स्टॉक मार्केट ही नहीं… रोजगार से रिफॉर्म तक, मोदी सरकार के…- भारत संपर्क

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स्टॉक मार्केट ही नहीं… रोजगार से रिफॉर्म तक, मोदी सरकार के…- भारत संपर्क
स्टॉक मार्केट ही नहीं... रोजगार से रिफॉर्म तक, मोदी सरकार के तीसरे टर्म मे होंगी ये चुनौतियां

नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री बन सकते हैं.Image Credit source: File Photo

लोकसभा चुनावों के बाद आए नतीजों से एक बात साफ है कि देश में अब गठबंधन सरकार के साथ नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी होने जा रही है. इसे मोदी 3.0 सरकार भी कहा जा रहा है. गठबंधन के चलते जहां पीएम नरेंद्र मोदी को कई राजनीतिक मजबूरियों का सामना करना पड़ सकता है, वहीं अब उनकी सरकार के सामने कुछ बड़ी आर्थिक चुनौतियां भी होंगी. इसमें जहां एक तरफ रोजगार की बात हैं, जो दूसरी तरफ इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की. चलिए समझते हैं इनके बारे में…

मोदी 3.0 में सरकार को स्टॉक मार्केट को ये संदेश देना होगा लाजिमी होगा कि ये एक स्थिर सरकार है. स्टॉक मार्केट देश की ग्रोथ या जीडीपी का कोई मानक नहीं है, लेकिन ये इकोनॉमिक परसेप्शन बनाने में बहुत काम आता है. ये देश की मजबूत होती इकोनॉमी को भी दिखाता है. इसके अलावा भी सरकार को कई और चुनौतियों का सामना करना है..

रोजगार से रिफॉर्म तक…

मोदी 3.0 में सरकार को देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को बनाए रखना होगा. इसी के साथ उसे जिस सबसे बड़े सवाल का सामना करना है, वह ज्यादा से ज्यादा रोजगार जेनरेट करने से जुड़ा है. इसके अलावा सरकार को टैक्स रिफॉर्म्स करने पर भी ध्यान देना होगा. वहीं स्टॉक मार्केट और क्रेडिट मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट हो और खतरा कम से कम रहे, इसका भी ध्यान सरकार को रखना होगा.

ईटी की एक खबर के मुताबिक मोदी 3.0 की प्रायोरिटी 3 चीजों पर निर्भर करेगी. ये है भूमि या उससे जुड़े सुधार, श्रम-रोजगार या उससे जुड़े सुधार और पूंजी की जरूरत को पूरा करना. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अगर सरकार इन तीनों पैरामीटर पर ठीक से काम करने में सफल रहती है, तो ये आर्थिक सुधारों को मजबूती प्रदान करेगा, साथ ही देश की इकोनॉमी को स्ट्रॉन्ग बनाएगा.

खर्च कंट्रोल करने पर रहेगा जोर

एक और बात साफ है कि अगर सरकार को आर्थिक प्रगति की नींव को मजबूत करना है, तो उसे अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने पर जोर देना होगा. इतना ही नहीं इसी के साथ बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने, पूंजीगत खर्च बढ़ाने, निजी निवेश को बढ़ाने, कृषि को प्रोत्साहन देने और कंज्यूमर फ्रेंडली पॉलिसी बनाने पर भी काम करना होगा, ताकि इकोनॉमी में डिमांड जेनरेट की जा सके.

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रणब सेन के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी 3.0 की सबसे पहली प्राथमिकता लोगों की आजीविका होनी चाहिए. देश की तेज आर्थिक प्रगति का स्वागत होना चाहिए, लेकिन इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि ये ऊंची प्रगति ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करे और बड़ी संख्या में लोगों को एक सस्टेनबल आय का जरिया प्रदान करे.

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