मुंगेली कवर्धा नई रेललाइन परियोजना: अधूरी उम्मीदें ….

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मुंगेली कवर्धा नई रेललाइन परियोजना: अधूरी उम्मीदें ….

नई रेललाइन परियोजना की घोषणा से लोगों में उम्मीद जगी थी कि इससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा और क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन, इन उम्मीदों के बावजूद, यह परियोजना अब तक अधूरी है। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर इस परियोजना को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थानीय निवासियों और रेलवे दोनों को इसके फायदों का लाभ मिल सके। भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को शीघ्रता से पूरा करके परियोजना को धरातल पर उतारने की जरूरत है। इससे न केवल क्षेत्र का विकास होगा बल्कि लोगों को भी बेहतर परिवहन सुविधाएं प्राप्त होंगी और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी।

नई रेललाइन परियोजना: अधूरी उम्मीदें और लंबित कार्य

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में नई रेललाइन के निर्माण के लिए बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इस प्रावधान के बावजूद, यह परियोजना अब तक फाइलों में ही कैद है। भूमि अधिग्रहण और अन्य महत्वपूर्ण कार्य अभी प्रारंभ नहीं हो पाए हैं। छत्तीसगढ़ रेलवे कार्पोरेशन लिमिटेड ने अब तक हुए कार्यों की समीक्षा शुरू की थी, जिससे लोगों में उम्मीद जगी थी कि आने वाले दिनों में जमीन अधिग्रहण और प्रभावितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन, यह प्रक्रिया अभी भी ठोस रूप में सामने नहीं आई है।

प्रस्तावित लाभ और वर्तमान स्थिति


डोंगरगढ़ से खैरागढ़, कवर्धा होते हुए बिलासपुर जाने वाली नई रेल लाइन की कुल दूरी 270 किलोमीटर है। इस मार्ग में छुईखदान, गंडई, नंदिनी, अहिवारा, बेरला, बेमेतरा, थान खम्हरिया, कवर्धा, पंडरिया, घुटकू, उस्लापुर समेत अन्य शहर और गांव शामिल होंगे। इससे यहां रहने वाले लोगों को सस्ती और सुविधाजनक परिवहन सुविधा प्राप्त होगी। इसके साथ ही मालगाड़ियों के आवागमन के लिए एक नया मार्ग मिल सकेगा, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन, इन सभी लाभों के बावजूद, प्रोजेक्ट अभी भी केवल कागजों पर ही है।

विकास की संभावनाएं और अड़चनें

इस परियोजना के तहत कवर्धा को केंद्र बिंदु माना गया है। यह डोंगरगढ़ से बिलासपुर के ठीक बीच में पड़ता है। इसकी वजह से यहां मेंटेनेंस डिपो बनाया जा सकता है, जिसमें वाशिंग लाइन के साथ कोचिंग स्टाक भी रहेगा। यहां ट्रेनों की विस्तृत जांच और मरम्मत की सुविधा भी होगी। लेकिन, इन योजनाओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। खैरागढ़ से कवर्धा के बीच का इलाका सालों बाद भी विकसित नहीं हो पाया है। ट्रांसपोर्टिंग की समस्या के चलते उद्योगपति यहां निवेश करने से कतराते हैं। 5500 एकड़ की खाली जमीन की मौजूदगी के बावजूद इस क्षेत्र में उद्योगों का विकास नहीं हो पाया है।

केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका

इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए छत्तीसगढ़ रेलवे कार्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की गई है। परियोजना के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और राज्य सरकार इसका क्रियान्वयन करेगी। इसके लिए राज्य स्तरीय समिति बनाई गई है, जिसमें लोक निर्माण विभाग और मुख्य मंत्री सचिवालय के अधिकारी शामिल हैं। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार, दो स्टेशनों के बीच न्यूनतम दूरी 5.952 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 12.25 किलोमीटर होगी। औसतन, दो स्टेशनों के बीच 9.25 किलोमीटर की दूरी होगी। रेल रूट ब्रॉड गेज होगी और इसमें ट्रेनें अधिकतम 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चल सकेंगी। स्टेशनों का निर्माण गांवों और कस्बों के करीब किया जाएगा, ताकि लोगों को स्टेशन तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो।

राजनीतिक स्थिति और घोषणाएं

बिलासपुर। पांच साल पहले वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रत्याशी अरुण साव ने चुनावी सभाओं में दो प्रमुख मुद्दों पर जोर दिया था: बिलासा एयरपोर्ट का विकास और उन्नयन व उसलापुर, मुंगेली डोंगरगढ़ वाया खैरागढ़-कवर्धा नई रेल लाइन का विस्तार। ये दोनों मुद्दे बिलासपुर और मुंगेली जिलेवासियों के अलावा अंचलवासियों के लिए अब भी सबसे बड़ा मुद्दा बने हुए हैं। पूर्व सांसद अरुण साव का एक वादा पूरा हो रहा है। बिलासा एयरपोर्ट के उन्नयन के साथ ही विकास कार्य ने गति पकड़ ली है। लेकिन डोंगरगढ़ से बिलासपुर वाया खैरागढ़-कवर्धा नई रेल लाइन के विस्तार का मामला ठंडे बस्ते में है।

श्री तोखन साहू जी नव निर्वाचित सांसद जिला बिलासपुर और केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। अरुण साव जी लोरमी से विधायक और छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री हैं, तथा विजय शर्मा जी कवर्धा से विधायक और उप मुख्यमंत्री हैं। लोगों को इन नेताओं से बहुत अपेक्षाएं हैं, लेकिन इन सबके होते हुए भी कवर्धा और लोरमी का कोई विकास नहीं हो रहा है।

 

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