टेस्ला नहीं, चीनी कंपनियां है टाटा की टेंशन, ऐसे बढ़ा रहीं…- भारत संपर्क

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टेस्ला नहीं, चीनी कंपनियां है टाटा की टेंशन, ऐसे बढ़ा रहीं…- भारत संपर्क
टेस्ला नहीं, चीनी कंपनियां है टाटा की टेंशन, ऐसे बढ़ा रहीं…- भारत संपर्क
टेस्ला नहीं, चीनी कंपनियां है टाटा की टेंशन, ऐसे बढ़ा रहीं धड़कन

Tata Motors के लिए सबसे बड़ी टेंशन टेस्ला नहीं बल्कि चीनी कंपनियां बन गई हैं.

कुछ साल पहले जब पहली बार टेस्ला को भारत लाने की बातचीत चल रही थी, उस समय टेस्ला की ओर से इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की बात कही थी. तब टाटा ग्रुप या यूं कहें कि टाटा मोटर्स ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया था. उन्होंने तब इस बात के संकेत दिए थे, इंपोर्ट की गई ईवी पर से ड्यूटी कम करने से लोकल प्लेयर्स को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. अब जब सरकार ने नई पॉलिसी लागू की है और इंपोर्ट की गई ईवी पर टैक्स को कम कर दिया गया है.

इससे सबसे ज्यादा डर अब भी टाटा मोटर्स को है. इस बार सामने टेस्ला नहीं बल्कि चीनी ऑटी कंपनी है. जोकि टेस्ला से पहले भारत में एंट्री ले चुकी है और देश के 90 फीसदी मार्केट में अपने आपको एक्सप्लोर करने की कर चुकी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टाटा मोटर्स और देश की दूसरी ऑटो कंपनियों को किस चीनी कंपनी से सबसे ज्यादा डर है और वो कौन सी कंपनी है? इससे पहले बात आगे बढ़ाए उससे पहले हमें थोड़ा पीछे जाकर इस पूरी थ्योरी को समझना होगा.

नई पॉलिसी से विदेशी कंपनियों को फायदे

भारत सरकार ने नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की घोषणा की है. जिससे दुनिया की तमाम बड़ी-छोटी ईवी कंपनियों की भारत में एंट्री की राह आसान हो जाएगी. इस नई पॉलिसी से टेस्ला जैसी कंपनियों को अपनी इंपोर्ट की गई गाड़ियों पर कम टैक्स देना होगा. यह नई पॉलिसी इसलिए लाई गई है ताकि विदेशी कंपनियां भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएं. इस नई ईवी पॉलिसी के तहत विदेशी कंपनियों को एक साल में 8 हजार इंपोर्टेड ईवी पर सिर्फ 15 फीसदी ड्यूटी देनी होगी. भारत सरकार की ओर से ये तमाम प्रयास देश में ईवी को प्रमोट करने के लिए है.

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अब खड़े हुए सवाल

इस पॉलिसी के आने के बाद कुछ सवाल भी खड़े हो गए हैं. ऐसी नई बहस शुरू हो गई है, जिसका सीधा कनेक्शन लोकल प्लेयर्स से है. क्या इस पॉलिसी से उन भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है जो ईवी पर लगातार काम करती आ रही है? जी हां ये वो ही सवाल है जो कुछ साल पहले टाटा मोटर्स और दूसरी लोकल कंपनियों ने उठाया था. जब टेस्ला इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की बात पर अड़ा था. उस समय टेस्ला की बात नहीं सुनी गई और टाटा मोटर्स भारत में देश का सबसे बड़ा ईवी मेकर बनकर उभरा.

क्या है टाटा की प्लानिंग

रिपोर्ट के अनुसार टाटा मोटर्स 70 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के साथ भारत के ईवी बाजार पर हावी है. इसमें टियागो, नेक्सॉन, टिगोर और पंच मॉडल के इलेक्ट्रिक वर्जन हैं. टाटा मोटर्स की अपने मौजूदा प्रीमियम मॉडलों को भी इलेक्ट्रिफिकेशन करने की बड़ी प्लानिंग है. रिपोर्ट के मुताबिक हैरियर का ईवी वैरिएंट भी लॉन्च किया जाएगा. इससे पहले टाटा मोटर्स ने तर्क दिया था कि ड्यूटी कम करने से डॉमेस्टिक प्लेयर्स पर काफी बुरा असर पड़ेगा और निवेश को लेकर माहौल खराब हो जाएगा.

