पुलिस की बेहतर विवेचना के कारण ही गर्भवती पत्नी की हत्या…- भारत संपर्क
यूनुस मेमन
पुलिस की बेहतर विवेचना से अपनी गर्भवती पत्नी की हत्या करने वाले जालिम पति को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। घटना 17 अप्रैल 2022 की है जब रामपुर कोरबा में शिव प्रकाश शाह ने चरित्र शंका पर अपनी पत्नी पर एक दो नहीं 14 बार जानलेवा हमला किया। फिर इस पूरे मामले को आत्महत्या का रूप देने के लिए सब्जी काटने वाला चाकू पुलिस को सौंप दिया। इस घटना के वक्त आरोपी के बच्चे भी मौजूद थे, लेकिन वे भी अपने पिता के साथ ही खड़े नजर आए।
शिव प्रकाश शाह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। इसी वजह से उसने योजना बद्ध तरीके से चाकू से मार कर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इसके बाद वह खुद ही अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचा और बताया की पत्नी ने खुदकुशी की है। घटना के वक्त आरोपी के तीन बच्चे भी घर पर ही मौजूद थे, जिन्होंने घटना को देखा था लेकिन आरोपी ने उन्हें भी अपने प्रभाव में ले लिया और बच्चे सच बताने को तैयार नहीं थे।
पीएम रिपोर्ट में मृतिका के शरीर पर 14 चोट के निशान थे जिसमें से कुछ तो इतने गहरे थे जो कोई भी खुद को इतना घातक चोट नहीं पहुंचा सकता। इसी वजह से मामला संदेहास्पद हुआ, फिर आरोपी शिव प्रकाश शाह को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा लेकिन अंतत टूट गया और बताया कि उसने चरित्र शक पर अपनी पत्नी की जान ली है।
इसके बाद भी राह आसान नहीं थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में सारे चश्मदीद गवाह अपने बयान से पलट गए। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रकरण में उपलब्ध परिस्थितिजन्य साक्ष, लास्ट सीन थ्योरी पेश की गई, जिसे अदालत ने माना। इसके बाद आरोपी शिव प्रकाश शाह को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और ₹1000 का अर्थ दंड, धारा 201 के तहत 5 साल की सजा और ₹1000 अर्थ दंड तथा धारा 316 के तहत 10 साल की सजा और ₹1000 का जुर्माना सुनाया गया। विवेचना में पुलिस ने जिस तरह से तथ्य प्रस्तुत किया उसे वजह से ही आरोपी को सजा मिल सकी, क्योंकि घटना के वक्त आरोपी और उसके बच्चे मौजूद थे । आरोपी ने घटना की सूचना पड़ोसियों को भी नहीं दी थी और खुद ही पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंच गया, जहां पता चला कि उसकी पत्नी गर्भवती थी। पत्नी की हत्या के साथ गर्भस्थ शिशु की हत्या के मामले में भी उसे सजा सुनाई गई है। इस मामले की विवेचना तत्कालीन चौकी प्रभारी रामपुर कोरबा उप निरीक्षक कृष्णा साहू ने की थी जो फिलहाल सरकंडा थाने में उप निरीक्षक के पद पर है ।इस मामले की पैरवी लोक अभियोजक राजेंद्र साहू ने की, उनके ही प्रयास से आरोपी को सजा मिल सकी।
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