Pakistan election 2024 result: कहानी जेल में बंद पाकिस्तान की उस महिला नेता की जिसने… – भारत संपर्क

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Pakistan election 2024 result: कहानी जेल में बंद पाकिस्तान की उस महिला नेता की जिसने… – भारत संपर्क
Pakistan election 2024 result: कहानी जेल में बंद पाकिस्तान की उस महिला नेता की जिसने चुनाव में नवाज शरीफ के पसीने छुड़ा दिए

नवाज शरीफ और यास्मीन राशिद

चौथी दफा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब सजाए बैठे पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के मुखिया नवाज शरीफ के लिए लाहौर की अपनी सीट से जीतना काफी मुश्किल नजरा आ रहा है. यहां नवाज को उस जेल में बंद खातून से कड़ी चुनावी टक्कर मिल रही है जो एक मर्तबा भी इस चुनाव में लाहौर की आवाम के सामने वोट मांगने के लिए नहीं आ सकी. लाहौर सीट नवाज परिवार और उनकी पार्टी के लिए हलवा माना जाता रहा मगर पिछले दो चुनावों में डॉक्टर यास्मीन राशिद ने बहुत हद तक इस बात को झुठला दिया.

पाकिस्तान का 2013 का चुनाव परिणाम लोगों को याद आ रहा है, जब वोटिंग वाले ही दिन रात को 11 बजे नवाज शरीफ जीत की तकरीर और नई सरकार बनाने का दावा कर चुके थे. मगर 2024 में सूरत-ए-हाल जुदा है. 8 को वोटिंग शाम ही को निपट गई मगर 9 फरवरी की सुबह 9 बजे तक भी पीएमएल-एन के खेमे में खामोशी का आलम रहा. पीएमएल-एन और सीटों पर जो जोर-आजमाइश कर रही है, उसको एक पल को ताक पर रख दीजिए, नवाज शरीफ अपनी सीट पर कभी बढ़त बनाते दिखते हैं तो कभी पिछड़ जाते हैं.

जीत कर भी हार जाएंगे नवाज?

साइफर, तोशाखाना और ‘अवैध शादी’ के मामले में सजायाफ्ता पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से ताल्लुक रखने वाली डॉक्टर यास्मिन राशिद ने नवाज के खिलाफ ये चुनाव जेल से लड़ा.9 मई को हुए पाकिस्तानी सेना के इदारों पर हमले की प्लानिंग मामले मेंराशिद पिछले मई से ही जेल में हैं, बीच में कुछ वक्त के लिए बरी हुईं मगर फिर गिरफ्तार कर ली गईं. ऐसे में उनकी पार्टी के समर्थकों ने घर-घर जाकर उनके वास्ते प्रचार किया. इमरान की पार्टी की जब पंजाब सूबे में सरकार थी, तब उस सरकार का स्वास्थ्य महकमा डॉक्टर राशिद ही के पास था.

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यास्मीन की बढ़त परकुछ ने तो यहां तक कहा कि तब जब देश की पूरी मशीनरी, खासकर पाकिस्तानी सेना नवाज शरीफ की पार्टी की किसी भी कीमत पर जीत के लिए खड़ी नजर आई, इमरान खान तक को ‘गेम’ ही से बाहर कर दिया गया, उनकी पार्टी का निशान बल्ला तक छीन लिया गया, बावजूद इसके नवाज शरीफ अपनी सीट जीतने की अगर जद्दोजहद कर रहे हैं तो यह चुनाव उनके लिए जीत कर भी हारने वाला होगा. ‘पाकिस्तान को नवाज दो’ वाला पीएमएल-एन का नारा बहुत हद तक धराशायी दिख रहा है.

यास्मीन राशिद: प्रतिरोध की आवाज!

73 साल की यास्मीन राशिद की ओर से लाहौर सीट से पर्चा दाखिल करने के बाद ही इस बात के पूरे आसार थे कि इस सीट से मियां नवाज शरीफ का चुनाव जीतना आसान नहीं रहने वाला. अव्वल तो पाकिस्तान में चुनाव परिणाम कल रात ही को घोषित हो जाने थे मगर वोटिंग समाप्त हो जाने के 12 घंटे बाद तक चुनाव आयोग दो-चार सीटों से ज्यादा का नतीजा घोषित नहीं कर सकी. नतीजों में हो रही देरी पर मुख्तलिफ पार्टियों और नेताओं, खासकर पीटीआई के समर्थन वाले आजाद उम्मीदवारों ने फर्जावाड़े की आशंका जताई. खासकर यास्मीन राशिद – नवाज शरीफ की सीट पर धांधली न हो जाए, इसके लिए पीटीआई के कारकून मुस्तैद दिखे.

राशिद ने नवाज शरीफ को इतना डटकर मुकाबला तब दिया जब वो चुनाव प्रचार नहीं कर पाईं और उनके पास ‘बल्ला’ तक नहीं था. फिर भी उनको पाकिस्तान के नामचीन लोगों का, यहां तक की कुछ प्रतिद्वंदियों का भी समर्थन और तारीफ हासिल हुआ. वह इसलिए क्योंकि पाकिस्तानी एस्टैब्लिशमेंट, स्टेट और सरकार के अलग-अलग इदारों ने इमरान की पार्टी और उनके कारकून के खिलाफ तमाम तरह की बंदिशें लगाईं, ‘ज्यादतियां’ की, इमरान के बहुत से सिपाहसलारों ने पीटीआई से मुंह मोड़ लिया, यास्मीन पीछे नहीं हटींं. ये और बात है कि पिछले साल यही सेना ये सबकुछ इमरान की पार्टी की तरफ से कर रही थी और नवाज का खेमा पीड़ित था मगर अब दिन पलट गए हैं.

