Nitish kumar jdu also played game in change of district president bihar…

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Nitish kumar jdu also played game in change of district president bihar…
बिहार में जहां हारी BJP, वहां मौका... नीतीश ने जिलाध्यक्षों के बदली में भी किया खेल!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार की पार्टी ने बिहार में बड़ी सर्जरी की है. जेडीयू ने हालिया लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार गई, वहां के जिला अध्यक्षों को कुर्सी से हटा दिया है, लेकिन चर्चा में पार्टी के 2 नवनियुक्त जिलाध्यक्षों की हैं. कहा जा रहा है कि जेडीयू औरंगाबाद और कैमूर में जिलाध्यक्षों को रिपीट कर दिया है. वो भी तब, जब इन इलाकों में बीजेपी को करारी हार मिली.

बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए के बैनर तले जेडीयू, बीजेपी, हम, रालोमा और लोजपा ने मिलकर लड़ा था. राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 29 पर जीत मिली. सबसे बड़ा झटका एनडीए में बीजेपी को ही लगा.

कौन हैं वो 2 जिलाध्यक्ष?

नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने औरंगाबाद सीट से पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह को फिर से जिलाध्यक्ष बनाया है. सिंह 2024 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी अध्यक्ष थे. सिंह रफीगंज सीट से विधायक रह चुके हैं.

लोकसभा चुनाव के दौरान अशोक सिंह की रफीगंज सीट पर बीजेपी के सुशील सिंह आरजेडी के अभय कुशवाहा से 19 हजार के मार्जिन से पिछड़ गए थे. सुशील ने बीजेपी हाईकमान को हार के लिए भीतरघात को जिम्मेदार बताया था.

सिंह औरंगाबाद के दिग्गज नेता माने जाते हैं और वे 2024 में लगातार चौथी बार जीत के लिए मैदान में उतरे थे. औरंगाबाद के अलावा जेडीयू ने कैमूर से अनिल कुशवाहा को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है. कुशवाहा पहले भी कैमूर के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं.

2024 के चुनाव में कैमूर के अधीन आने वाले सासाराम और बक्सर सीट पर कुशवाहा प्रभारी थे. इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी लड़ रही थी. बीजेपी दोनों ही सीटों पर हार गई. बक्सर से बीजेपी के मिथिलेश तिवारी और सासाराम से शिवेश कुमार मैदान में थे.

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

1. जहां जेडीयू हारी, वहां बदले अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव 2024 में जनता दल यूनाइटेड किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और जहानाबाद सीट पर हार गई. किशनगंज छोड़कर जेडीयू ने बाकी के 3 सीटों पर जिलाध्यक्ष को बदल दिया है. जेडीयू ने जहानाबाद में दिलीप कुशवाहा, अरवल से मिथिलेश कुमार, पूर्णिया ग्रामीण से प्रकाश कुमार, पूर्णिया नगर से अविनाश सिंह, कटिहार से सूरज राय और कटिहार शहर से अमित कुमार को अध्यक्ष बनाया गया है.

वहीं जेडीयू ने मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ और मुंगेर जिले में कोई छेड़छाड़ नहीं किया है. इन जगहों पर लोकसभा चुनाव में जेडीयू को जीत मिली थी. लोकसभा की जिन 4 सीटों पर जेडीयू को हार मिली थी, वहां पर विधानसभा की 24 सीटें हैं और जेडीयू के पास इन 24 में से सिर्फ 2 सीटें हैं.

2. 3 सीटों पर नहीं बदले जिलाध्यक्ष

जेडीयू ने उन 3 सीटों पर जिलाध्यक्ष नहीं बदले है, जहां पर बीजेपी की हार हुई. बीजेपी सासाराम और औरंगाबाद के अलावा पाटलिपुत्र, बक्सर और आरा में भी चुनाव हार गई. पाटलिपुत्र और आरा एक वक्त में जेडीयू का गढ़ माना जाता था.

इन सीटों पर हार के बाद भी जेडीयू ने अपने जिलाध्यक्ष को नहीं बदला है. बक्सर में बीजेपी के मिथिलेश तिवारी 30 हजार, आरा में 59 हजार और पाटलिपुत्र में 85 हजार के मार्जिन से बीजेपी को हार मिली.

नीतीश कर रहे हैं खेल?

बीजेपी जहां हारी, वहां अध्यक्ष न बदलकर नीतीश कुमार क्या संकेत देना चाहते हैं, यह सवाल बिहार के सियासी गलियारों में इस वक्त चर्चा में है. कहा जा रहा है कि नीतीश अगर उन इलाकों में अपने अध्यक्ष को बदले हैं, तो यह संदेश जाएगा कि जेडीयू मजबूती से चुनाव में बीजेपी के साथ नहीं थी.

नीतीश नहीं चाहते हैं कि इस तरह का आरोप उन पर लगे. वहीं जिन इलाकों में बीजेपी हारी है, वहां शुरू से ही जेडीयू का जनाधार कमजोर रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार इन इलाकों में ज्यादा प्रयोग भी नहीं करना चाहते हैं.

नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी बीजेपी

बिहार में 15 महीने बाद विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं. भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान किया है कि बिहार चुनाव में पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. नीतीश कुमार वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं.

बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को कम से कम 122 सीटों पर जीतना जरूरी है.

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