Low intensity exercise mental health ko kare boost,- लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज…

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Low intensity exercise mental health ko kare boost,- लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज…

शारीरिक गतिविधि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित बनाए रखने में मदद करती हैं। मगर जब बात मेंटल हेल्थ की आती है, तो हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज से ज्यादा फायदेमंद साबित होती हैं लो इंटेसिटी एक्सरसाइज

अधिकतर लोगों के मुताबिक व्यायाम का अर्थ उच्च.ऊर्जा वाली ऐसी एक्टीविटी से होता है, जिसे करने के दौरान खूब पसीना बहाया जाता है। दरअसल, शारीरिक गतिविधि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित बनाए रखने में मदद करती हैं। मगर जब बात मेंटल हेल्थ की आती है, तो हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज से ज्यादा फायदेमंद साबित होती हैं लो इंटेसिटी एक्सरसाइज। यानी ऐसे व्यायाम जिन्हें आप आराम से एन्जॉय करते हुए करते हैं। इसके चलते शरीर में तनाव और एंग्ज़ाइटी का जोखिम कम हो जाता है। खासतौर से ऐसे लोग जो सिडैंटरी लाइफस्टाइल को अपनाते हैं, उनके लिए ये बेहद कारगर हैं। जानते हैं लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ किस प्रकार से है मानसिक स्वास्थ्य के लिए कारगर।

न्यूरोसाइंस और बायोबिहेवियरल रिव्यू में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार शारीरिक गतिविधि पर फोकस करने से तनाव के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है और एंग्जाइटी के मामलों में भी कमी आई है। ये रिसर्च पुरूषों पर आधारित नहीं था बल्कि उम्र, जेंडर लिंग और भौगोलिक स्थिति के अनुरूप था।

नियमित एक्सरसाइज़ मानसिक और शारीरिक फिटनेस में सुधार करने में मदद करती हैं। इससे न केवल तनाव को दूर किया जा सकता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद मिलती है।

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इससे आपके बॉडी में कोर्टिसोल का स्तर सिमित रहता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

क्या होता है आपके मूड पर लो इंटेसिटी एक्सरसाइज का प्रभाव

दरअसल, लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ से कॉग्नीटिव फंक्शन में सुधार आने लगता है। इससे शरीर में फील.गुड हार्मोन एंडोर्फिन रिलीज़ होने लगता है। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है और माइंड रिलैक्स हो जाता है।

इस बारे में संस्थापक निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक, मनस्थली डॉण् ज्योति कपूर बताती हैं कि उच्च तीव्रता वाले व्यायाम से तनाव के लक्षणों में गंभीरता बढ़ सकती है। ऐसे में लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल करने से सिजोफ्रेनिया के 27 फीसदी मामलों में कमी देखने को मिलती है। इसके अलावा लैंसेट साइकेटरी के 2021 के रिसर्च के मुताबिक एरोबिक या लो इंटेसिटी व्यायाम से मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है। इसके अलावा रस्सी कूदना, मुक्केबाजी और वेट लिफ्टिंग फायदेमंद है।

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डॉ ज्योति कपूर का कहना है कि नियमित रूप से लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ करने से शरीर में न्यूरोकेमिकल्स रिलीज़ होने लगते हैं। इससे शरीर में डोपामाइन, सेरोटोनिन और एंडोर्फिन का प्रभाव बढ़ने लगता हैं। सेरोटोनिन मूड को स्थिर करता है, डोपामाइन खुशी की भावनाओं को बढ़ाता है और एंडोर्फिन सेल्फ इस्टीम को बढ़ाता है। वे लोग जो रोज़ाना एक्सरसाइज़ करते है, उन्हें अपने रूटीन को मेनेज करने में मदद मिलती है। इसके अलावा माइंड में सकारात्मकता का विकास होने लगता है।

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1 मूड स्विंग से राहत मिलती है

