होली में रंगों का बाजार प्रकृति के साथ चलने को तैयार, पलाश…- भारत संपर्क
होली में रंगों का बाजार प्रकृति के साथ चलने को तैयार, पलाश के फूलों से इस बार चढ़ेगा होली का रंग
कोरबा। इस बार होली में रंगों का बाजार प्रकृति के साथ चलने की तैयारी कर रहा है । शुरुआत उस पलाश से हो रही है, जिसके फूल पहली बार पैकिंग में आ गए हैं। रुझान इतना है कि रासायनिक रूप से तैयार किए गए रंग और गुलाल, खरीदी की सूची में निचले पायदान पर खिसकते नजर आ रहे हैं।होली के लिए ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं । रंग-गुलाल की सीजनल दुकानें सजने लगी हैं। पहली बार इस बाजार में नया बदलाव, पलाश के फूलों के रूप में देखा जा रहा है। जिसे पैकिंग में गुजरात की कंपनी ने छत्तीसगढ़ के लिए विशेष तौर पर उपलब्ध करवाया है। शुरुआती दौर में जैसा रुझान मिल रहा है उसे देखते हुए तय माना जा रहा है कि सबसे आगे पलाश के फूल ही रहेंगे। इसका असल नाम टेसू फूल है। अपनी सुविधा के लिए गुजरात की कंपनी ने इसे केसू फूल ऑर्गेनिक फ्लावर नाम दिया है। प्लास्टिक के पारदर्शी पैक में विक्रय के लिए उपलब्ध यह फूल 100 रुपए और 250 रुपए में काउंटर तक पहुंच चुके हैं। खरीदी को लेकर बना रुझान संदेश दे रहा है कि पारंपरिक रंग-गुलाल की मांग में कमी आ सकती है। पलाश के सूखे हुए जो फूल बिक रहे हैं, उन्हें 30 मिनट तक उबालना होगा। पानी ठंडा होने के बाद हाथों से मिलाएं। इस प्रक्रिया में तैयार रंग को छानकर उपयोग में लाया जा सकता है, यानी बेहद सामान्य विधि से तैयार किया जा सकता है यह टेसू का रंग। दिलचस्प यह कि उपयोग से किसी भी प्रकार की स्वास्थ्यगत समस्या नहीं आती।पारंपरिक वेशभूषा में राजस्थानी पगड़ी की अलग ही पहचान है। शहर में इसे भी पहली बार होली पर न केवल देखा जाएगा बल्कि पहना भी जा सकेगा। महज 100 रुपए में राजस्थानी पगड़ी का विक्रय कर रहे सीजनल शॉप के संचालक कहते हैं कि त्यौहार और पर्व तब ही सार्थक होंगे, जब उनमें परंपरा का ध्यान रखा जाएगा।