पाकिस्तान में कुदरत का कहर, 48 घंटे में 340 की मौत, मलबे से शवों को निकालने की मशक्कत – भारत संपर्क


पाकिस्तान में बाढ़ से तबाही
पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी इलाके में आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. अधिकारियों के मुताबिक 48 घंटों में अब तक करीब 340 लोगों की जान जा चुकी है और 137 लोग घायल बताए जा रहे हैं. बुनेर, स्वात, शांगला, बट्टाग्राम, बाजौर और मनसेहरा समेत कुल 9 जिलों में राहत और बचाव कार्य के लिए करीब 2,000 कर्मचारी लगाए गए हैं. शनिवार को राहतकर्मियों ने बाढ़ और भूस्खलन से तबाह घरों के मलबे से 63 और शव बरामद किए. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में बारिश और भी तेज हो सकती है.
पाकिस्तान के बुनेर में बाढ़ से बच निकले एक चश्मदीद ने बताया कि उसने बाढ़ के तेज पानी में सैकड़ों पत्थर और भारी-भरकम चट्टानें गिरते हुए देखीं. आपातकालीन सेवाओं के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल ने बताया कि बुनेर में सैकड़ों राहतकर्मी अब भी जीवित लोगों की तलाश कर रहे हैं. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का यह इलाका शुक्रवार को मूसलाधार बारिश और बादल फटने से आई भयंकर बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. बाढ़ में कई घर बह गए.
स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया बाढ़ का भयावह मंजर
बुनेर के डिप्टी कमिश्नर काशिफ कय्यूम ने बताया कि राहत दल पीर बाबा और मलिकपुरा गांवों से शव निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इन गांवों में सबसे ज्यादा लोगों की जान गई है. पाकिस्तान के बुनेर जिले में आई बाढ़ से बाल-बाल बचे स्थानीय पुलिस अधिकारी इम्तियाज खान ने भयावह मंजर को लेकर बताया कि तेज बहाव वाला पानी सैकड़ों पत्थरों और चट्टानों को अपने साथ लाकर कुछ ही मिनटों में पूरे गांव को तबाह कर गया. बुनेर के पीर बाबा गांव के पास अचानक नाले में बिना चेतावनी के तेज बाढ़ आ गई. पहले तो हमें लगा कि यह सामान्य बाढ़ है, लेकिन जब पानी के साथ भारी-भरकम चट्टानें टूटीं तो देखते ही देखते 60 से 70 घर बह गए. कई शव क्षत-विक्षत हालत में पड़े थे. हमारा पुलिस स्टेशन भी बह गया. अगर हम समय रहते ऊंचाई पर न चढ़ते तो शायद हम भी बच नहीं पाते.
पाकिस्तान के मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में भारी बारिश हो सकती है. रविवार से उत्तर और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में मानसून की गतिविधियां और तेज हो जाएंगी. इस बीच बचाव दल ने बताया कि पीर बाबा गांव का बड़ा हिस्सा तबाह हो गया है. कई घर टूट गए हैं और पानी घटने के बाद सड़कों पर बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें जमा हो गई हैं.
अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई लोगों ने तोड़ा दम
45 साल के सुल्तान सैयद जिनका हाथ टूट गया था उन्होंने बताया कि यह सिर्फ बाढ़ का पानी नहीं था बल्कि पत्थरों की बाढ़ थी. ऐसा नजारा हमने पहली बार देखा. 53 वर्षीय मोहम्मद खान ने कहा कि बाढ़ अचानक आई कि कई लोग अपने घरों से निकल भी नहीं पाए. बुनेर के डॉक्टर मोहम्मद तारिक ने जानकारी दी कि ज्यादातर लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई. उन्होंने बताया कि मृतकों में कई बच्चे और पुरुष शामिल थे जबकि महिलाएं उस समय पहाड़ियों में जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने और मवेशी चराने गई थीं. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित पाकिस्तानी नेताओं ने शोक जताया और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की. साथ ही घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की.
सामान्य से ज्यादा बारिश, जलवायु परिवर्तन वजह
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा है कि सड़कों समेत क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने के काम तेजी से चल रहे हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार पाकिस्तान में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश हुई. एक्सपर्ट इसका कारण जलवायु परिवर्तन को मान रहे हैं. तेज बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 26 जून से अब तक करीब 541 लोगों की मौत हो चुकी है. शनिवार को सामूहिक अंत्येष्टि के दौरान गमगीन माहौल रहा. चारों तरफ मातम पसरा हुआ था. इस बीच प्रशासन ने बुनेर में प्रभावित लोगों के लिए टेंट और भोजन की व्यवस्था की.
सुलेमान खान ने खोए परिवार के 25 सदस्य
शुक्रवार सुबह से ही स्थानीय मौलवी मुफ्ती फजल ने अलग-अलग जगहों पर जनाजे की नमाज पढ़वाई. सुलेमान खान नाम के स्कूल टीचर ने बताया कि कल तक यह इलाका जिंदगी से भरा हुआ था, लेकिन अब चारों ओर सिर्फ मातम पसरा है. सुलेमान ने अपने परिवार के 25 लोगों को बाढ़ में खो दिया. वो और उनका भाई इसलिए बच गए क्योंकि बाढ़ आने के समय वो घर पर मौजूद नहीं थे. पीर बाबा इलाके में लोग अपने प्रियजनों के शव लकड़ी के तख्तों पर रखकर ले जा रहे थे और दफनाने से पहले आखिरी रस्में निभा रहे थे. अस्पतालों में पैरामेडिक्स मृतकों के पास बर्फ रखते और घायलों को सहारा दे रहे थे.
चोसोटी गांव में दो दिन पहले आई बाढ़
प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि इस हफ्ते खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान के उत्तरी इलाकों में भारी बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में कम से कम 351 लोगों की मौत हुई है. कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज चोसोटी गांव में शनिवार को राहत और बचाव दल ने तलाशी अभियान चलाया. दो दिन पहले आई अचानक बाढ़ में यहां दर्जनों लोग लापता हो गए थे. इस आपदा में अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 150 लोग घायल हुए हैं. घायलों में करीब 50 की हालत गंभीर बताई जा रही है. गुरुवार को आई इस बाढ़ ने क्षेत्र में चल रही हिंदू तीर्थयात्रा पर भी असर डाला. प्रशासन ने अब तक 300 से अधिक लोगों को बचाया है और करीब 4,000 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.
भारत-पाकिस्तान के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं आम
भारत के हिमालयी इलाकों और पाकिस्तान के उत्तरी हिस्सों में बादल फटने जैसी घटनाएं अब अक्सर देखने को मिल रही हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक गुरुवार से अब तक 3,500 से ज्यादा पर्यटकों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से सुरक्षित निकाला गया है. पाकिस्तान ने 2022 में सबसे भीषण मानसून का सामना किया था. उस दौरान 1,700 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और करीब 40 बिलियन अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ था.
पंजाब में बाढ़ की चेतावनी
पंजाब प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) ने कई जिलों में रेड अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी है कि जलाशयों और नदियों में बढ़ते जलस्तर की वजह से आने वाले दिनों में भीषण बाढ़ का खतरा बना हुआ है.
तरबेला बांध फिलहाल 98 प्रतिशत तक भर गया है, जबकि मंगला बांध में पानी का स्तर 68 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. इसी बीच भारत की ओर से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा बढ़कर 50 हजार क्यूसेक हो गई है.