कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने की तैयारी में जुटा नगर निगम, 10 एकड़…- भारत संपर्क

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कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने की तैयारी में जुटा नगर निगम, 10 एकड़ जमीन को किया गया चिन्हांकित

कोरबा। शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के दौरान बड़े पैमाने पर ठेास अपशिष्ठ निकलता है। इसमें सूखा और गीला कचरा को अलग किया जाता है। सूखा कचरे से निकलने वाले विभिन्न सामान जैसे प्लास्टिक, पॉलिथिन आदि को अलग कर नगर निगम बेच देता है। गीला कचरे को दूसरे तरीके से नष्ट किया जाता है। नगर निगम गीला कचरे से ही कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए नगर निगम क्षेत्र में एक इकाई का निर्माण किया जाना है। निगम क्षेत्र में कंप्रेस्ड बायोगैस इकाई कहां लगेगी? इसके लिए नगर निगम ने स्थल चयन का कार्य पूरा कर लिया है। पूर्व में बरबसपुर स्थित निगम के डंपिंग यार्ड में से 10 एकड़ जमीन कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन इकाई लगाने के लिए चिन्हित किया गया है और निगम की ओर से इस जमीन का आबंटन भी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि यूनिट का निर्माण गेल इंडिया की ओर से किया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण, नगर निगम और गेल इंडिया के बीच 17 जनवरी को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में एक त्रिपक्षीय एमओयू हुआ था। इस एमओयू को धरातल में उतारने की तैयारी पूरी कर ली गई है और जल्द ही कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाने का कार्य बरबसपुर में शुरू किया जाएगा। उम्मीद है कि अप्रैल से गेल इंडिया बायोगैस यूनिट लगाने का कार्य कोरबा में शुरू करेगी। इस योजना का मकसद पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने के साथ-साथ रोजगार में वृद्धि करने की है। गीला कचरा का निष्पादन कंप्रेस्ड बायोगैस में होने के कारण पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। साथ ही यूनिट को चलाने के लिए तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत होगी। यहां तक कचरा पहुंचाने और छटाई करने में भी मानव संसाधन का इस्तेमाल होगा। इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। कोरबा नगर निगम में यह कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट का संचालन होता है तो इससे शहर को न सिर्फ शहर का साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी, बल्कि नेट जीरो मिशन के लक्ष्य को पाने में भी आसानी होगी।
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ऊर्जा की कमी दूर करने में होगी मददगार
कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन में न सिर्फ शहर से निकलने वाली गीले कचरे का इस्तेमाल किया जा सकेगा, बल्कि धान के पैरा के इस्तेमाल से भी बायोगैस बनाया जा सकेगी। इस कार्य के लिए राजधानी रायपुर में 17 जनवरी को एक त्रि-पक्षीय एमओयू हुआ था। नगरीय निकाय चुनाव के कारण इस कार्य को शुरू करने में थोड़ी देरी हुई। लेकिन अब निकाय चुनाव खत्म हो चुका है और नगर निगम के कार्य एक बार फिर सुचारू रूप से संचालित होने लगे हैं। इस स्थिति में यूनिट निर्माण का कार्य जल्द शुरू होना है। बायोगैस के उत्पादन में मदद मिलेगी और इससे ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। इस परियोजना पर लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यहां से निकलने वाली बायोगैस की बिक्री से प्रदेश सरकार को कर की प्राप्ति होगी।
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रोजाना निकलता है 50 टन गीला कचरा
नगर निगम कोरबा क्षेत्र में नगर निगम के 67 वार्डो से रोजाना लगभग 30 से 50 टन गीला कचरा निकलता है। कंप्रेस्ड बायोगैस इकाई में गीला कचरा को डाला जाएगा और इसी से कंप्रेस्ड बायोगैस का निर्माण किया जाएगा। इस गैस का उपयोग गेल इंडिया की ओर से किया जाएगा। हालांकि शुरूआती दौर में नगर निगम सिर्फ अपने वार्डों से गीला कचरा को ही बायोगैस यूनिट में भेजेगा। लेकिन आगे चलकर निगम की योजना इस बायोगैस इकाई से एनटीपीसी, बालको, एसईसीएल और बिजली उत्पादन कंपनी को भी जोडऩे की तैयारी है। ताकि यहां से निकलने वाला कचरा भी कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट में भेजा जा सके।

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