नाम छोटा-कारनामा बड़ा! चीन के हमलों से बचने के लिए इजराइल जैसा डिफेंस सिस्टम तैयार कर… – भारत संपर्क


ताइवान अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर रहा है.
चीन के बढ़ते खतरे के बीच ताइवान अब पूरी तरह से तैयारियों में जुट गया है. यूक्रेन और इजराइल जैेसे देशों से सबक लेते हुए ताइवान अपनी सुरक्षा व्यवस्था को नए सिरे से मजबूत कर रहा है. खासकर आम जनता की सुरक्षा के लिए अब एयर रेड शेल्टर यानी हवाई हमले से बचने के ठिकाने को लेकर गाइलाइंस में बड़ा बदलाव किया जा रहा है.
ताइवान सरकार अगले हफ्ते नई एयर रेड शेल्टर गाइडलाइंस जारी करने वाली है. इस गाइडलाइंस में बताया जाएगा कि अगर चीन की ओर से हमला होता है और एयर रेड सायरन बजता है, तो लोगों को कैसे और कहां शरण लेनी चाहिए.
ऊंची इमारतों में रहने वालों के लिए खास गाइड
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति तय समय (लगभग तीन मिनट) में किसी शेल्टर तक नहीं पहुंच पाता है, तो उसे क्या करना चाहिए, इसकी भी साफ हिदायत दी जाएगी. जैसे कम से कम दो दीवारों के पीछे छुपना और मुंह थोड़ा खुला रखना ताकि धमाके के असर से कान और सिर को कम नुकसान हो. ताइवान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि शहरों में बड़ी संख्या में लोग ऊंची बिल्डिंग्स में रहते हैं और तीन मिनट में शेल्टर तक पहुंचना मुश्किल होता है. इसलिए सरकार अब लोगों को घर में ही खुद को सुरक्षित रखने के तरीकों के बारे में जागरूक कर रही है.
नागरिकों की ट्रेनिंग और हर कोने में शेल्टर
इस साल जुलाई में होने वाला हान कुआंग 41 सैन्य अभ्यास पहली बार 10 दिनों तक चलेगा. इसमें आम नागरिकों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि इमरजेंसी में जरूरी सामान कैसे बांटा जाए और कैसे शांति बनाए रखी जाए, इसकी रिहर्सल कराई जा सके. ताइवान ने देशभर में एयर डिफेंस शेल्टर्स बनाए हैं, मेट्रो स्टेशन से लेकर मॉल तक. अकेले ताइपेई में 4,600 से ज्यादा शेल्टर्स हैं, जिनमें 1.2 करोड़ लोगों के बैठने की क्षमता है, जो कि शहर की आबादी से चार गुना ज्यादा है।
क्यों लिया इजराइल-यूक्रेन से सबक?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ताइवान को एहसास हुआ कि अगला नंबर उसका हो सकता है. वहीं, इजराइल के ‘आयरन डोम’ जैसी तकनीकों और वहां के सिविल डिफेंस सिस्टम ने दुनिया को दिखाया कि आम जनता को भी युद्ध के वक्त तैयार रहना चाहिए.
ताइवान का ये कदम बताता है कि अपने लोगों की जान बचाने के लिए वह किसी बड़े देश से कम नहीं. अब देखना ये होगा कि चीन इस तैयारी को कैसे देखता है.