क्रिटिकल केस में नवजात को मिली विशेष संजीवनी थैरेपी, 7 माह…- भारत संपर्क
क्रिटिकल केस में नवजात को मिली विशेष संजीवनी थैरेपी, 7 माह के प्रीमेच्योर नवजात शिशु को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मिला उत्कृष्ट इलाज
कोरबा। 5 बार गर्भपात हुआ, छठवीं बार फिर गर्भवती हुई इस बार 7 महीने में ही एक प्रीमेच्योर नवजात शिशु को महिला ने जन्म दिया। जन्म के वक्त नवजात का वजन सिर्फ 1.3 किलो था। हालात बेहद खराब थी। बच्चे को बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग के चिकित्सकों ने उसे विशेष संजीवनी थैरेपी दी। पांच बार के गर्भपात के बाद ये महिला की छठवीं डिलीवरी थी। जन्म के वक्त बच्चे का वजन काफी कम था। लगभग 48 घंटे वेंटिलेटर पर रहने के बाद विशेष थैरेपी से शिशु पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। इसके बाद अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया। चिकित्सकों ने बताया कि थैरेपी में फेफड़ों में हवा भरी जाती है। ये इंजेक्शन और दवा शिशु के जन्म के 6 से 8 घंटे के भीतर ही दी जा सकती है। पूरी टीम ने काफी मेहनत की, नवजात शिशु को लगभग 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। जिसकी हालत अब पूरी तरह से स्टेबल है और इसे डिस्चार्ज किया जा रहा है। डॉक्टर के मुताबिक, निजी अस्पताल में अनुमान लगाने पर सिर्फ एक थैरेपी वाली दवा 30 हजार रुपए में दी जाती है। बाकी वेंटिलेटर और खर्च अलग ही हैं। हमारे यहां शासन और अस्पताल अधीक्षक की ओर से सारी दवाई निशुल्क दी गई है। पिता का कहना है कि मुझे डॉक्टर ने बच्चे की कंडिशन के बारे में बताया था। पैदा होने के बाद बच्चा रोया भी नहीं था। चिकित्सकों को टीम ने काफी मेहनत की है। अब बच्चा वेंटिलेटर से बाहर निकाल लिया गया है। परिवार में काफी खुशी का माहौल है। निजी अस्पतालों में महंगी दवाई और इलाज वाले दौर में सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक परिवार की झोली में खुशियां डाल दी हैं।