*अब अंतिम संस्कार के लकड़ी के लिये नहीं पड़ेगा भटकना,उपाध्यक्ष ने बढ़ाये मदद…- भारत संपर्क

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*अब अंतिम संस्कार के लकड़ी के लिये नहीं पड़ेगा भटकना,उपाध्यक्ष ने बढ़ाये मदद…- भारत संपर्क

कोतबा, जशपुरनगर/ मानवता को शर्मसार करने वाली घटना से अब निजात मिलेगी.अब तक यहां के लोगों को वन विभाग की निष्क्रियता और गैर जिम्मेदाराना रवैया से लोगों को मरणोपरांत दाह संस्कार के लिये जलाऊ लकड़ी के लिये चंदा करना या भटकना पड़ता था.जिससे दाह संस्कार में कई कठिनाई के साथ ही उन्हें मानसिक रूप से विवश होना पड़ता था.अब इस जटिल समस्या के लिये पहली बार नगर की महिला अध्यक्ष श्रीमती सुमन सुनील शर्मा ने मदद के हाथ बढ़ाये हैं.उन्होंने बाकयदा नगर पंचायत के गाड़ी में मुनादी कराकर यह कहा है कि अब नगर में किसी की भी मृत्यु होती है तो वे उसके सम्पूर्ण लकड़ी का व्यवस्था करेंगे.उन्होंने कहा है कि कोई भी अगर अंतिम संस्कार जैसे पवित्र कार्य के लिये लकड़ी जुटाने में असमर्थ होगा तो वे उन्हें निःशुल्क लकड़ी प्रदान करेंगें।

उनके इस फैसले से अंतिम संस्कार के लिए अब लकड़ी के लिए ज़रूरतमंद परिवारों को लकड़ी के लिए पैसे इकट्ठा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
अक्सर देखा गया है कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था करने में लोगों को आर्थिक कठिनाई होती थी। इस समस्या को हल करने के लिए, उपाध्यक्ष ने पहल की है और अब अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था खुद करेंगे.
यह फैसला उन परिवारों के लिए बहुत मददगार होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके लिए अंतिम संस्कार का खर्च उठाना मुश्किल होता है. उपाध्यक्ष का यह कदम सराहनीय है और इससे समुदाय में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलेगा.

उल्लेखनीय है कि 10 दिन पूर्व ही वन विभाग और नगर सरकार को आईना दिखाते हुये सभी प्रमुख अखबारों में यह खबर प्रकाशन किया था कि यहाँ मरणोपरांत मृतक परिजनों के परिवार वालों को दाह संस्कार जैसे अतिआवश्यक कार्यों के लिये लोगों के घरों में जाकर लकड़ी इकट्ठा करना कर दाह संस्कार करना पड़ता था.इसका एक मात्र कारण वनविभाग के डीपो में लकड़ी नहीं होना होता था.आपको बता दें कि 50 सालों से अधिक समय से कोतबा स्थित कारगिल चौक में वनविभाग द्वारा वन डीपो संचालन किया जा रहा है.जो पिछले पांच वर्षों से बंद पड़ा हैं.मामले को लेकर वनविभाग को आईना दिखाया गया तो विभाग ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वह भूमि उनके अधीन नही हैं.ना ही उनके अधिपत्य में है.बिडंबना है कि वनविभाग ने अपना कर्तव्य निर्वहन में रुचि नही दिखाई जिससे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था.

उपाध्यक्ष श्रीमती सुमन सुनील शर्मा के इस सार्थक पहल के जानकारी के बाद लोग ने इस अनुकरणीय पहल की सराहना कर रहें है.लोगों का मानना है कि हिन्दू रीतिरिवाजों के अनुरूप उनका क्रियाकर्म किया जाएगा. अब उनके परिजनों को देहांत के बाद नही भटकना पड़ेगा!

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