लोकसभा चुनाव 2024: बिहार में चाचा भतीजे को साध ले गई BJP, किसको नफा, किसको…

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लोकसभा चुनाव 2024: बिहार में चाचा भतीजे को साध ले गई BJP, किसको नफा, किसको…

लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 400 सीट और बिहार की 40 सीटों पर जीत का टारगेट रखा है. बीजेपी बिहार में अपनी पूरी ताकत लगा रही है, लेकिन बिहार में साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी को सहयोगी पार्टियों को मनाने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है, क्योंकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में तीन सहयोगी पार्टियां बीजेपी, जदयू और लोकजन शक्ति पार्टी थीं, लेकिन साल 2024 के चुनाव में एनडीए के घटक दलों की संख्या बढ़ गई है और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है.

चाचा-भतीजे के बीच आपसी लड़ाई से एनडीए को नुकसान हो सकता है. बीजेपी नेताओं को इसका अहसास है. इस कारण सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने इसके बीच का रास्ता निकाला है और चिराग पासवान को लोकसभा की पांच सीटें और पशुपति पारस को राज्यपाल पद का ऑफर दिया गया है और सांसद प्रिंस राज को बिहार में मंत्री बनाया जा रहा है.सूत्रों का कहना है कि इस पर सहमति भी बन गई है.

अगर बीजेपी का यह फॉर्मूला चिराग पासवान और पशुपति पारस ने स्वीकार कर लिया, तो बीजेपी में चाचा-भतीजे की लड़ाई का एक सफल रास्ता निकल सकता है, क्योंकि इससे पासवान वोटों के विभाजन का खतरा टल जाएगा,

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दूसरी ओर, रामविलास पासवान के बेटे होने के कारण बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की पकड़ है और पशुपति पारस का भी प्रभाव है. इससे दोनों के समर्थक आपस में मतभेद भुलाकर एक-दूसरे के पक्ष में वोट करेंगे और इसका फायदा कुल मिलाकर कर एनडीए को ही होगा.

चाचा-भतीजा को BJP ने साधा

ऐसा माना जाता है कि चिराग पासवान बिहार में अपने पिता के 5-6 प्रतिशत पासवान वोटों का सबसे बड़ा हिस्सा विरासत में मिला है. इससे पता चलता है कि बीजेपी उन्हें क्यों चाहती है. बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 22 उप-जातियों में विभाजित है, लेकिन चिराग का महत्व इस तथ्य में निहित है कि रामविलास पासवान के समर्थकों को उन्हें वोट मिलना पक्का है.

वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क बताते हैं कि पिछली बार के चुनाव एनडीए ने एलजेपी को छह सीटें दी थी. इसमें पांच लोकसभा की सीटें दी गई थी और रामविलास पासवान को राज्यसभा की सीट दी गई थी, लेकिन इस चुनाव में एलजेपी दो गुटों में बंट गई है. एक का नेतृत्व पशुपति पारस कर रहे हैं, तो दूसरे का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के तीन घटक दल एलजेपी, बीजेपी और जदयू थे, लेकिन इस चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्यूलर), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा, एलजेपी के दो गुट और यदि मुकेश सहानी वीआईपी पार्टी शामिल होती है, तो कुल मिलाकर छह से सात सहयोगी पार्टियां हो जाएंगी. साल 2019 में एनडीए ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी और अब 40 सीटों पर जीत का पार्टी ने टारगेट रखा है और बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा रही है.

एक तीर से साधे कई निशान

बिहार में सीटों के बंटवारे का अंकगणित सलुझाना कोई सरल काम नहीं है, लेकिन बीजेपी सालों भर चुनाव को लेकर काम करती है. ऐसे में उसके लिए कोई टेढ़ी खीर नहीं है और बीजेपी ने इसका फॉमूला खोज लिया है.

बीजेपी ने चिराग पासवान की एलजेपी को पांच सीटें, जीतनराम मांझी की पार्टी हम को एक सीट, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम को एक सीट देने पर सहमति बनी है. इसके साथ ही चिराग पासवान के हाजीपुर पर दावे को मान लिया गया है. इसके साथ चिराग पासवान को पांच सीटें देने पर सहमति बनी है. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

वहीं, पशुपति पारस को राज्यपाल पद का ऑफर दिया गया है. पशुपति पारस को राजग से लोकसभा की एक भी सीट नहीं दी जा रही है. बीजेपी ने समस्तीपुर के सांसद प्रिंज राज को बिहार सरकार में मंत्री बनाने के साथ-साथ पशुपति पारस को राज्यपाल पद का ऑफर दिया है. बता दें कि जब बिहार में 2021 में एलजेपी टूटी थी. तो उस समय प्रिंस राज पशुपति पारस के साथ चले गए थे.

उल्लेखनीय है कि बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की चिराग पासवान और मंगल पांडेय के साथ बैठक हुई थी. इसके पहले मंगल पांडेय ने पशुपति पारस से मुलाकात की थी. मिली सूचना के अनुसार चिराग पासवान हाजीपुरप से चुनाव लड़ सकते है. जबकि वैशाली, जमुई या गोपालगंज, खागड़िया और नवादा की सीट चिराग पासवान को मिल सकती है.

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