी खदान के दायरे में आने से आने वाले समय में विस्थापन की समस्या उत्पन्न होगी। साथ ही खदान क्षेत्र होने के कारण तथा भविष्य में भूमि अधिग्रहण होने के मद्देनजर उक्त एरिया के आसपास की जमीनों की खरीदी-बिक्री रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई। हालांकि इस बीच कुछ चालाक लोगों ने टुकड़ों में जमीनों की रजिस्ट्री/बटांकन भी इसलिए कराना शुरू कर दिया, ताकि उन्हें मुआवजा ज्यादा मिले। ज्यादा मुआवजा पाने की मंशा के साथ-साथ उजड़ने का भय भी लोगों के बीच कायम रहा है। इस बीच यह जानकारी सामने आई है जिसमें सूचना का अधिकार के तहत मांगे जाने पर प्रभावित क्षेत्र का नक्शा प्रदान किया गया है। इस नक्शे के आधार पर इतना तो स्पष्ट हो चुका है कि लिथियम खदान में शहर क्षेत्र का कोई भी इलाका प्रभावित नहीं हो रहा है। नक्शे में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बनाए गए ब्लॉक के भीतर पूरा जंगल क्षेत्र है और मेन पावर लाइन यहां से गुजरी है। खदान के बॉर्डर पर ग्राम घरीपखना, घुंचापुर, नवापारा के थोड़े बहुत इलाके आना संभावित है। लगभग 70 से 80 एकड़ कृषि भूमि इस खदान के दायरे में अधिग्रहण किए जाने की संभावना है। इसके अलावा शेष भूमि वन और राजस्व की है। ऐसे में उन लोगों की उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है जो ज्यादा मुआवजा के लालच में जमीनों की टुकड़ों में रजिस्ट्री कराए बैठे हैं या फिर बटांकन/ नामांतरण कराया गया है।
वहीं इस नक्शा के सामने आने के बाद अब कटघोरा शहरवासियों और आसपास के लोगों की चिंता लगभग खत्म है कि उन्हें विस्थापित होना पड़ेगा। क्षेत्र वासियों के बीच से यह खबर और उम्मीद निकाल कर सामने आ रही है कि जब खदान में क्षेत्र प्रभावित नहीं हो रहा है तो जमीनों की खरीदी- बिक्री, रजिस्ट्री पर लगी प्रशासनिक रोक हटाया जाना न्यायोचित होगा।

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