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डीएमएफ शासी परिषद की कार्यशैली को लेकर सांसद ने उठाए सवाल, सांसद ज्योत्सना महंत ने कलेक्टर को लिखा पत्र
कोरबा। खनन प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए भारत सरकार के द्वारा जिला खनिज न्यास मद का गठन किया गया है। इस संस्थान का स्पष्ट उद्देश्य है कि ऐसे क्षेत्र के प्रभावित लोगों के समुचित विकास जिसमें आवास पेयजल स्वास्थ्य सडक़ और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं। इसे जिला खनिज न्यास मद के माध्यम से उन लोगों को सुविधा देना है, लेकिन इसके उलट एसईसीएल कोयला खदान के प्रभावितों को इसका लाभ नहीं मिलता दिख रहा है। इन्हीं सब तथ्यों का उल्लेख करते हुए कोरबा सांसद ज्योत्सना चरण दास महंत ने कलेक्टर अजीत वसंत को पत्र लिखा है और कई सवाल उठाए हैं जिनका जवाब जिला प्रशासन के माध्यम से सांसद को दिया जाएगा। कलेक्टर को लिखे पत्र में सांसद ने उल्लेख किया है कि भारत सरकार के द्वारा खान और खनिज विकास और विनिमय अधिनियम के तहत वर्ष 2015 के दौरान राज्य सरकारों को डीएमएफ के लिए उनके द्वारा बनाए गए नियमों में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना को शामिल करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के तहत संपूर्ण देश के 23 राज्यों के 640 जिलों को शामिल किया गया था। उस दौरान विभिन्न मंत्रालय और विभागों वित धारकों से सरकार को सुझाव प्राप्त हुए थे। उन सभी सुझावों को परीक्षण के बाद भारत सरकार ने डीएमएफ की राशि का प्रभाव उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया था। जिसके तहत भारत सरकार ने वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना लागू की और ऐसे सभी जिलों को इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए आदेशित किया। इस योजना में प्रत्यक्ष रूप से खनन प्रभावित परिवारों को डीएमएफ राशि के तहत न केवल पक्का मकान बनाने और सभी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध करने का प्रावधान है। योजना को और प्रभावी बनाने के लिए डीएमएफ शासी परिषद का गठन हुआ। इसी के तहत जिला शासी परिषद की तत्कालीन प्रभारी और डिप्टी कलेक्टर ममता यादव ने दावा किया था कि गेवरा कुसमुंडा और दीपका खदानों से प्रभावित लोगों को जिन गांव में बसाया गया है उनमें से 13 गांव का चयन जिला खनिज न्यास की राशि से मॉडल ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा। उन गांव के नाम का भी चयन करने का दावा किया गया था। पुनर्वास ग्राम को खदान प्रभावित गांव की सूची से ही बाहर कर दिया गया है जिन गांवों को मॉडल ग्राम बनाने के लिए प्रशासन ने दावा किया था वह भी हकीकत से कोसों दूर है। सांसद ने पत्र में लिखा है कि जिला खनिज न्यास राशि का स्पष्ट उद्देश्य खनन गतिविधियों के संचालन के कारण प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे लोगों को प्रथम वरीयता प्रदान करना है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसका गठन हुए लगभग 10 साल हो गए बावजूद प्रभावित लोगों को प्रथम वरीयता तो क्या अंतिम वरीयता क्रम से भी दूर कर दिया गया है। सांसद ने खान मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी 16 जनवरी 2024 के कुछ नियमों का भी अपने पत्र में उल्लेख करते हुए कलेक्टर के माध्यम से मांग की है कि जिला खनिज न्यास की राशि का संक्षिप्त उपयोग प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। अब तक प्रभावित लोगों के लिए जिला प्रशासन के द्वारा किस तरह से इस राशि का उपयोग किया गया है और क्या सुविधा प्रभावित लोगों को उपलब्ध कराई गई हैं उसके संपूर्ण जानकारी मांगी है।