मिशन अस्पताल प्रबंधन को लगा बड़ा झटका, पिछले दरवाजे से मिली…- भारत संपर्क
बिलासपुर के मिशन अस्पताल जमीन अधिग्रहण का जिन्न एक बार फिर बंद बोतल से बाहर आ गया है ।पिछले कमिश्नर द्वारा इस मामले में अड़ंगा लगाने के बाद उनका ट्रांसफर हो गया था। अब नए कमिश्नर ने स्थगन आदेश को ही खारिज कर दिया, साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन के फैसले को सही ठहराया है।
क्या है पूरा मामला
बिलासपुर के मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में की गई थी। मिशनरी को अस्पताल के लिए जमीन लीज पर दी गई थी। यह लीज साल 2014 में ही खत्म हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। नवीनीकरण के लिए पेश किये गए आवेदन को नजूल न्यायालय ने वर्ष 2024 में खारिज कर दिया था। जिसके खिलाफ मिशन प्रबंधन ने हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
इधर क्रिश्चियन वुमन बोर्ड को कौड़ियों के मोल दी गई अरबो की जमीन का इस्तेमाल मिशन अस्पताल के डायरेक्टर डॉ रमन जोगी व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कर रहे हैं। उन्होंने अस्पताल परिसर की जमीन को अलग-अलग संस्थाओं को किराए पर दे दिया है। मिशन अस्पताल को अस्थाई रूप से बंद कर न्यू वंदना अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। साथ ही परिसर में कई अन्य दुकानें संचालित हो रही है। जिला प्रशासन ने उन्हें जमीन खाली करने का नोटिस दिया ताकि इस स्थान का जिला प्रशासन सदुपयोग कर सके ।
लंबी प्रक्रिया के बाद डॉक्टर रमन जोगी यह जमीन खाली करने को भी तैयार हो गए थे । उन्होंने एक पत्र लिखकर दायित्व मुक्त होने की बात कही थी। डॉ रमन जोगी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि अस्पताल के ओपीडी, इक्विपमेंट , लेबर रूम, आईसीयू, नवजात शिशु केंद्र , नर्सिंग स्कूल, हॉस्टल, क्लासरूम, लैबोरेट्री रेजिडेंशियल आवासीय डॉक्टर कॉलोनी और स्टाफ क्वार्टर प्रशासन को सुपुर्द कर रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने मामले की अपील कमिश्नर कोर्ट में कर दी। तत्कालीन कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का ने नियमों को ताप पर रखकर मिशन अस्पताल प्रबंधन को स्टे दे दिया था। उनके इस कदाचार की वजह से उन्हें तत्काल हटा दिया गया।
इसके बाद बिलासपुर कमिश्नर ने स्थगन आदेश को खारिज करते हुए जिला प्रशासन के फैसले को सही ठहराया है, जिससे डॉक्टर रमन जोगी को एक बार फिर जोरदार झटका लगा है । इससे पहले भी नगर निगम , नजूल शाखा और जिला प्रशासन ने मिशन अस्पताल की जमीन का लीज निरस्त होने पर प्रबंधन को कब्जा छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया था। साथ ही सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और उसके व्यापारिक इस्तेमाल के लिए बेदखली नोटिस जारी किया गया था। हाई कोर्ट से भी जब मिशन अस्पताल प्रबंधन को राहत नहीं मिली थी उसे तत्कालीन कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का ने खास मेहरबानी करते हुए स्टे दे दिया था लेकिन अब इसे खारिज करने के बाद एक बार फिर से मिशन हॉस्पिटल जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है। कमिश्नर कावरे ने 25 अक्टूबर को मामले की सुनवाई की और 30 अक्टूबर को फैसले की तारीख तय की । इस दिन कमिश्नर न्यायालय ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया, साथ ही लीज धारकों की अपील निरस्त कर दी। इसके बाद अब जिला प्रशासन मिशन अस्पताल की जमीन को अपने कब्जे में ले सकेगा।