नई ईवी पॉलिसी के फायदे और नुकसान

अब बात सिर्फ टेस्ला ही नहीं रही है. इससे कहीं आगे निकल चुकी है. टाटा मोटर्स के लिए अब टेस्ला सबसे बड़ा खतरा नहीं है. नई ईवी पॉलिसी का सबसे ज्यादा नुकसान अब भी टाटा मोटर्स को हो सकता है. वैसे कुछ लोगों का यह कहना है कि इस पॉलिसी से लोकल ईवी मेकर्स को प्रीमियम सेगमेंट में आने में मदद मिलेगी.

जिसमें टाटा मोटर्स को एक्सपैंड करना बाकी है. जानकारों का ये भी कहना है कि टाटा मोटर्स के लिए सबसे बड़ी चिंता टेस्ला नहीं है, बल्कि चीनी कंपनियां है. जोकि भारतीय प्लेयर्स के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाकर भारत में एंट्री कर सकती हैं. जिनमें से कुछेक एंट्री कर चुकी हैं.

चीनी कंपनियों से चेतावनी

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने हाल ही में चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि भारत की नई ईवी पॉलिसी से चीनी ऑटो कंपनियों को भारत में बड़े पैमाने पर एंट्री मिल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ सालों में भारत की सड़कों पर चीनी ईवी दिखाई दे सकती है. फिर चाहे वो पैसेंजर ईवी हो या फिर कमर्शियल सेगमेंट की ईवी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये चीनी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर कर भारत में एंट्री लेने तैयार हैं. टाटा मोटर्स और बाकी लोकल प्लेयर्स को जिस चीनी ईवी से सबसे ज्यादा खतरा है वो बीवाईडी है. जो भारत में टेस्ला से पहले एंट्री ले चुकी है. साथ ही साल के अंत तक भारत के 90 फीसदी ईवी मार्केट को कवर करने का संकल्प ले चुकी है.

कीमतों में क्या फर्क

BYD ने हाल ही में भारत अपनी सील इलेक्ट्रिक सेडान लॉन्च की है. कंपनी अपनी Atto 3 और E2 प्रीमियम EVs भी जल्द लेकर आने वाली है. बीवाईडी भारत में सस्ती ईवी लाने की भी प्लानिंग कर रही है. जिसका सपना हर भारतीय देख रहा है. जहां टेस्ला अमेरिका में 40,000-70,000 डॉलर में ईवी बेचती है, वहीं बीवाईडी सस्ते से लेकर लक्जरी और इलेक्ट्रिक बसों तक ऑटो की पूरी रेंज का प्रोडक्शन करती है. इससे यह वॉल्यूम के मामले में टेस्ला से आगे निकलने में कामयाब हुआ है.

वहीं टाटा टियागो की कीमत 10 लाख रुपए, पंच की कीमत 11 लाख रुपए और 15 लाख रुपए है. यहां तक ​​कि टॉप एंड फीचर्स वाली आगामी Tata Harrier EV की कीमत भी 30 लाख रुपए से कम होने की उम्मीद है. सबसे ज्यादा बिकने वाली ईवी, महिंद्रा XUV400 16 लाख रुपए में अलेवेबल है. यही कारण है कि टाटा और महिंद्रा टेस्ला से कंप्टीशन के मामले में ज्यादा चिंतित नहीं हैं, जो अब तक काफी ज्यादा महंगी गाड़ियों पर फोकस करता है.

बैटरी के मोर्च पर बीवाईडी

वहीं दूसरी ओर ईवी में बैटरी को लेकर भारत में सबसे बड़ी चिंता देखने को मिल रही है. जिसमें बीवाईडी तकनीकी तौर पर दुनिया में सबसे बेहतर है. जोकि काफी अहम है और ईवी का सबसे प्रमुख हिस्सा भी है. टेस्ला और दूसरी ग्लोबल ईवी कंपनियां डिज़ाइन और एडवांस फैसिलिटी पर फोकस करती हुई दिखाई देती हैं.

BYD और दूसरी चीनी कंपनियां बैटरी और कम से कम वैल्यू पर फोकस कर रही हैं. जिसमें दूसरी ग्लोबल कंपनियां कहीं भी नहीं ठहर रही हैं. यह पहलू इंडियन मार्केट में काफी निर्णायक साबित हो सकता है. क्योंकि भारत में सबसे पहले प्राइस को देखा जाता है उसके बाद बाकी चीजें देखने को मिलती हैं.

वहीं Xiaomi भी है, जिसने हाल ही में चीन में अपनी SU7 इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की है. हालांकि Xiaomi ने अपनी भारत योजना की घोषणा नहीं की है, लेकिन यह कार भारतीय EV प्लेयर्स को जबरदस्त टक्कर दे सकती है. लगभग 25 लाख रुपए में, SU7 काफी शानदार है . Xiaomi को EV इंडस्ट्री में अपने स्मार्टफोन की सफलता को दोहराने में मदद कर सकता है.

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