मध्य प्रदेश को एक साल में मिलेगा तीसरा वन मंत्री, रामनिवास रावत का इस्तीफा … – भारत संपर्क
राज्यपाल और सीएम मोहन यादव के साथ रामनिवास रावत. (फाइल फोटो)
मध्य प्रदेश की विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हार के बाद रामनिवास रावत का इस्तीफा मंजूर हो गया है. रामनिवास रावत ने वन मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, जो अब स्वीकार हो गया है. उपचुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव विदेश दौरे पर थे. उनके विदेश दौरे से लौटने के बाद 2 दिसंबर को रावत के इस्तीफे को अनुशंसा के लिए राज्यपाल मंगू भाई पटेल के पास भेजा गया था.
सीएम मोहन यादव की अनुशंसा के बाद राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने रामनिवास रावत का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. 12 दिन बाद रावत का इस्तीफा मंजूर हो गया है. इस्तीफा मंजूर होने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि अब नया वन मंत्री कौन होगा? प्रदेश का वन महकमा किसके हिस्से में आएगा? इसको लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
नागर सिंह चौहान भी कर रहे दावेदारी
बीते दिनों पूर्व वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने दिल्ली में हाजिरी लगाई थी. वन विभाग वापस दिए जाने की भी अपनी दावेदारी पेश की थी. उन्होंने मीडिया में भी कहा था कि फिर से जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हूं. सीएम और संगठन जो जिम्मेदारी देगा, उसे निभाऊंगा.
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह बार के विधायक और मंत्री रहे रामनिवास रावत ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था. सशर्त आए रावत को मंत्री भी बनाया गया. वन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. लोकसभा चुनाव में रावत की वजह से कई क्षेत्रों में पार्टी को फायदा हुआ भी लेकिन विधानसभा चुनाव में उनका खुद का नुकसान हो गया.
एक साल में मिलेगा तीसरा वन मंत्री
मोहन यादव केबिनेट में पहले नागर सिंह चौहान को वन मंत्री बनाया था. उनसे विभाग वापस लेकर दल बदलकर आए रामनिवास रावत को वन मंत्री बनाया गया. मगर, रामनिवास विजयपुर उपचुनाव में हार गए. इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. अब वन विभाग पर कई मंत्रियों की निगाहें टिकी हुई हैं.
वन विभाग को लेकर कई मंत्री दावेदारी कर रहे हैं. सियासी गलियारों में पूर्व वन मंत्री नागर सिंह चौहान और कुंवर विजय शाह के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं. जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की थी. पिछली शिवराज सरकार में विजय शाह के पास वन विभाग था.
15 मिनट में दो बार ली थी मंत्री पद की शपथ
मध्य प्रदेश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी विधायक को 15 मिनट के अंदर दो बार मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. इसकी वजह भी दिलचस्प रही. सिर्फ ‘के’ शब्द नहीं बोलने की वजह से विधायक रामनिवास रावत को ऐसा करना पड़ा था.
दरअसल, रामनिवास रावत को राजभवन में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई जानी थी. राजभवन को दी गई सूचना से लेकर सभी दस्तावेज में कैबिनेट मंत्री का जिक्र था. रावत शपथ लेने के दौरान बड़ी गलती कर गए थे. शपथ पत्र में उन्हें राज्य के मंत्री के रूप में शपथ लेने की बात लिखी गई लेकिन उन्होंने इसे राज्यमंत्री पढ़ दिया. गलती सुधार कर दोबारा शपथ दिलाई गई. इसके चलते रामनिवास रावत को 15 मिनट में दो बार शपथ दिलवाई गई.