अब भारतीय पहनेंगे फिट जूते, UK और US नहीं ‘Bha’ दिलाएगा…- भारत संपर्क

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अब भारतीय पहनेंगे फिट जूते, UK और US नहीं ‘Bha’ दिलाएगा…- भारत संपर्क

ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान हम जूतों के लिए अक्सर यूके और यूएस के साइज पर निर्भर रहते है, लेकिन भारत अब आत्मनिर्भर की ओर एक कदम और बढ़ा रहा है. अब भारत में खुद का जूतों का साइज होगा, जिसका नाम ‘Bha’ रखा जाएगा. भारतीयों को अब जूतों के साइज के लिए अमेरिका और लंदन के तय मानकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. भा (Bha) नाम का प्रस्ताव भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए लाया गया. इस पहल का उद्देश्य भारत में जूते के निर्माण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाना है. उम्मीद जताई जा रही है कि भा (Bha) साइज 2025 तक मौजूदा यूके/यूरोपीय और यूएस साइजिंग सिस्टम को बदल देगा.

इस वजह से सरकार ने उठाया ये कदम

बता दें कि फुटवियर के लिए वर्तमान इंडियन स्टैंडर्ड साइज यूरोपीय और फ्रांसीसी स्टैंडर्ड पर आधारित है, लेकिन Bha को लाने के पीछे का मकसद देश के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए अधिक आरामदायक फिट साइज बनाना है. ये न केवल पैर की लंबाई बल्कि चौड़ाई के साइज का भी पूरा ध्यान रखेगा. इसके लिए यूजर ट्रायल भी किया गया है. एक लाख से ज़्यादा लोगों के शू साइज लिये गए हैं.

अब ‎‎जूते-चप्पलों के भारतीय मानक ‎तैयार हो रहे हैं. अगले साल यानी 2025 से कंपनियां‎ अलग से भारतीयों के लिए फुटवियर तैयार करेंगी. इसके‎ लिए भा कोड रखा गया है,‎ जिसका मतलब भारत से है. इसके‎ लिए भारतीय मानक ब्यूरो से‎ मान्यता मिलनी बाकी है. भारतीयों के साइज पर सर्वे-भारतीयों ‎के पैर की आकृति और आकार ‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎समझने के लिए काउंसिल ऑफ ‎साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च‎ और सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट‎ ने पूरे भारत में सर्वे किया. इसमें यह ‎भी पता चला कि महिलाओं के पैरों ‎का आकार 11 साल की उम्र तक ‎बढ़ता है, जबकि पुरुषों में यह ‎15-16 साल तक बढ़ता रहता है.‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎

नाप ना होने का नुकसान

इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह‎ भारत का बड़ा बाजार है. यहां हर‎ भारतीय के पास औसतन 1.5 जूते‎ हैं. ऑनलाइन खरीदे गए 50%‎ फुटवियर सही नाप ना होने से लौटा‎ दिए जाते हैं. नई व्यवस्था में अब‎ कंपनियों को 10 की बजाय 8‎ साइज में ही फुटवियर बनाने होंगे. पैर की डिजाइन और आकार को समझने के लिए दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच एक सर्वे किया गया था. इस सर्वे में पांच भौगोलिक क्षेत्रों में 79 स्थानों पर रहने वाले करीब 1,01,880 लोगों को शामिल किया गया.

इतना ही नहीं बल्कि भारतीय पैर के आकार, आयाम और संरचना को समझने के लिए 3डी फुट स्कैनिंग मशीनें तैनात की गई. इसमें पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र में चरम पर होता है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में बदलाव लगभग 15 या 16 साल में होता है. ‎

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