MP: व्यापम जैसा नर्सिंग घोटाला! जांच करने वाले अधिकारी ही बिक गए, पढ़ें Ins… – भारत संपर्क

नर्सिंग घोटाले में CBI ने अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया.
MP का वो ‘नर्सिंग घोटाला’, जिसमें जांच करने वाले अधिकारी ही बिक गए… एक लाख स्टूडेंट्स का भविष्य दांव पर
मध्य प्रदेश में बीते एक दशक में सबसे ज्यादा जिस घोटाले की चर्चा हुई, वो था व्यापम. व्यापम में कई बड़े रसूखदार सलाखों के पीछे गए, कई अभ्यर्थी और उनके माता-पिता को जेल की हवा खानी पड़ी. अब व्यापम की तरह ही नर्सिंग कॉलेज घोटाला लगातार सुर्खियों में है. वैसे तो मामला 2021 से जानकारी में आया था, लेकिन सीबीआई अफसरों की संलिप्तता के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस घोटाले पर टीवी9 भारतवर्ष की ये खास रिपोर्ट पढ़िए…
यह घोटाला तब जानकारी में आया, जब एक शिकायत के आधार पर 2021 में नर्सिंग कॉलेजों की जांच की गई. शिकायत में कहा गया कि सिर्फ चार कमरों में नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं. न तो कॉलेज में लैब है और न ही 100 बिस्तर का अस्पताल है. कई कॉलेज में तो एक ही फैकल्टी का नाम लिखा हुआ है. मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंपी गई. CBI को जांच सौंपने के बाद लगा कि इसमें कोई बड़े खुलासे होंगे, लेकिन जांच कर रहे अधिकारी ही भ्रष्ट निकल गए.
308 कॉलेजों की जांच कर CBI ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
इस जांच में 169 कॉलेजों को सूटेबल, 73 नर्सिंग कॉलेजों को डिफिसेंट और 66 को अनसूटेबल बताया गया. सूटेबल कॉलेजों की लिस्ट सार्वजनिक होते ही इसकी पड़ताल की गई. विसिल ब्लोअर और एनएसयूआई के अध्यक्ष रवि परमार ने शिकायत की कि जिन कॉलेजों को CBI ने सूटेबल घोषित किया है, वो नियमों के खिलाफ हैं. फिर मामले में जांच हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. मामले की जांच कर रहे CBI के अधिकारी ही भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए. घोटाले की जांच कर रहे CBI के अफसर रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए. नर्सिंग घोटाले के व्हिसल ब्लोअर रवि परमार की शिकायत पर CBI दिल्ली की टीम ने अधिकारी को पकड़ा था.
10 लाख रिश्वत लेते पकड़े गए CBI अधिकारी
दिल्ली CBI ने इंदौर, भोपाल, रतलाम समेत अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की. CBI के इंस्पेक्टर राहुल राज 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए. उन्होंने नर्सिंग कॉलेज को क्लीन चिट देने के बदले रिश्वत मांगी थी. राहुल राज के घर से तलाशी में 7 लाख 88 हजार कैश और दो गोल्ड के बिस्किट भी बरामद किए गए. राहुल राज को रिश्वत देने वाले भोपाल स्थित मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के चेयरमैन अनिल भास्करन, प्रिंसिपल सुमा भास्करन और एक दलाल सचिन जैन को भी CBI ने गिरफ्तार कर लिया.
कुल 13 आरोपियों को CBI ने किया गिरफ्तार
दिल्ली CBI ने दो इंस्पेक्टर समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेजा. इसके अलावा रतलाम नर्सिंग कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल जुगल किशोर शर्मा और भाभा कॉलेज भोपाल के प्रिंसिपल जलपना अधिकारी को भी गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी रविराज भदौरिया के ठिकाने से CBI ने 84.65 लाख रुपए की जब्ती की, जबकि प्रीति तिलकवार के ठिकाने से करीब एक लाख रुपए और डायरी मिले. CBI की गिरफ्त में आए 13 लोगों में दो CBI अफसर, दो प्रिंसिपल और दलाल शामिल हैं.
विसिल ब्लोअर रवि परमार का आरोप है कि जिस कॉलेज को CBI ने मान्यता के लिए उपयुक्त माना है, वो नियमों का पालन नहीं करता. इतना ही नहीं, आने वाले समय में जिस कॉलेज का इंस्पेक्शन होना है, उस कॉलेज के बोर्ड इस जगह लगे पाए गए, जिसका नाम था केपी मेमोरियल नर्सिंग कॉलेज. यानि एक ही जगह पर कई नर्सिंग कॉलेज होने के आरोपों का ये सीधा-सीधा सबूत है.
घोटाले पर चुप्पी साधे बैठा विभाग!
मामले में CBI की ओर से सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराई गई कि 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें कुछ CBI के अफसर भी शामिल हैं. मामले में विभाग की ओर से चुप्पी साध ली गई है. वहीं सरकार का कहना है कि CBI अपनी जांच कर रही है. किसने घोटाला किया और कब किया ये सब जांच में सामने आ जाएगा, लेकिन सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है, जिसका मतलब है कि अपराधी जो भी हो, सलाखों के पीछे जरूर जाएगा.
ये तो व्यापम से भी बड़ा घोटाला- कांग्रेस
कांग्रेस का आरोप है कि ये तो व्यापम से भी बड़ा घोटाला है. जांच सबसे पहले इस बात की होनी चाहिए कि आखिर इन फर्जी कॉलेज को अनुमति किस मंत्री ने दी. अब उन बच्चों के भविष्य का क्या होगा, जिन्होंने तीन साल से परीक्षा ही नहीं दी है. इस घोटाले में सवाल उन एक लाख स्टूडेंट्स का है, जो नर्सिंग कॉलेज में पढाई कर रहे हैं. तीन वर्षों से परीक्षा नहीं होने के कारण आज भी वो फर्स्ट ईयर में ही हैं.
घोटाले पर क्या बोले नर्सिंग के छात्र?
टीवी9 भारतवर्ष की टीम ने इन स्टूडेंट्स से बातचीत की तो पता चला कि तीन वर्ष पहले भी फर्स्ट ईयर में थे और आज भी फर्स्ट ईयर में ही हैं. किसी के पिता किसान हैं तो किसी के मजदूर. घर वाले समझ रहे हैं कि अब चौथे साल में डिग्री पूरी हो जाएगी. कई स्टूडेंट्स तो पार्ट टाइम जॉब करने लगे हैं. कई घरवालों से ही पैसे मंगवा रहे हैं. इन्हें तो तीन वर्ष से छात्रवृति भी नहीं मिली है. सबसे बड़ा सवाल क्या चार साल की डिग्री सात साल में होगी? सरकार के पास इसका जवाब नहीं है.
भले ही विभाग मामले को दबाने में लगा हो, लेकिन CBI के अधिकारियों पर CBI के ही अधिकारियों की कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि दाल में बहुत कुछ काला है. अगर सही तरह से जांच हो गई तो कई परतें खुल सकती हैं और कई रसूखदार बेपर्दा हो सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि हाईकोर्ट के आदेश और CBI की इन्क्वायरी के बावजूद ये फर्जीवाड़ा धड़ल्ले से चल रहा है.