मेंटल हेल्थ फाउनडेशन के अनुसार सप्ताह में 3 से 5 दिन लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ करने से व्यवहार में सकारात्मकता बढ़ने लगती है। साथ ही मूड बूस्टिंग में मदद मिलती है। इससे तनाव का बढ़ता स्तर कम होने लगता है और शरीर एक्टिव और हेल्दी बना रहता है।

2 नींद की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है

लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ फुल बॉडी एक्सरसाइज़ कहलाती है। इससे शरीर के मसल्स मज़बूत बनते हैं और नींद न आने की समस्या हल होने लगती है। एक्सरसाइज़ से शरीर में थकान बढ़ती है, जिससे गुड केमिकल हार्मोन रिलीज़ होते है। इससे नींद न आने की समस्या से राहत मिल जाती है।

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लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ फुल बॉडी एक्सरसाइज़ कहलाती है। इससे शरीर के मसल्स मज़बूत बनते हैं और नींद न आने की समस्या हल होने लगती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

3 एंग्ज़ाइटी कंट्रोल रहती है

दिन की शुरूआत लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ से करने से जीवन में अनुशासन आने लगता है। सेल्फ अवेयरनेस बढ़ने लगती है और किसी भी कार्य को समय पर पूरा किया जा सकता है। इससे व्यवहार में बढ़ने वाली झुंझलाहट और एंग्ज़ाइटी कम होने लगती है।

4 मेमोरी में सुधार होता है

एक्सरसाइज़ करने में वेटलॉस में मदद मिलती है और एकाग्रता भी बढ़ने लगती है। वे लोग जो नियमित रूप से व्यायाम करते है, उनमें डिमेंशिया और सीज़नल अफेक्टिड डिसऑर्डर का खतरा कम हो जाता है। दिनभर में 10 से 15 मिनट की एक्सरसाइज़ ब्रेन को स्टीम्यूलेट करने में मदद मिलती है।

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1 हल्की वॉक का आनंद लें

दिनभर में 30 मिनट की वॉक शरीर के लिए फायदेमंद साबित होती है। दरअसल, वॉक की गिनती लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ में की जाती है। इसमें लगातार 30 मिनट तक वॉक करने की जगह दिन में दो बार 15 मिनट की वॉक या तीन बार बार 10 मिनट की वॉक कर सकते हैं। किसी पार्क, मॉल, ट्रेडमील या फिर घर में वॉक कर सकते हैं। सैर करने के दौरान शरीर को रिलैक्स रखें। इससे न केवल रीढ़ की हड्डी को मज़बूती मिलती है बल्कि मेंटल हेल्थ बूस्ट होने लगता है।

2 स्वीमिंग करें

फुल बॉडी एक्सरसाइज़ के लिए स्वीमिंग को चुनें। इससे मसल्स रिलैक्स होने लगते हैं और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। रोज़ाना करने से तनाव का स्तर कम होने लगता और नकारात्मकता से राहत मिल जाती है। गर्मी के मौसम में स्वीमिंग करने से लू के खतरे से भी बचा जा सकता है। इससे मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और चोटिल होने का खतरा कम होने लगता है।

3 साइकिल चलाएं

कुछ देर साइकल चलाने से मूड स्विंग से बचा जा सकता है। इसे करने से मस्तिष्क में फील गुड हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं, जिससे तनाव और एंग्ज़ाइटी से राहत मिलती है। नियमित रूप से साइकलिंग करने से सेल्फ इस्टीम की भावना भी विकास होने लगता है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द की समस्या से राहत मिल जाती है।

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कुछ देर साइकल चलाने से मूड स्विंग से बचा जा सकता है। इसे करने से मस्तिष्क में फील गुड हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं चित्र : अडोबी स्टॉक

4 अपना पसंदीदा योगाभ्यास करें

निरोगी काया पाने के लिए योग बेहतरीन विकल्प है। दिन में 10 मिनट योग करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को राहत मिलती है। योगासनों का अभ्यास करने से शरीर के साथ साथ ब्रेन भी एक्टिव होने लगता है। इन्हें करने से सांस पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है और शांति व सुकून की प्राप्ति होती है। इससे मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है।

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