तेल कंपनियों ने कम की 15,700 नौकरियां, मुनाफे को ऐसे किया…- भारत संपर्क

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तेल कंपनियों ने कम की 15,700 नौकरियां, मुनाफे को ऐसे किया…- भारत संपर्क

भले ही देश की सरकारी तेल और गैस कंपनियों ने अपने रेवेन्यू को 6 साल में डबल कर लिया हो, लेकिन अपने वर्कफोर्स यानी जॉब में 14 फीसदी यानी 15,700 की कटौती कर दी है. पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार सरकारी तेल और गैस कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या छह साल पहले 1,10,000 थी, जोकि मौजूदा समय में घटकर 2022-23 के अंत में 94,300 हो गई. प्रोडक्शन, मार्केटिंग और आरएंडडी सेक्टर में बीते सालों में 20-24 फीसदी नौकरियां कम हो गईं, जबकि रिफाइनरीज में केवल 3 फीसदी की कटौती हुई. पाइपलाइन बिजनेस में रोजगार 7 फीसदी बढ़ा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मौजूदा समय में किस तरह के आंकड़ें देखने को मिल रहे हैं.

किस सेक्शन में कितनी जॉब

जहां एग्जीक्यूटिव या मैनेजिरियल जॉब्स में 6 फीसदी की गिरावट आई, वहीं सुपरवाइजर, क्लर्कों और कामगारों सहित नॉन-मैनेजिरियल जॉब्स में 25 फीसदी की गिरावट आई. एक्सपोलेरेशन और प्रोडक्शन सेक्टर में मैनेजिरियल जॉब्स में 27 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. रिफाइनरीज में मैनेजिरियल जॉब्स में 15 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. आरएंडडी सेक्शन में मैनेजिरियल जॉब्स 16 फीसदी कम हुई है. सरकारी ऑयल कंपनियों में कुल रोजगार में मैनेजिरियल जॉब्स की हिस्सेदारी 54.5% से 5 फीसदी बढ़कर 60 फीसदी हो गई. रिफाइनिंग (8 फीसदी), आर एंड डी (3 फीसदी) और मार्केटिंग (16 फीसदी) सेक्टर में मैनेजिरियल जॉब्स की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है. प्रोडक्शन क्षेत्र में इस पोस्ट की जॉब में 5 फीसदी की गिरावट आई है.

6 साल में कितना खर्च

सरकारी तेल कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022-23 तक छह वित्तीय वर्षों में 6,80,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इंडस्टी से जुड़े लोगों के अनुसार तेल सेक्टर में निवेश से उस हिसाब से जॉब क्रिएट नहीं होते हैं. उनका मानना है कि कंपनी को स्किल वाले लोगों की जरुरत है. इसलिए वे कई जॉब्स में लोगों को आउटसोर्स करते हैं. मार्च 2023 में इंडियन ऑयल कॉरपाेरेशन में 28,000 कर्मचारी, 24,000 वर्कफोर्स ओएनजीसी में रहे. कुल जॉब्स में अधिकारियों या प्रबंधकों की हिस्सेदारी इंडियन ऑयल में 58 फीसदी और ओएनजीसी में 60 फीसदी थी.

कितना हुआ प्रॉफिट

अगर बात देश की तीनों ऑयल कंपनियों के प्रॉफिट की बात करें तो 82 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बैठ रहा है. जोकि एक रिकॉर्ड है. ये हालत तब है, जब तीनों कंपनियों का प्रॉफिट चौथी तिमाही में 50 फीसदी तक कम हुआ है. उससे पहले तीन तिमाहियों में कंपनियों का प्रॉफिट 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का देखने को मिला था. जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि कंपनियों का पूरे वित्त वर्ष में प्रॉफिट 90 हजार करोड़ रुपए के पार जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. गुरुवार को कंपनियों के शेयरों में 3 से 5 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी.

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