पंचायत सचिवों की भूख हड़ताल शुरू, शासकीयकरण की कर रहे हैं…- भारत संपर्क

पंचायत सचिवों की भूख हड़ताल शुरू, शासकीयकरण की कर रहे हैं मांग
कोरबा। अपनी शासकीयकरण की एक सूत्रीय मांग को लेकर पंचायत सचिवों ने शुक्रवार से क्रमिक भूख हड़ताल का आगाज कर दिया है। घंटाघर आंदोलन स्थल पर पंचायत सचिव भुख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।उनका कहना है कि सरकार जब तक मोदी की गारंटी को पूरा नहीं करती उनका आंदोलन जारी रहेगा। इससे पहले पंचायत सचिव 2 अप्रैल से जनपद स्तर पर आंदोलन और जिला मुख्यालय में रैली निकाल कर आवाज बुलंद कर चुके हैं। दूसरी ओर सरपंचों को प्रभार नहीं मिलने से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ठप्प पड़ गए हैं।प्रदेश पंचायत सचिव संघ के बैनर तले आंदोलन किया जा रहा है। सचिवों ने अलग अलग तिथि में अलग अलग आंदोलन का ऐलान किया है। जिसके तहत शुक्रवार से भूख हड़ताल शुरू हुआ है।सरपंचों के निर्वाचन के बाद से ही पंचायत सचिव हड़ताल पर हैं। हालत यह है कि चुनाव जीतने के बाद सरपंच बेकार बैठे हैं, वह सरपंच पद का प्रभार भी नहीं ले सके हैं।पंचायतों में ग्राम पंचायत के सचिव ही सरपंचों के निर्वाचित होने के बाद, उन्हें प्रभार दिलवाते हैं। अब जब सचिव हड़ताल पर चले गए हैं. तो ज्यादातर सरपंच चुनाव जीतने के बाद भी अपने पद का प्रभार नहीं ले सके हैं। वह किसी भी तरह का काम नहीं कर पा रहे हैं। पंचायतों में विकास की रफ्तार पूरी तरह से थम चुकी है। इन परिस्थितियों में वनांचल क्षेत्र पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक और जिले भर के सरपंच कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। जिन्होंने कलेक्टर से वैकल्पिक व्यवस्था देने की मांग की है। ग्राम पंचायत सचिव फिलहाल नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं है। उनकी मुख्य मांग नियमितीकरण है जिसे लेकर वह हड़ताल पर है। विगत 20 मार्च को सरपंच पद के लिए चुनाव हुए़। इसी दिन मतगणना हुई और सरपंचों का निर्वाचन हुआ, लेकिन इसके पहले ही सचिव हड़ताल पर जा चुके थे. जिसके कारण सरपंच प्रभार ही नहीं ले सके। कुछ गिनती के पंचायत ही ऐसी हैं जहां के सचिवों ने सरपंचों को उनके पद का प्रभाव दिलवाया जबकि ज्यादातर पंचायतें ऐसी हैं जहां के सरपंच प्रभार ही नहीं ले सके। पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में कुल 114 पंचायतें हैं इनमें से 15 पंचायत ऐसी है जिनका प्रभाव सरपंचों ने लिया है। ज्यादातर सरपंचों ने पद का प्रभार नहीं लिया है। मुश्किल से 10 से 15 सरपंच ऐसे हैं जिन्हें प्रभार मिला है, जबकि ज्यादातर सरपंचों को प्रभार नहीं मिल पाया है, फिर चाहे वह मूलभूत राशि के कार्य हो, छोटे-मोटे नाली या सडक़ निर्माण या कोई भी विकास कार्य हो लोग सरपंचों से उम्मीद करते हैं। उनसे काम करने की बात कहते हैं। लोग रोज सरपंचों के घर पहुंच रहे हैं, लेकिन वे उनके कोई काम कर ही नहीं पा रहे हैं. सरपंच वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की है ताकि पंचायत में जो विकास की रफ्तार थम गई है उसे गति दी जा सके।
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रोजगार सहायकों को सचिव की जिम्मेदारी
प्रदेश भर में पंचायत सचिवों की हड़ताल के कारण पंचायत स्तर की व्यवस्था चरमरा गई है। इससे निपटने के लिए प्रशासन और शासन के द्वारा लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। इस कड़ी में एक आदेश जारी कर रोजगार सहायकों को आगामी आदेश तक के लिए सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।