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लोक अदालत का सार ना जीत ना हार, द्वितीय हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन, 147872 प्रकरणों का हुआ निराकरण
कोरबा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर शनिवार को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन संतोष शर्मा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्षता में शुभारंभ किया गया। उक्त अवसर में नीता यादव, न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा, संतोष कुमार आदित्य, प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, गरिमा शर्मा, द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, डाॅ ममता भोजवानी, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. (पाॅक्सो) कोरबा, सुनील कुमार नन्दे, तृृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, अविनाश तिवारी, श्रम न्यायाधीश, श्रम न्यायालय कोरबा, सीमा प्रताप चंद्रा, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.) कोरबा, शीलू सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा, सत्यानंद प्रसाद, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी कोरबा, कु. डाॅली ध्रुव, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी कोरबा, कु. कुमुदिनी गर्ग, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा, लव कुमार लहरे, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा, गणेश कुलदीप अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, जिला अंधिवक्ता संघ के अन्य पदाधिकारियों तथा न्यायालयीन कर्मचारीगण उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में कुल 439245 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 6144 एवं प्री-लिटिगेशन के 433101 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 147872 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली व छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार एवं संतोष कुमार शर्मा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में व्यवहार न्यायालय कटघोरा में नेशलन लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय कटघोरा में कुल 05 खण्डपीड क्रियाशील रहा। उक्त खण्डपीठों में विभिन्न राजीनामा योग्य दांडिक एवं सिविल प्रकृति के प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ।