फेसबुक यूट्यूब को MP हाईकोर्ट ने दिया झटका, बागेश्वर बाबा केस में क्या कहा?… – भारत संपर्क

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फेसबुक यूट्यूब को MP हाईकोर्ट ने दिया झटका, बागेश्वर बाबा केस में क्या कहा?… – भारत संपर्क

Madhya Pradesh High Court
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक-मेटा, एक्स और यू-ट्यूब पर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ वीडियो कंटेंट के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट में सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से दलीलें पेश की गईं. जिन्हें कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है.
फेसबुक की ओर से कहा गया कि प्लेटफार्म पर मौजूद कंटेंट पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है. किसी पोस्ट करने वाले से सोर्स की जानकारी लेना या उसे पोस्ट करने से रोकना भी उनके नियंत्रण से बाहर है. इस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने असहमति जताते हुए कहा कि नाइत्तेफ़ाकी ये नहीं माना जा सकता कि फेसबुक का कंटेंट पर कोई कंट्रोल नहीं है.
रंजीत पटेल ने की मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल
मामला पंडित धीरेंद्र शास्त्री के विरुद्ध सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर अनर्गल टिप्पणी करने से जुड़ा हुआ है. इस मामले में बागेश्वर धाम के शिष्य रंजीत पटेल के द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर कोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक-मेटा, एक्स और यू-ट्यूब को नोटिस जारी करते हुए पोस्ट की गई टिप्पणियों को हटाने के निर्देश दिए थे.
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अधिवक्ता पंकज दुबे ने कोर्ट में रखा था पक्ष
दरअसल, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के शिष्य नरसिंहपुर गोटे गांव के रहने वाले याचिकाकर्ता रंजीत सिंह पटेल की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने कोर्ट में पक्ष रखा था. दलील दी गई कि मेटा, फेसबुक, एक्स, यूट्यूब सहित अलग-अलग प्लेटफॉर्म बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विरुद्ध बेबुनियाद अनर्गल पोस्ट की वजह से कठघरे में हैं. याचिका के जरिए मिथ्या प्रचार सामग्री डिलीट किए जाने की मांग की गई थी. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आपत्तिजनक पोस्ट हटाने व भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का आदेश दिया था.
कंपनियों की ओर से दी गई यह दलील
अधिवक्ता पंकज दुबे ने बताया कि इस आदेश का पालन करने पर इंटरनेट मीडिया की इन कंपनियों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी. सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से दलील दी गई कि उनके प्लेटफॉर्म डिजिटल है. जिनकी पोस्ट पर उनका नियंत्रण नहीं है. अतः अनुचित पोस्ट करने वाले व्यक्ति विशेष के विरुद्ध केस दायर किया जाना चाहिए. जब इन दलीलों से हाई कोर्ट सहमत नहीं हुआ तो उनकी ओर से अपील वापस लेने का निवेदन कर दिया गया.

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