घर में अब खूब बिखरेगी बासमती चावल की ‘महक’, कीमतें आई इतनी…- भारत संपर्क
बिरयानी का सबसे अहम इंग्रीडिएंट है बासमती चावलImage Credit source: Unsplash
वेज बिरयानी जैसी कोई चीज नहीं होती, ये आपने अक्सर सुना होगा. चलो मान लेते हैं लेकिन यहां बात बासमती चावल की है, जिसके बिना वेज या नॉनवेज दोनों ही तरह की बिरयानी नहीं बन सकती. ऐसे ही बिरयानी लवर्स के लिए अच्छी खबर है कि घरेलू बाजार में बासमती चावल सस्ता हुआ है. लेकिन अगर आप बासमती चावल के ट्रेड से जुड़ें हैं तो इंटरनेशनल एक्सपोर्ट मार्केट में इसकी कीमत सरकार के फिक्स किए ‘मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस’ (MEP) से भी नीचे चली गई हैं.
जिस तरह से सरकार फसलों की खरीद के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) जारी करती है, उसी तरह अधिकतर एक्सपोर्ट वाली जिंस के लिए एमईपी भी तय की जाती है. जैसे बासमती चावल के लिए ये 950 डॉलर प्रति टन है. इसका मतलब ये हुआ भारत से इससे कम कीमत पर बासमती चावल एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता है.
इतनी घट गई बासमती चावल की कीमत
बासमती चावल की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत 800 से 850 डॉलर प्रति टन तक आ चुकी है. एक्सपोर्ट के लिए बाजार से कम माल उठने के चलते घरेलू बाजार में भी इसकी कीमत 75 रुपए प्रति किलोग्राम से घटकर 65 रुपए प्रति किलोग्राम पर आई हैं. भारत दुनिया के सबसे बड़े बासमती चावल प्रोड्यूसर और एक्सपोर्टर में से एक है. इस तरह एक्सपोर्ट की कीमतें नीचे आना एक चिंता का विषय है. अगर ओवरऑल देखें तो पिछले साल अगस्त में बासमती चावल की एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी.
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एक्सपोर्ट मार्केट के एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब अगस्त में सरकार ने बासमती चावल की एमईपी बढ़ानी शुरू की, इससे इंटरनेशनल मार्केट में बड़े इंपोर्टर्स ने अनिश्चिता के चलते ज्यादा मात्रा में और जल्दी-जल्दी बासमती की खरीद कर ली. ईटी के मुताबिक बाद में सरकार ने अक्टूबर में इस एमईपी को 950 डॉलर प्रति टन तक ला दिया.
इस बारे में पंजाब राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा है, ताकि एक्सपोर्टर्स को एमईपी के चलते एक्सपोर्ट करने से ही ना रोक दिया जाए. इसकी वजह ये है कि भारत से बासमती खरीदने के लिए कुछ ग्लोबल बायर्स अभी भी डिमांड कर रहे हैं.
भारत में कम इस्तेमाल होता है बासमती
भारत में आम लोगों के बीच बासमती चावल कम ही इस्तेमाल किया जाता है. इसकी अधिकतर पैदावार को एक्सपोर्ट कर दिया जाता है. भारत में हर साल 65 लाख टन बासमती चावल पैदा होता है. इसमें से करीब 50 लाख टन का एक्सपोर्ट कर दिया है. 5 लाख टन की खपत देश में होती है, बाकी चावल कैरी फॉरवर्ड होता है.
ईटी की एक खबर के मुताबिक इस बार खरीफ 2024 की फसल में 80 लाख टन बासमती चावल की पैदावार हुई है. जिसमें से 12.5 लाख टन का इस्तेमाल घरेलू बाजार में हो गया. जबकि निर्यात भी बढ़कर 52.5 लाख टन रहा है.