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तत्कालीन सहायक आयुक्त, इंजीनियर, ठेकेदारों पर माया जाल, लालच में फंस गया कुश….दफ्तर से दस्तावेज गायब, विभाग ने दर्ज कराया एफआईआर

कोरबा। आदिवासी विकास विभाग में छात्रावास व आश्रम के नवीनीकरण तथा निर्माण की आड़ में जमकर अनियमितता बरती गई। इसका खुलासा तब हुआ, जब जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अध्यक्षता में टीम ने जांच पड़ताल शुरू की। टीम को कार्यालय में निर्माण कार्य से संबंधित मूल दस्तावेज गायब मिले। इसके अलावा मौका निरीक्षण पर करीब 80 लाख रूपए के कार्य कम मिला। मामले में डॉटा एंट्री ऑपरेटर के अलावा ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर करने पुलिस को शिकायत पत्र सौंपा गया है। जिससे अनियमितता बरतने वालों में हड़कंप – मच गया है।
संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत् वर्ष 2021-22 में विभागीय छात्रावास, आश्रमों में लघु निर्माण, नवीनीकरण का कार्य कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के द्वारा कराया गया है। छात्रावास, आश्रमों में लघु निर्माण, नवीनीकरण से संबंधित निविदा अभिलेख, कार्य आदेश प्राक्कलन, तकनीकी स्वीकृति, माप पुस्तिका देयक व्हाउचर से संबंधित मूलनस्ती एवं अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जिसकी जांच कार्य मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की अध्यक्षता की गई है। संविधान के अनुच्छेद अंतर्गत छात्रावास/आश्रमों में लधुनिर्माण / रेनोवेशन के कार्यों से संबंधित निविदा अभिलेख, कार्य आदेश, प्राक्कलन, माप पुस्तिका, देयक व्हाउचर, मूल नस्ती एवं अन्य अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने के संबध में जांच समिति के द्वारा यह निर्णय लिया गया है, कि इस संबंध में पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज किया जाए। छात्रावास, आश्रमों में लघुनिर्माण / रेनोवेशन के कार्य 4 फर्मों मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स पालीवाल बुक डिपो श्री बालाजी मंदिर रोड आईटीआई रामपुर कोरबा, मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स मंगल भवन बाजार चौक छुरी, मेसर्स एसएसए कंस्ट्रक्शन मेनरोड चैतमा साजाबहरी एवं मेसर्स बालाजी इन्फास्ट्रक्चर, वार्ड नं. 06, जायसवाल हाउस, राजीव नगर कटघोरा के द्वारा कराया गया है। उक्त फर्मों को दिये गये कार्यादेश में से 4 कार्य जिसकी कुल राशि रू. 48 लाख का कार्य संबंधित फर्म के द्वारा प्रारंभ नहीं कराये जाने के फलस्वरूप जांच समिति के द्वारा उक्त कार्यों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया। जांच समिति के द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार उक्त फर्मों के द्वारा कराये गये कार्यों का तकनीकी अमले की टीम गठित कर कार्यों का स्थल निरीक्षण कराया गया। स्थल निरीक्षण के उपरांत संबंधित फर्म द्वारा कराये गये कुछ कार्य की स्वीकृत राशि (अनुबंध राशि) से कम का कार्य कराया जाना मौके पर पाया गया। अभियंतों के निरीक्षण उपरांत लगभग अनुमानित राशि 80 लाख का कार्य नहीं होना पाया गया है। संबंधित ठेकेदारों को अनुबंध राशि के अनुसार पुनः कार्य कराए जाने के लिये एक माह का समय दिया गया था। जिस पर ठेकेदारों के द्वारा अपनी सहमति दी गई थी, किन्तु आज पर्यन्त ठेकेदारों के द्वारा कार्य नहीं कराया गया है। उक्त प्रकरण में मुख्य रूप से माया वारियर तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास (माया पहले से ही जेल में हैं), अजीत कुमार तिग्गा तत्कालीन सहायक अभियंता आदिवासी विकास एवं राकेश वर्मा तत्कालीन उप अभियंता लोक निर्माण विभाग (संलग्न आदिवासी विकास) कोरबा के विरूद्ध वित्तीय अनियमितता व विधि संगत कार्रवाई के लिये विभागीय जांच संस्थित करने संबधित विभाग को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है। संबंधित ठेकेदारों मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स पालीवाल बुक डिपो श्री बालाजी मंदिर रोड आईटीआई रामपुर कोरबा, मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स मंगल भवन बाजार चौक छुरी, मेसर्स एसएसए कंस्ट्रक्शन मेनरोड चैतमा साजाबहरी एवं मेसर्स बालाजी इन्फास्ट्रक्चर, वार्ड नं. 06, जायसवाल हाउस, राजीव नगर कटघोरा एवं प्रकरण में संलिप्त कुश कुमार देवांगन डाटा एण्ट्री आपरेटर आदिवासी विकास कोरबा के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई गई है।

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