उधर अमेरिका चीन के बीच खिंची ‘ट्रेड वॉर’ की तलवार, इधर भारत…- भारत संपर्क
चीन और अमेरिका के बीच छिड़ सकता है ट्रेड वॉर
अमेरिका ने चीन से आयात किए जाने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक का इंपोर्ट टैक्स लगा दिया है. इसकी वजह से दुनिया के सामने एक बार फिर ट्रेड वॉर छिड़ने की चिंता बढ़ गई है. लेकिन भारत की टेंशन की वजह कुछ और है और ये अमेरिका से ज्यादा चीन से जुड़ी है, क्योंकि इस मामले में भारत को चीन के पड़ोसी होने का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की आशंका से भारत में अब चीन की ओर से डंपिंग बढ़ने की संभावना है. देश में एक्सपोर्टर्स के शीर्ष संगठन फियो का भी कहना है भारत को चीन की ओर से डंपिंग बढ़ने को लेकर सचेत रहना होगा.
फियो ने गुरुवार को कहा कि चीन के पास इलेक्ट्रिक वाहन जैसे कई सेक्टर्स में अत्यधिक क्षमता है. ऐसे में चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के चलते डोमेस्टिक मार्केट में सामान की डंपिंग के खतरे की आशंका है. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि इंडस्ट्री के साथ-साथ सरकार को चीन से इंपोर्ट पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. यदि इसमें वृद्धि या डंपिंग होती है, तो डीजीटीआर को घरेलू कंपनियों के हितों की रक्षा लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
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लगाया जा सकता है एंटी-डंपिंग शुल्क
डीजीटीआर वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली एक जांच यूनिट है. ये डंपिंग के मामलों को देखती है और फिर किसी सामान के इंपोर्ट पर एंटी-डंपिंग शुल्क के साथ-साथ प्रोटेक्शन ड्यूटी या रिटेलिएट ड्यूटी लगाने की अनुशंसा करती है. इसी के आधार पर वित्त मंत्रालय एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का फैसला लेता है. इस शुल्क की वजह से उस सामान के आयात को सीधे हतोत्साहित करने में मदद मिलती है.
अश्विनी कुमार का कहना है कि चीन के पास कई सेक्टर्स में जरूरत से ज्यादा क्षमता है. इसको देखते हुए डंपिंग के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है. खासकर तब जब उनके निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बंद हो.
अमेरिका ने मंगलवार को चीन के इलेक्ट्रिक वाहनों, उन्नत बैटरी, सौर सेल, इस्पात, एल्युमीनियम और चिकित्सा उपकरणों पर 100 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाने की योजना की घोषणा की है.