NEET पेपर लीक के पीछे संगठित प्लानिंग, CBI जांच में सामने आए ये किरदार |…


नीट एग्जाम में धांधली और सीबीआई जांच.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) नीट यूजी पेपर लीक मामले की जांच कर रही है. जांच एजेंसी ने आज गुरुवार को पूछताछ के बाद 2 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया. सीबीआई की ओर से इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. मामले की जांच के दौरान सीबीआई के सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि इसे बेहद संगठित तरीके से अंजाम दिया गया था. सीबीआई ने इस मामले में पहली एफआईआर रविवार को दर्ज की थी.
सरकार की ओर से परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद एजेंसी ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि सभी आरोपियों के तार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. सीबीआई ने जांच के दौरान सबसे पहले इस केस में सामने आए सभी किरदारों की भूमिका को खंगाला तो पता चला कि इन सभी की अपनी-अपनी भूमिका थी और सबकी भूमिका बंटी हुई थी.
किसका क्या रोल रहा
दानापुर के जूनियर इंजीनियर सिकंदर यदुवेंदु की मुलाकात नीतीश कुमार और अंकित आनंद नाम के दो सॉल्वर गैंग के मैंबर्स से होती है, जहां पर नीतीश और अंकित दोनों सिकंदर के पास अपना एक पर्सनल काम लेकर जाते हैं. नीतीश और अंकित बातचीत में सिकंदर को बताते हैं कि वे किसी भी एग्जाम का पेपर लीक करा सकते हैं और इनकी अपनी सेटिंग है.
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इस पर सिकंदर ने अपने भतीजे के लिए नीतीश और अंकित से नीट एग्जाम की सेटिंग करवाने की बात कही. नीतीश और अंकित आनंद ने नीट एग्जाम का पेपर लीक कराने के लिए सिकंदर यदुवेंदु को 32 लाख रुपये का रेट बताया. सिकंदर ने उन्हें बताया कि उसके पास 4 बच्चे हैं जिनके लिए सेटिंग करानी है और ये सामने वाली पार्टी से 40 लाख रुपये की मांग करेगा.
सिकंदर यदुवेंदु का पहला कैंडिडेट उसका ही भतीजा अनुराग यादव था. हालांकि पुलिस ने नीट परीक्षा के बाद गिरफ्तार कर लिया. दूसरा कैंडिडेट आयुष राज है और पुलिस ने आयुष के साथ-साथ उसके पिता अखिलेश को भी गिरफ्तार कर लिया है. अखिलेश और सिकंदर दोनों दोस्त है.
आशुतोष ने अपने यहां दिलवाए पेपर
पेपर लीक मामले में सिकंदर यदुवेंदु मिडिल मैन की भूमिका में था. तो अंकित आनंद और नीतीश कुमार सॉल्वर गैंग के मेंबर थे. इसमें एक शख्स है संजीव मुखिया जो सॉल्वर गैंग का हेड है, लेकिन अभी वो फरार चल रहा है. मामले में 2 छात्र अनुराग यादव और आयुष राज गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आयुष के पिता अखिलेश को भी पकड़ लिया गया है.
सीबीआई की ओर से गिरफ्तार किए गए मनीष प्रकाश की भूमिका छात्रों को सुरक्षित ठिकाना यानी घर दिलाने की थी. मनीष ने उन छात्रों से सौदा किया था जो पेपर पहले से पाने के लिए पैसे देने को तैयार थे. फिर वह इन छात्रों को छात्रावास ले गया जहां उन्हें पेपर और उत्तर उपलब्ध कराए गए.
आशुतोष कुमार ने पटना में ‘लर्न ब्वॉयज हॉस्टल एंड प्ले स्कूल’ को किराए पर लिया था. आशुतोष को पता था कि परिसर का इस्तेमाल नीट अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है. यहीं से बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई को नीट-यूजी के आधे जले हुए पेपर मिले थे.
मुखिया का बेटा भी मास्टरमाइंड
सिंटू वो शख्स है जिसने सेफ हाउस लर्न प्ले स्कूल में प्रिंटर से पेपर के प्रिंट निकाले थे. सिकंदर का ड्राइवर रोशन भी इसमें शामिल है, जिसने बच्चों को लाने और ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन में मदद की थी. इसमें एक किरदार है रॉकी, जो पेपर लीक का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले संजीव मुखिया का भतीजा है. रॉकी की रांची मेडिकल कॉलेज में अच्छी पैठ है. और उस पर आरोप है कि इसी के जरिए रिम्पस से पेपर पटना गया. हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं की जा सकी है.
डॉक्टर अहसान उल हक भी एक बड़ा किरदार है, जो हजारीबाग के OASIS स्कूल का प्रिंसिपल है, और इसी स्कूल से बुकलेट नंबर 6136488 लीक हुआ. इसलिए हक भी जांच के दायरे में हैं. सीबीआई प्रिसिंपल हक और वायस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और कई स्टाफ से लगातार पूछताछ कर रही है.
शिव कुमार उर्फ बिट्टू, जो संजीव मुखिया का बेटा और पेपर लीक गैंग का एक और मास्टरमाइंड है. शिव अपने पिता के साथ मिलकर पेपर लीक को अंजाम देता था. वह जेल भी जा चुका और वाराणसी में डॉक्टर है. हालांकि वह पहले से ही किसी और मामले में जेल में है.