श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस शिव-सती चरित्र का सुनाया गया…- भारत संपर्क
श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस शिव-सती चरित्र का सुनाया गया प्रसंग, गृहस्थ जीवन को भगवान का प्रसाद समझे – पंडित मेहता
कोरबा। पितृमोक्षार्थ गयाश्राद्धांतर्गत मातनहेलिया परिवार द्वारा जश्न रिसोर्ट में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक पंडित विजय शंकर मेहता ने कपिल गीता, शिव-सती चरित्र और भरत चरित्र को जीवन प्रबंधन से जोडक़र विभिन्न प्रहसनों के माध्यम से श्रोतागणों को समृद्ध और खुशहाल दाम्पत्य जीवन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन को भगवान का प्रसाद समझे और घर में कलह को घूसने न दें। गृहस्थ जीवन को भगवान का प्रसाद समझ कर यदि जीवन बिताएंगे तो कभी पति-पत्नी के बीच संबंध खराब नहीं होंगे। उन्होंने कहानी के माध्यम से बताया कि पति-पत्नी के झगड़े का कोई समय नहीं होता। रात को भी जब पति-पत्नी लड़ते हैं और करवट बदल-बदल कर दोनों के बीच नोंक-झोंक होती है और सुबह कब होती है पता ही नहीं चलता। सुबह होते ही पति बोलता है आज रातभर दिमाग खराब हो गया-मसालेदार चाय लेकर आओ और दोनों साथ बैठकर चाय भी पीते हैं। उन्होंने कहा अपने दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाना खुद के हाथ में है। झुकना सीखिए और देखिए, परिवार कैसे खुशहाल बन जाएगा। पति-पत्नी के बीच संबंधों का सीधा असर संतान पर पड़ता है, कम से कम संतान के लिए संबंध मधूर रखिए। उन्होंने कहा कि जब भी रामकथा सुनिए, शिव की तरह सुनें और रम जाएं। रामकथा कान से सुनें और ऐसा सुनें कि नाभि में उतर जाए। उन्होंने कहा कि भरत राम के सबसे बड़े भक्त थे और आज के राजनेताओं को भरत से राजनीति सीखनी चाहिए। भरत जैसा आजतक कोई राजा नहीं हुआ, जिसके कारण ही हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। उन्होंने ऐसे कई प्रहसन सुनाए, जिसमें जीवन की सार्थकता दिखी और अंत में कहा होईहैं वही जो रामरचि राखा…। संकट के समय जब कुछ न सूझे तो सब राम पर छोड़ दें और सोचें… जो होगा अच्छा ही होगा। आज की कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे और पूरा हॉल खचाखच भरा था।