नेपाली प्रधानमंत्री की कुर्सी रहेगी या जाएगी? क्यों संकट में सरकार | nepal prime… – भारत संपर्क


नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का आलम है. फिलहाल नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड हैं. पर वह आगे और कितने अरसे इस पद पर काबिज रहेंगे, कह पाना काफी मुश्किल है. इसकी वजह बार-बार उनकी सरकार के खिलाफ आने वाला अविश्वास प्रस्ताव है.
आज डेढ़ साल के भीतर प्रचंड चौथी दफा सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे. नेपाली संविधान के आर्टिकल 100 के क्लॉज 2 के तहत प्रचंड को बहुमत सिद्ध करना होगा. नेपाल में प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली नाम से दो सदन हैं. आज की सारी कवायद प्रतिनिधि सभा में होनी है.
नेपाली PM को क्यों साबित करना पड़ रहा विश्वास मत
नेपाली संविधान के अनुच्छेद 100, क्लॉज 2 के मुताबिक अगर सत्ताधारी गठबंधन में कोई दल अपना समर्थन वापस ले लेता है, सत्ताधारी पार्टी ही में कोई अलग धड़ा बना कर बागी हो जाता है तो इस सूरत में प्रधानमंत्री को 30 दिन के भीतर सदन में दोबारा से बहुमत साबित करना होता है.
प्रधानमंत्री प्रचंड के सामने हालिया विश्वास मत साबित करने की नौबत तब आई जब उनकी सरकार का समर्थन कर रहे जनता समाजबादी पार्टी (जेएसपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया. 2022 के दिसंबर महीने में प्रचंड भारत के पड़ोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे.
नेपाली प्रधानमंत्री का क्यों हो रहा विरोध?
नेपाल के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) में कुल 275 सदस्य हैं. नेपाली प्रधानमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए 138 वोटों की जरुरत होगी. नेपाली प्रधानमंत्री को भरोसा है कि वह बेहद आसानी से अपनी सरकार बचा लेंगे. लेकिन क्या वाकई ये संभव है, आज शाम तक स्पष्ट हो जाएगा.
प्रचंड का विरोध कर रही नेपाली कांग्रेस पार्टी सदन चलने नहीं दे रही. नेपाली कांग्रेस का आरोप है कि एक कॉपरेटिव घोटाला हुआ है और इस कथित भ्रष्टाचार के मामले में देश के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे रवि लमीछाने शामिल हैं.
नेपाली संसद का नंबर गेम क्या कहता है?
नेपाल के प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सदस्य होते हैं. इनमें 165 सदस्य एक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य के तौर पर चुने जाते हैं जबकि बाकी के 110 सदस्यों का चुनाव उनकी पार्टी को मिले वोटों के अनुपाल में होता है.
सरकार चला रही नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधन के पास कुल 162 सदस्यों का समर्थन है. इस गठबंधन का नेतृत्व नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एमएल) कर रही है, इनके अपने सदस्यों की संख्या 79 है.
वहीं, विपक्षी दलों का नेतृत्व नेपाली कांग्रेस, 88 सदस्यों के साथ कर रही है. नेपाल के विपक्षी दल को कुल 113 सदस्यों का समर्थन है. अब देखना ये है कि क्या उनका गठबंधन किसी भी तरह के गठजोड़ से प्रचंड को परास्त कर पाएगा या फिर वह अपनी कुर्सी बचा ले जाएंगे?