राशिद का जीवन, राजनीतिक सफर

जुलाई, 2017 में पनामा पेपर्स मामले में दोषी पाए जाने के कारण नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद नवाज की लाहौर सीट खाली हुई. उपचुनाव हुआ जिसमें उनकी पत्नी कुलसूम नवाज शरीफ का मुकाबला पीटीआई की यास्मीन राशिद से हुआ. कुलसूम शरीफ महज 14 हजार वोट से वो चुनाव जीत पाईं. अगले बरस 2018 में जब पाकिस्तान की कौमी असेंबली का चुनाव हुआ तो सजायाफ्ता होने के कारण नवाज तो उम्मीदवार हो नहीं सकते थे. ऐसे में पाकिस्तान मुस्लिम लीग नून ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता वाहीद आलम खान को लाहौर के इस हलके से चुनाव लड़ने के लिए चुना. इस बार भी राशिद 17 हजार के अंतर से चुनाव हार गईं मगर उन्होंने अपने आप को नवाज परिवार और पार्टी के सामने एक लड़ाकू नेता के तौर पर स्थापित करा दिया.

बाद में वह पंजाब प्रांत की महिलाओं के लिए आरक्षित एक सीट से चुनकर आईं और 2018 से लेकर 2023 तक पंजाब प्रांत के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम किया. पंजाब प्रांत ही के चकवाल शहर की मूल रहवासी यास्मीन पेशे से डॉक्टर रहीं. फातिमा जिन्ना मेडिकल यूनिवर्सिटी से 28 बरस की उम्र में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. बाद में ब्रिटेन से MRCOG, FRCOG जैसी मेडिकल की डिग्री लेकर अपने मुल्क लौटीं. (MRCOG, FRCOG क्या होता है, ये फिर कभी, बाकी गूगल है ही आपके पास)

हां तो, यास्मीन का मेडिकल के क्षेत्र में लंबा काम रहा. वह 1998 से 2000 तक लाहौर की पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन की प्रेसिडेंट रहीं और फिर बाद में पूरे पंजाब प्रांत के मेडिकल एसोसिएशन का कामकाज देखा. महिलाओं के स्वास्थ्य और विकास के लिए बनाए गए टास्ट फोर्स और कमिटी का भी जिम्मा यास्मीन ने एक वक्त तक संभाला. यास्मीन का राजनीतिक करियर कोई बहुत लंबा नहीं है. महज एक दशक पहले साल 2010 में सरकारी नौकरी से रिटायर हो जाने के बाद वे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के परचम चले राजनीति में दाखिल हुईं. उनके पति का परिवार राजनीतिक रसूख वाला है. उनके ससुर कभी पंजाब प्रांत के शिक्षा मंत्री हुआ करते थे. कहते है कि उन्हीं की सलाह पर यास्मीन राजनीति में आईं और फिर पीटीआई के जरिये पाकिस्तानी राजनीति में खुद को दर्ज और मजबूत करती चली गईं.

9 मई हमले की साजिश रची?

इमरान खान ने यास्मीन पर भरोसा किया और उन्हें पीटीआई पंजाब का अध्यक्ष बनाया. पीटीआई के चौधरी परवेज इलाही की पंजाब में सरकार जाने के बाद पिछले साल जनवरी में यास्मीन को अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा. कुछ महीने बाद पाकिस्तान के इतिहास का तारीखी दिन, जिसे सेना और उससे सहानुभूति रखने वालों ने ‘काला दिन’ कहा, वह 9 मई आया. इमरान की गिरफ्तारी के बाद हिंसा भड़की, आरोप लगें कि कई पीटीआई कार्यकर्ताओं ने रावलपिंडी में पाकिस्तान आर्मी के सेना मुख्यालय और फैसलाबाद में आईएसआई की इमारत समेत सेना के दूसरे इदारों पर हमले और आगजनी की घटना को अंजाम दिया. तीन दिन ही के बाद यास्मीन को हमले की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया.

यास्मीन पिछले बरस जून में बरी हो गईं. लेकिन तभी फिर पंजाब प्रांत की पुलिस ने ये दावा कर दिया कि जिन्ना हाउस आगजनी मामले में मुख्य साजिशकर्ता यास्मीन राशिद ही थी. दावा किया गया कि आगजनी वाले दिन 315 कॉल रिकॉर्ड हुए थे. इनमें 41 कॉल अकेले यास्मीन ही के थे. तय हो गया कि जल्दी राशिद जेल से बाहर नहीं आ पाएंगी. पिछले हफ्ते इमरान खान को हैट्रिक सजा सुनाए जाने ही के दरमियान यास्मीन राशिद को भी आंतकवाद के एक मामले में दोषी ठहरा दिया गया. मगर वह जेल ही से प्रतिरोध की आवाज बनी रहीं और नवाज के खिलाफ हुंकार भरती रहीं.

मुमकिन है नवाज शरीफ आज लाहौर की सीट बचा भी ले जाएं मगर एक आसान समझे जाने वाले चुनाव में पीएमएल-एन के हश्र और खासकर मियां नवाज शरीफ के लड़खड़ाने पर जेल में बंद यास्मीन राशिद जिगर साहब का ये मिसरा पढ़ रही होंगी कि…‘मुबारक तुझे ये शिकस्त-ए-फातिहाना!’

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