मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बेटी बन गई PCS अधिकारी; दोनों को पिता ने छोड़ा था……

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मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बेटी बन गई PCS अधिकारी; दोनों को पिता ने छोड़ा था……
मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बेटी बन गई PCS अधिकारी; दोनों को पिता ने छोड़ा था... रुला देगी दीक्षा के संघर्ष की ये कहानी

मां बेबी सरकार के साथ दीक्षा सरकार.

हाल ही में असम लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सिविल सेवा परीक्षा (APSC) के परिणामों की घोषणा की गई, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बेटी दीक्षा सरकार ने 8वां स्थान हासिल किया. दीक्षा ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और समर्पण से उन्होंने यह बड़ी सफलता प्राप्त की.

दीक्षा का जीवन शुरुआत से ही संघर्षों से भरा हुआ था. जब उनकी मां बेबी सरकार ने दीक्षा को जन्म दिया तो उनके ससुराल वालों ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे बेटे की उम्मीद कर रहे थे. दीक्षा के जन्म के बाद जब ससुरालवालों को पता चला कि यह एक बेटी है तो उन्होंने नवजात शिशु को देखने से मना कर दिया.

किराए के घर में बेटी को बड़ा किया

एक महीने की बेटी के साथ बेबी सरकार को अपने पति और उसके परिवार को छोड़कर बांग्लादेश सीमा के पास श्रीभूमि में किराए के एक छोटे से मकान में शरण लेनी पड़ी. हालांकि बेबी सरकार ने कभी भी हार नहीं मानी और अपनी बेटी को जीवन में आगे बढ़ने के लिए हर संभव समर्थन दिया.

सफलता का पूरा श्रेय मां को

दीक्षा की सफलता का पूरा श्रेय उनकी मां बेबी सरकार को जाता है, जिन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा के लिए राज्य से बाहर भेजने का निर्णय लिया, लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण वह ऐसा नहीं कर पाईं. फिर भी दीक्षा ने गुवाहाटी में अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने संघर्ष को सफलता में बदला.

दीक्षा ने अपनी सफलता के बारे में कहा, “शुरुआत में मैंने करीमगंज कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन बाद में मुझे गुवाहाटी में अध्ययन करने की सलाह मिली. मैंने कॉटन यूनिवर्सिटी और प्राग्ज्योतिष कॉलेज में प्रवेश लिया और कठिनाइयों को पार करते हुए अपनी शिक्षा पूरी की.”

ससुरालवालों के बदले सुर

जब दीक्षा की सफलता की खबर फैली तो उसके पिता के परिवार ने सुलह का प्रयास किया. हालांकि दीक्षा की मां ने उनके किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. दीक्षा ने कहा कि उनका परिवार अब उनके लिए कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि उनकी सफलता और संघर्ष ही उनकी असली पहचान है. दीक्षा ने अपनी मां की बड़ी बहन का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें पढ़ाई में आर्थिक रूप से काफी मदद की थी.

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