माइक्रोप्लास्टिक दिमाग में बना रही घर! स्टडी में चौंकाने वाली खुलासा |…

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माइक्रोप्लास्टिक दिमाग में बना रही घर! स्टडी में चौंकाने वाली खुलासा |…
माइक्रोप्लास्टिक दिमाग में बना रही घर! स्टडी में चौंकाने वाली खुलासा

क्या इंसानों के दिमाग में घर बना रही माइक्रोप्लास्टिक?Image Credit source: pixabay

रोजमर्रा की जिंदगी में हम खाने के टिफिन से लेकर पानी पीने तक बोतल तक हम प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं. क्या आपको पता है कि इन प्लास्टिक की चीजों से निकलने वाले वाले कण जो आंखों को दिखाई तक नहीं देते हैं यानी माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में के लिए बेहद खराब हैं. माइक्रोप्लास्टिक से न सिर्फ समुद्री जीवों और वन्य जीवों के लिए बेहद नुकसानदायक है, बल्कि ये कण (माइक्रोप्लास्टिक) हमारे शरीर के अंदर भी पहुंच जाते हैं. अब हाल ही में आई एक स्टडी ने चौंकाकर रख दिया है.

माइक्रोप्लास्टिक से होने वाला पॉल्यूशन नदियों, समुद्रों और वन्य जीवन को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, ये खाने-पीने की चीजों और सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर में भी पहुंच जाती है. अब एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, इंसानों के दिमाग में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का पता चला है. तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.

क्या कहती है नई स्टडी

जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव में छपी एक स्टडी में चिंता पैदा कर देने वाली सच्चाई सामने आई है. इस स्टडी के मुताबिक माइक्रोप्लास्टिक (5 मिलीमीटर से भी छोटे प्लास्टिक के टुकड़े) इंसानों के दिमाग पर प्रभाव डाल रहे हैं.

महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रही माइक्रोप्लास्टिक

न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारी की गई जांच से पता चलता है कि रोजमर्रा की जिंदगी में हम पानी पीते वक्त, खाना खाने के दौरान, सांस लेने से भी हवा के साथ माइक्रोप्लास्टिक शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंच सकती है. इस स्टडी के मुताबिक इसमें किडनी, लिवर के अलावा माइक्रोप्लास्टिक मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचा रही है, जो काफी चिंताजनक है.

क्या पड़ सकते हैं प्रभाव?

माइक्रोप्लास्टिक दूषित पानी, सी फूड्स (समुंदर से मिलने वाली खाने की चीजें), समुद्री नमक आदि में भी हो सकती है और इसी के जरिए ये पशुओं के साथ ही इंसानों के शरीर में भी प्रवेश कर जाती है. यह प्लास्टिक के कण पाचन पर प्रतिकूल असर डालने के साथ ही आपकी इम्युनिटी को कमजोर कर सकते हैं और न्यूरॉन्स को भी हानि पहुंच सकती है.

कैसे निकलती है माइक्रोप्लास्टिक?

माइक्रोप्लास्टिक या कहें कि महीन प्लास्टिक के रेशे जो हवा के साथ वायुमंडल में तैरने की वजह से शरीर की त्वचा पर भी मौजूद हो सकते हैं. सिंथेटिक कपड़ों, टायर, रोजमर्रा के यूज में आने वाले प्लास्टिक के सामान, निर्माण में यूज होने वाली कई ऐसी चीजें हैं जिनकी रगड़ आदि से बहुत ही महीन कण या रेशे यानी माइक्रोप्लास्टिक निकलती है.

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