पंडाल निर्माण को लेकर नई गाइडलाइन लागू, सार्वजनिक मार्ग और…- भारत संपर्क


सार्वजनिक स्थलों पर पंडाल और अस्थाई ढांचे के निर्माण को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी किया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जानकारी दी कि 25 अगस्त 2025 से पंडाल निर्माण की नई पॉलिसी लागू कर दी गई है।
दरअसल, रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि त्योहारों या अन्य आयोजनों में सड़कों, चौराहों, फुटपाथों और मैदानों पर अनियंत्रित तरीके से बनाए जा रहे पंडालों से नागरिकों को भारी परेशानी होती है। कई बार यातायात बाधित होता है और हादसों का भी खतरा रहता है। इसी पर विचार करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा, जिसके बाद नई पॉलिसी लागू की गई।
नई गाइडलाइन के प्रमुख बिंदु

अब बिना अनुमति नहीं बन सकेंगे पंडाल
सड़क, फुटपाथ, चौराहे, मैदान जैसे सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह का पंडाल, धरना स्थल, रैली या सभा करने के लिए अब अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
दो कैटेगरी में बंटे पंडाल
छोटे पंडाल – 5000 वर्ग फीट से कम क्षेत्रफल और अधिकतम 500 लोगों की क्षमता।
बड़े पंडाल – 5000 वर्ग फीट से अधिक क्षेत्रफल और 500 से ज्यादा लोगों की क्षमता।
छोटे पंडाल के लिए नियम
स्थानीय निकाय से अनुमति अनिवार्य।
मुख्य मार्गों पर पंडाल लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी।
आयोजकों को वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराना होगा।
बिजली तारों के नीचे पंडाल बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित।
केवल अग्निरोधी (फायर रेसिस्टेंट) सामग्री से ही पंडाल निर्माण की अनुमति।
बड़े पंडालों के लिए कड़े प्रावधान
ADM, थाना प्रभारी, फायर ब्रिगेड और बिजली विभाग से NOC अनिवार्य।
मंजूरी मिलने के बाद निर्धारित शुल्क जमा करना होगा।
किसी भी भवन से कम से कम 15 फीट दूरी पर ही पंडाल बनाए जा सकेंगे।
सुरक्षा और सुविधा पर जोर
अदालत ने साफ किया है कि नई गाइडलाइन का पालन करना आयोजकों की जिम्मेदारी होगी। किसी भी तरह का उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। इसका उद्देश्य आम नागरिकों को होने वाली असुविधा कम करना और दुर्घटनाओं की आशंका को रोकना है।
अब सवाल उठता है कि त्योहारों के समय नगर निगम और जिला प्रशासन इन नियमों को कितनी सख्ती से लागू करेगा, क्योंकि छत्तीसगढ़ में हर साल गणेशोत्सव, दुर्गा पूजा और अन्य धार्मिक आयोजनों में हजारों पंडाल लगाए जाते हैं।